भारत फॉरकास्ट सिस्टम 2025
Bharat Forecast System 2025
लेख की रूपरेखा (Outline Table)
1 | प्रस्तावना: BFS का परिचय और आवश्यकता |
2 | विकास एजेंसी एवं संगठनात्मक संरचना |
3 | तकनीकी विशेषताएँ: 6-किमी ग्रिड एवं अन्य सुधार |
4 | सुपरकंप्यूटिंग संसाधन: Arka और समर्थन तंत्र |
5 | Nowcasting और Doppler Weather Radar नेटवर्क |
6 | पूर्वानुमानों की सटीकता और सुधार |
7 | क्षेत्रों में लाभ: कृषि, आपदा, मौसम चेतावनी |
8 | तुलना विश्व मॉडल्स से (Resolution vs Performance) |
9 | खुला डेटा, शोध और वैश्विक साझेदारी |
10 | चुनौतियाँ एवं सीमाएँ |
11 | भविष्य की योजनाएँ और विस्तार रोडमैप |
12 | नियमितता, निगरानी एवं क्रियान्वयन उपाय |
13 | भारत की Atmanirbharta और विज्ञान-नीति संबंध |
14 | सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव |
15 | निष्कर्ष एवं आगे की ज़रूरतें |
16 | FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न |
प्रस्तावना
Bharat Forecast System (BFS) भारत की एक स्वदेशी विकसित weather forecasting प्रणाली है, जिसे 26 मई 2025 को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया। इसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा संचालित किया जाता है, और भारतीय सरकार के Ministry of Earth Sciences की पहल है। पिछले मॉडल जिसमें पूर्वानुमान 12-किमी ग्रिड पर होते थे, उनमें अतिचार-वृष्टि, झड़ी-मती बारिश या छोटे क्षेत्रीय तूफानों की सटीकता कम थी। BFS की आवश्यकता इसलिए पड़ी कि किसानों, आपदा प्रबंधन टीमों और नागरिकों को छोटे-छोटे क्षेत्रों के लिए समय रहते पूर्वानुमान मिल सके ताकि नुकसान को कम किया जा सके और तैयारी बेहतर हो सके।
विकास एजेंसी एवं संगठनात्मक संरचना
BFS को Indian Institute of Tropical Meteorology, Pune (IITM-Pune) ने विकसित किया है, Ministry of Earth Sciences के अंतर्गत। IMD इसका कार्यान्वय करता है। इस प्रणाली का संचालन वैज्ञानिकों, मौसम मॉडलिंग विशेषज्ञों, सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और डेटा एनालिस्ट्स की टीम मिलकर कर रही है। संगठनात्मक संरचना में डेटा संग्रह, मॉडल अपग्रेडेशन, सुपरकंप्यूटिंग संसाधन, शोध एवं विकास (R&D) और आपदा प्रबंधन विभाग शामिल हैं। सरकार ने बजट आवंटन, सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग, और स्थानीय यूनिट्स जैसे राज्य मौसम केंद्रों को भी शामिल किया है ताकि स्थानीय पूर्वानुमानों की गुणवत्ता सुधारी जा सके।
तकनीकी विशेषताएँ: 6-किमी ग्रिड एवं अन्य सुधार
BFS का मुख्य तकनीकी सुधार है 6-किमी x 6-किमी ग्रिड रेज़ॉल्यूशन। इससे छोटे माप में मौसम परिवर्तन — जैसे कि तूफान पथ, बारिश की तीव्रता, बादल निर्माण — बेहतर तरीके से पकड़े जा सकेंगे। पहले मॉडल 12-किमी ग्रिड्स पर काम करते थे। BFS में नया Triangular Cubic Octahedral (TCO) ग्रिड संरचना उपयोग की जा रही है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बेहतर सटीकता देती है। इसके अतिरिक्त BFS extreme rainfall, cyclone tracking और स्थानीय मौसम खतरों की पहचान में 30-64% सुधार दिखा चुका है।
सुपरकंप्यूटिंग संसाधन: Arka और समर्थन तंत्र
BFS को शक्ति प्रदान करता है ‘Arka’ सुपरकंप्यूटर, जिसकी क्षमता लगभग 11.77 पेटाफ्लॉप्स है और स्टोरेज लगभग 33 पेटाबाइट्स। इससे पूर्वानुमान मॉडलिंग की गति बढ़ी है — पूर्व में जिस पूर्वानुमान को 10-12 घंटे लगते थे, अब अपेक्षाकृत कम समय में तैयार हो रहे हैं। साथ ही computational पाइपलाइन और डेटा असिमिलेशन सुनिश्चित करती है कि उपग्रह, Doppler रेडार, मौसम स्टेशन आदि से आने वाले डेटा ताज़ा और उपयुक्त हो।
Nowcasting और Doppler Weather Radar नेटवर्क
BFS में Nowcasting (2-घंटे के पूर्वानुमान) की सुविधा शामिल है, जिससे अचानक मौसम परिवर्तन, झड़ी बारिश, तूफानों आदि के बारे में तुरंत चेतावनी दी जा सके। इस नेटवर्क के लिए 40 Doppler Weather Radars सक्रिय हैं, और योजना है इसे 100 रेडार तक विस्तारित करने की। यह नेटवर्क विभिन्न स्थानों से डेटा ग्रहण करता है और स्थानीय पूर्वानुमान में सुधार करता है।
पूर्वानुमानों की सटीकता और सुधार
BFS ने शुरुआती परीक्षणों में दिखाया है कि मानसून क्षेत्रों में अगले 3-7 दिन के पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार हुआ है। विशेष रूप से extreme rainfall घटनाओं की पहचान में लगभग 30% बेहतर प्रदर्शन। पूर्वानुसार कृषि और आपदा प्रबंधन में सुधार संभव हुआ है। पहले जहाँ सामान्य मॉडलें ब्लॉक-स्तर या जिले-स्तर के पूर्वानुमान देती थीं, अब पंचायत-स्तर तक की सटीकता संभव हो रही है।
क्षेत्रों में लाभ: कृषि, आपदा, मौसम चेतावनी
- कृषि: फसल बुवाई, सिंचाई निर्णय, खाद एवं बीज वितरण के लिए समय रहते सटीक पूर्वानुमान।
- आपदा प्रबंधन: बाढ़, तूफान, भारी बारिश जैसी घटनाओं के लिए चेतावनी और तैयारी।
- सार्वजनिक सुरक्षा: आवागमन, स्वास्थ्य सेवाएँ, बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर को मौसम-आधारित जोखिमों से बचाव।
तुलना विश्व मॉडल्स से (Resolution vs Performance)
अंतर्राष्ट्रीय मौसम मॉडल जैसे US GFS, European ECMWF आदि लगभग 9-14-किमी ग्रिड पर operable हैं। वहीं BFS 6-किमी ग्रिड पर काम करता है, जो विश्व में operational मॉडल में सबसे सटीक है। इसके अलावा, एक्सट्रीम मौसम घटनाओं के बारे में BFS ने बेहतर पथ-अनुमान दिया है।
खुला डेटा, शोध और वैश्विक साझेदारी
BFS डेटा उपयोगकर्ताओं, शोधकर्ताओं और नीति निर्धारकों के लिए उपलब्ध है। भारत सरकार ने यह आश्वासन दिया कि मौसम-डेटा साझा करके tropical क्षेत्रों को लाभ पहुँचाया जाए। ISRO के उपग्रह डेटा, Doppler रेडार डेटा आदि का उपयोग हो रहा है। वैश्विक अनुसंधान संगठनों के साथ सहयोग बढ़ रहा है।
चुनौतियाँ एवं सीमाएँ
- Doppler रेडारों की संख्या कम होने के कारण कुछ स्थानों पर डेटा कवरेज सीमित है।
- computational लागत और बिजली / इंफ्रास्ट्रक्चर का भार।
- अत्यधिक localized मॉडलिंग में डेटा शोर और मॉडलिंग त्रुटियाँ।
- पूर्वानुमान चेतावनों का समय पर जनसमूह तक पहुँचाना; ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या।
भविष्य की योजनाएँ और विस्तार रोडमैप
- Doppler रेडार नेटवर्क का विस्तार 100+ रेडार तक।
- मॉडल समय सीमा को बढ़ाकर 10-दिन के पूर्वानुमान की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना।
- ML/AI टूल्स से अधिक automation और सुधार।
- राज्य मौसम केंद्रों को सशक्त बनाना और स्थानीय पूर्वानुमान क्षमता बढ़ाना।
नियमितता, निगरानी एवं क्रियान्वयन उपाय
- प्रतिवर्ष चयनित पूर्वानुमान सटीकता रिपोर्ट जारी होगी।
- feedback सिस्टम: जनता, किसानों व आपदा प्रबंधन एजेंसियों से प्रतिक्रिया।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम मौसम विज्ञानियों एवं स्थानीय कर्मचारियों के लिए।
भारत की Atmanirbharta और विज्ञान-नीति संबंध
BFS भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विदेशी मॉडल पर निर्भरता कम हुई है। नीति स्तर पर यह दिखाता है कि विज्ञान एवं तकनीक को सार्वजनिक हित के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है।
सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव
- फसल हानि कम होगी → किसानों की आय में स्थिरता।
- आपदा-नुकसान कम होगा → आर्थिक जोखिम घटेगा।
- सूचनाएँ समय पर मिलने से स्वास्थ्य, शिक्षा, यात्रा आदि क्षेत्रों में बेहतर निर्णय संभव।
निष्कर्ष एवं आगे की ज़रूरतें
Bharat Forecast System 2025 एक Game Changer है। यह न केवल मौसम पूर्वानुमान की सटीकता बढ़ाता है बल्कि देशी विज्ञान और तकनीक के विकास का प्रतीक है। भविष्य में इसके नियमित सुधार, डेटा कवरेज विस्तार, जन-भागीदारी और वैश्विक साझा उपयोग से यह प्रणाली और भी शक्तिशाली बनेगी।
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