भारत कृषि नीति

 भारत कृषि नीति और उसके उद्देश्य

परिचय(Introduction)

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ अधिकांश जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। देश की आर्थिक वृद्धि, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसीलिए सरकार समय-समय पर कृषि नीतियां बनाती है, जिनका उद्देश्य किसानों की स्थिति सुधारना और कृषि उत्पादन को टिकाऊ, लाभकारी और आधुनिक बनाना है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कृषि नीति क्या है, इसके प्रमुख उद्देश्य क्या हैं, भारत में कृषि नीति का विकास किस प्रकार हुआ है और इसका कृषि क्षेत्र पर प्रभाव क्या रहा है।


कृषि नीति क्या है?

कृषि नीति (Agricultural Policy) एक ऐसी रणनीतिक योजना है जिसे सरकार द्वारा तैयार किया जाता है ताकि कृषि क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। इसमें कृषि उत्पादन, वितरण, विपणन, मूल्य निर्धारण, सिंचाई, बीज, खाद, ऋण, और तकनीक जैसे पहलुओं को शामिल किया जाता है।

कृषि नीति का मुख्य उद्देश्य है कि कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी और लाभकारी बनाया जाए ताकि किसानों की आय बढ़े और देश की खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।


भारत में कृषि नीति का विकास

भारत की कृषि नीति का विकास कई चरणों में हुआ है:

  • स्वतंत्रता के बाद (1947–1960): मुख्य ध्यान खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने पर था।
  • हरित क्रांति (1965–1980): उच्च उत्पादन वाले बीज, उर्वरक और सिंचाई तकनीक अपनाई गई।
  • आधुनिकरण और उदारीकरण (1991 के बाद): कृषि विपणन, निर्यात, निजी निवेश और तकनीक पर बल दिया गया।
  • राष्ट्रीय कृषि नीति 2000: किसानों की आय दोगुनी करने, ग्रामीण रोजगार सृजन और सतत विकास पर जोर दिया गया।
  • हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, e-NAM और डिजिटल कृषि मिशन जैसी योजनाएं लागू की गईं।


कृषि नीति के उद्देश्य

1. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना

  • देश की बढ़ती जनसंख्या के लिए पर्याप्त खाद्यान्न उत्पादन।
  • अनाज भंडारण क्षमता और वितरण प्रणाली को मजबूत बनाना।

2. किसानों की आय में वृद्धि

  • किसानों को उचित मूल्य (MSP – न्यूनतम समर्थन मूल्य) प्रदान करना।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।

3. कृषि का आधुनिकीकरण

  • आधुनिक तकनीक, मशीनरी और डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ाना।
  • प्रेसिजन फार्मिंग और जैविक खेती को बढ़ावा देना।

4. सतत और पर्यावरण अनुकूल कृषि

  • रसायनों के उपयोग को नियंत्रित कर जैविक व प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना।
  • जल संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान देना।

5. कृषि विविधीकरण

  • केवल अनाज पर निर्भरता कम कर फल, सब्जी, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन और बागवानी को प्रोत्साहित करना।
  • इससे किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर मिलते हैं।

6. ग्रामीण रोजगार और गरीबी उन्मूलन

  • कृषि आधारित उद्योग और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करना।
  • ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।

7. कृषि निर्यात को बढ़ावा

  • भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना।
  • निर्यात-उन्मुख नीतियां और एग्री-एक्सपोर्ट ज़ोन का विकास करना।

8. ऋण और बीमा सुविधा

  • किसानों को सुलभ कृषि ऋण उपलब्ध कराना।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी नीतियों से फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देना।


कृषि नीति की चुनौतियाँ

  • भूमि जोत का छोटा होना, जिससे आधुनिक तकनीक लागू करना कठिन होता है।
  • जलवायु परिवर्तन और अनिश्चित मानसून।
  • भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की कमी।
  • कृषि उपज के सही दाम न मिल पाना।
  • किसानों में डिजिटल साक्षरता की कमी।


कृषि नीति का प्रभाव

  • खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता।
  • कृषि निर्यात में वृद्धि।
  • किसानों की आय और ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार।
  • हरित क्रांति से खाद्यान्न की भारी उपलब्धता।
  • लेकिन अभी भी किसानों की आय असमान रूप से वितरित है और कई छोटे किसान गरीब बने हुए हैं।


निष्कर्ष

कृषि नीति और उसके उद्देश्य भारत के आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा और किसानों की समृद्धि से सीधे जुड़े हुए हैं। सरकार ने समय-समय पर ऐसी नीतियां बनाई हैं, जिन्होंने कृषि क्षेत्र को नई दिशा दी है।

आज आवश्यकता है कि कृषि नीतियों को और अधिक समावेशी, तकनीक-आधारित और पर्यावरण अनुकूल बनाया जाए, ताकि किसानों को स्थायी लाभ मिले और भारत वैश्विक स्तर पर एक कृषि महाशक्ति के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर सके।



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