पेशवा कौन थे

पेशवा कौन थे



मराठा साम्राज्य के महान शासक और प्रशासक

परिचय

पेशवा मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री पद का नाम था, जिन्होंने 18वीं सदी में भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया। पेशवा मराठों की शक्ति और संगठन के केंद्र थे। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य के बाद, पेशवाओं के नेतृत्व में मराठों ने भारत के राजनीतिक क्षितिज पर अपनी पकड़ और भी मजबूत की।


पेशवा का अर्थ और पद

“पेशवा” शब्द फारसी के ‘पेशवा’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “प्रधान” या “मुख्य सलाहकार”। यह मराठा साम्राज्य में राजा के बाद सबसे बड़ा और शक्तिशाली पद था। पेशवा को शासन और प्रशासन की पूरी जिम्मेदारी होती थी और वे सैन्य अभियानों का नेतृत्व भी करते थे।


पेशवाओं की उत्पत्ति और इतिहास

  • पेशवा पद की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने साम्राज्य को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए की।
  • मोरोपंत पिंगले पहले पेशवा थे।
  • परंतु पेशवाओं की असली शक्ति और प्रभाव का विस्तार तब हुआ जब बाजीराव प्रथम (1720-1740) ने पेशवा पद संभाला। बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में मराठा साम्राज्य ने दिल्ली तक विजय ध्वज फहराया।


पेशवाओं का प्रमुख योगदान

1. साम्राज्य विस्तार

बाजीराव प्रथम और उनके उत्तराधिकारियों ने मराठा साम्राज्य को उत्तर में दिल्ली, पंजाब तक और दक्षिण में तमिलनाडु तक फैलाया। मराठा सेनाओं ने मुगलों को लगातार कमजोर किया।

2. प्रशासनिक व्यवस्था

पेशवाओं ने राजस्व, न्याय और सेना से जुड़े कार्यों को सुव्यवस्थित किया। चौथ और सरदेशमुखी की व्यवस्था से मराठों को आर्थिक मजबूती मिली।

3. सांस्कृतिक योगदान

पेशवाओं के काल में पुणे सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र बन गया। पेशवा बाजीराव द्वितीय के काल में कई मंदिर और घाटों का निर्माण हुआ।


प्रमुख पेशवाओं की सूची

पेशवा का नाम कार्यकाल विशेषता
मोरोपंत पिंगले 1674-1683 पहले पेशवा
बाजीराव प्रथम 1720-1740 मराठा साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार
बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) 1740-1761 पानीपत के युद्ध से जुड़ा काल
माधवराव प्रथम 1761-1772 मराठा शक्ति का पुनः उत्थान
रघुनाथराव 1773-1774 राजनीतिक अस्थिरता
बाजीराव द्वितीय 1796-1802 अंग्रेजों से संघर्ष, बसई की संधि

पेशवाओं की राजधानी

पेशवाओं की राजधानी थी पुणे, जिसे पेशवाओं के कार्यकाल में “मराठा साम्राज्य की गद्दी” कहा जाता था। पुणे में शनिवारवाड़ा उनका मुख्य दरबार और प्रशासनिक केंद्र था।


पानीपत का तीसरा युद्ध और पेशवाओं का पतन

  • 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध, मराठा साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ।
  • अहमद शाह अब्दाली के साथ युद्ध में मराठों को करारी हार का सामना करना पड़ा।
  • इस हार ने पेशवाओं की शक्ति को कमजोर कर दिया और धीरे-धीरे मराठा साम्राज्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रभाव में चला गया।


पेशवाओं की विशेषताएँ

  • कुशल प्रशासनिक और सैन्य नेतृत्व
  • कर संग्रह प्रणाली – चौथ और सरदेशमुखी
  • हिंदू धर्म और संस्कृति का संरक्षण
  • मराठा शक्ति का चरमोत्कर्ष


पेशवाओं की विरासत

पेशवाओं ने भारत के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में मराठा साम्राज्य भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गया। पुणे का विकास, कला, संगीत और शिक्षा का केंद्र बनने का श्रेय भी पेशवाओं को ही जाता है।


FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. पेशवा का मतलब क्या होता है?

पेशवा का अर्थ होता है प्रमुख मंत्री या प्रधानमंत्री। यह मराठा साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण पद था।

2. पहले पेशवा कौन थे?

पहले पेशवा मोरोपंत पिंगले थे, जिन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज ने नियुक्त किया था।

3. सबसे प्रसिद्ध पेशवा कौन थे?

बाजीराव प्रथम, जिन्होंने मराठा साम्राज्य का बड़ा विस्तार किया और दिल्ली तक अपनी शक्ति स्थापित की।

4. पेशवाओं की राजधानी कहाँ थी?

पेशवाओं की राजधानी पुणे थी। यहीं शनिवारवाड़ा उनका प्रमुख प्रशासनिक केंद्र था।

5. पेशवाओं के पतन का मुख्य कारण क्या था?

1761 के पानीपत के तीसरे युद्ध में मिली हार और बाद में ब्रिटिशों के साथ हुए संघर्षों ने पेशवाओं की शक्ति को समाप्त कर दिया।


Uppcs Pre 2024 Topic

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ