ASEAN-GCC Summit 2025
सम्मेलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ASEAN और GCC दोनों संगठन लंबे समय से वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक परिदृश्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं। 2025 का सम्मेलन उनकी साझेदारी को नई गति देने के उद्देश्य से हुआ। इससे पहले 2023 में सऊदी अरब में पहला शिखर सम्मेलन हुआ था। इस बार का सम्मेलन और भी व्यापक एजेंडे और ठोस घोषणाओं के साथ सामने आया।
- पहला ASEAN-GCC सम्मेलन 2023 में सऊदी अरब में हुआ था।
- 2025 सम्मेलन इसका दूसरा और अधिक विस्तृत संस्करण था।
- दोनों ब्लॉक्स ने अपनी पुरानी साझेदारी को और गहरा करने का संकल्प लिया।
- वैश्विक संकटों और आर्थिक अस्थिरता ने इस सहयोग को और प्रासंगिक बनाया।
- सम्मेलन का मकसद था – सहयोग को दीर्घकालिक रणनीति में बदलना।
- ऐतिहासिक रूप से ASEAN और GCC एक-दूसरे के प्राकृतिक साझेदार रहे हैं।
ASEAN और GCC का परिचय
ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) दक्षिण-पूर्व एशिया के 10 देशों का संगठन है, जबकि GCC (Gulf Cooperation Council) खाड़ी क्षेत्र के 6 देशों का समूह है। दोनों क्षेत्रों की सम्मिलित आबादी और अर्थव्यवस्था उन्हें वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण बनाती है। ASEAN तेजी से उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था का केंद्र है और GCC ऊर्जा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता।
- ASEAN: दक्षिण-पूर्व एशिया के 10 देशों का संगठन।
- GCC: खाड़ी क्षेत्र के 6 देशों का समूह।
- ASEAN की ताकत: डिजिटल इकोनॉमी और विनिर्माण।
- GCC की ताकत: ऊर्जा और निवेश।
- दोनों का संयुक्त GDP उन्हें वैश्विक शक्ति बनाता है।
- दोनों क्षेत्रों की आबादी युवा और तेज़ी से बढ़ती हुई है।
2025 सम्मेलन का स्थान और समय
यह सम्मेलन 27 मई 2025 को कुआलालंपुर, मलेशिया में आयोजित हुआ। इसमें दोनों ब्लॉक्स के राष्ट्राध्यक्षों, मंत्रियों, व्यापारिक प्रतिनिधियों और नीति-निर्माताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का एजेंडा व्यापार, ऊर्जा, डिजिटल सहयोग और वैश्विक स्थिरता पर केंद्रित था।
- सम्मेलन 27 मई 2025 को कुआलालंपुर, मलेशिया में हुआ।
- इसमें दोनों क्षेत्रों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया।
- व्यापार, ऊर्जा, संस्कृति और राजनीति प्रमुख एजेंडा थे।
- 100+ डेलिगेशन ने इसमें शिरकत की।
- मलेशिया को मेज़बान इसलिए चुना गया क्योंकि वह ASEAN में केंद्र भूमिका निभाता है।
- सम्मेलन का समय वैश्विक बदलावों के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण रहा।
व्यापारिक सहयोग की नई ऊँचाइयाँ
2024 में ASEAN-GCC के बीच कुल व्यापार USD 130.7 अरब तक पहुँचा। सम्मेलन में इसे 2032 तक USD 180 अरब तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया। व्यापार में ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य प्रसंस्करण और टेक्नोलॉजी प्रमुख क्षेत्र रहे। दोनों ब्लॉक्स ने टैरिफ बाधाएँ कम करने और नए निवेश अवसर खोलने पर सहमति जताई।
- 2024 का ASEAN-GCC व्यापार USD 130.7 अरब रहा।
- लक्ष्य: 2032 तक इसे USD 180 अरब तक पहुँचाना।
- ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण और टेक्नोलॉजी पर जोर।
- टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं को कम करने पर चर्चा।
- संयुक्त निवेश और व्यापारिक मंच की स्थापना पर सहमति।
- लॉजिस्टिक्स और पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग भी शामिल।
डिजिटल परिवर्तन और ई-कॉमर्स
डिजिटल सहयोग इस सम्मेलन का प्रमुख आकर्षण रहा। ASEAN और GCC ने डिजिटल व्यापार समझौते पर चर्चा की जिसमें फिनटेक, ई-कॉमर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल थे। दोनों ने क्रॉस-बॉर्डर डिजिटल पेमेंट और डेटा सुरक्षा मानकों को एकरूप बनाने पर सहमति जताई। यह छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए भी नए अवसर पैदा करेगा।
- क्रॉस-बॉर्डर ई-कॉमर्स के लिए समझौता।
- डिजिटल भुगतान प्रणाली में एकरूपता पर चर्चा।
- फिनटेक कंपनियों के बीच सहयोग।
- साइबर सुरक्षा और डेटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क तैयार करना।
- MSMEs के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म आसान बनाना।
- ASEAN के डिजिटल बाजार और GCC के निवेश को जोड़ना।
हरित ऊर्जा और टिकाऊ विकास
जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए ASEAN और GCC ने हरित ऊर्जा साझेदारी पर बल दिया। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और हाइड्रोजन परियोजनाएँ इस सहयोग का केंद्र रहीं। GCC ने ASEAN देशों को ऊर्जा-तकनीक में सहयोग देने का वादा किया जबकि ASEAN ने हरित नवाचार साझा करने पर सहमति जताई।
- GCC की ऊर्जा विशेषज्ञता और ASEAN के नवाचार को मिलाना।
- सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर सहयोग।
- ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक साझा करना।
- कार्बन उत्सर्जन घटाने के साझा लक्ष्य।
- क्लाइमेट-फ्रेंडली नीतियों को मजबूत करना।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को ध्यान में रखना।
सप्लाई चेन विविधीकरण की रणनीति
वैश्विक महामारी और भू-राजनीतिक तनाव ने सप्लाई चेन को अस्थिर किया है। इस सम्मेलन में दोनों ब्लॉक्स ने सप्लाई चेन विविधीकरण की रणनीति अपनाई। इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, दवाओं की आपूर्ति और टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स के व्यापार को सुरक्षित करना है।
- वैश्विक संकटों ने सप्लाई चेन की कमज़ोरियाँ उजागर कीं।
- ASEAN और GCC ने सप्लाई चेन को विविध बनाने का निर्णय लिया।
- खाद्य सुरक्षा और दवाइयों की आपूर्ति प्राथमिकता में।
- टेक्नोलॉजी उत्पादों के उत्पादन में सहयोग।
- वैकल्पिक व्यापार मार्ग विकसित करने का समझौता।
- लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को सुदृढ़ बनाने पर चर्चा।
MSMEs और निजी निवेश के अवसर
MSMEs किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। ASEAN और GCC ने MSMEs को वित्तीय सहायता, निवेश प्रोत्साहन और टेक्नोलॉजी सहयोग देने पर सहमति जताई। साथ ही, सार्वजनिक-निजी निवेश परियोजनाओं में निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिए नए कदमों की घोषणा की गई।
- MSMEs दोनों क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा।
- उन्हें वित्तीय सहायता और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देने का वादा।
- निवेश आकर्षित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज।
- स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए इनोवेशन हब की स्थापना।
- निजी पूंजी को PPP परियोजनाओं में जोड़ना।
- MSMEs को वैश्विक सप्लाई चेन में शामिल करने की रणनीति।
शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग
दोनों ब्लॉक्स ने शिक्षा और संस्कृति को दीर्घकालिक साझेदारी का आधार बताया। इसमें स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, सांस्कृतिक महोत्सव और रिसर्च प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने पर बल दिया गया। इससे न केवल अकादमिक सहयोग बढ़ेगा बल्कि नागरिकों के बीच रिश्ते भी गहरे होंगे।
- छात्रवृत्ति और रिसर्च एक्सचेंज प्रोग्राम की घोषणा।
- ASEAN और GCC विश्वविद्यालयों के बीच MoU साइन।
- सांस्कृतिक महोत्सव और कला प्रदर्शनी आयोजित करने का निर्णय।
- भाषा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
- इतिहास और संस्कृति पर संयुक्त शोध को प्रोत्साहन।
- नागरिकों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करना।
People-to-People Ties का महत्व
सम्मेलन में लोगों के बीच जुड़ाव को विशेष महत्व दिया गया। पर्यटन, कार्यबल आदान-प्रदान और सांस्कृतिक सहभागिता को बढ़ावा देकर दोनों क्षेत्रों के बीच गहरे रिश्ते बनाए जाएंगे। इसका असर आर्थिक और सामाजिक सहयोग दोनों पर सकारात्मक पड़ेगा।
- नागरिक स्तर पर रिश्ते बनाने पर ज़ोर।
- पर्यटन आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- युवा और महिलाओं के बीच सहयोग कार्यक्रम।
- वर्कफोर्स मोबिलिटी समझौते पर चर्चा।
- सांस्कृतिक यात्राएँ और खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित करना।
- सामाजिक विश्वास और आपसी समझ बढ़ाना।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)
PPP मॉडल को इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अहम माना गया। दोनों ब्लॉक्स ने PPP निवेश ढाँचे को और आकर्षक बनाने का संकल्प लिया। इससे सड़क, बंदरगाह, ऊर्जा संयंत्र और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में नई परियोजनाएँ शुरू होंगी।
- इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए PPP मॉडल अहम।
- ऊर्जा संयंत्र और बंदरगाह परियोजनाओं में निवेश।
- डिजिटल और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स पर सहयोग।
- निजी क्षेत्र को नीति-निर्माण में शामिल करना।
- PPP मॉडल से दीर्घकालिक परियोजनाएँ सफल बनाना।
- रोजगार सृजन और तकनीकी विकास को बढ़ावा।
हलाल फूड और पर्यटन क्षेत्र
GCC हलाल फूड का सबसे बड़ा बाज़ार है जबकि ASEAN उसका प्रमुख निर्यातक। इस क्षेत्र में सहयोग दोनों ब्लॉक्स को आर्थिक लाभ देगा। साथ ही, पर्यटन क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया गया जिसमें मेडिकल टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म और धार्मिक पर्यटन प्रमुख हैं।
- GCC हलाल फूड का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार।
- ASEAN उसका प्रमुख उत्पादक और निर्यातक।
- हलाल मानकों को एकसमान बनाने का समझौता।
- धार्मिक और मेडिकल पर्यटन पर विशेष ध्यान।
- ASEAN के प्राकृतिक पर्यटन और GCC की हज-उमराह सेवाओं का जोड़।
- पर्यटन में नए निवेश अवसर पैदा करना।
संभावित Free Trade Agreement (FTA)
सम्मेलन में ASEAN-GCC FTA (Free Trade Agreement) की संभावना पर चर्चा हुई। अगर यह लागू होता है तो व्यापार और निवेश में ऐतिहासिक उछाल आएगा।
- ASEAN और GCC ने FTA की संभावनाओं पर चर्चा की।
- व्यापार बाधाओं को कम करना इसका उद्देश्य।
- हलाल फूड, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों को प्राथमिकता।
- अगर लागू हुआ तो व्यापार और निवेश कई गुना बढ़ेगा।
- ASEAN को नए बाज़ार मिलेंगे और GCC को तकनीकी साझेदारी।
- दोनों के बीच आर्थिक साझेदारी का स्तर और गहरा होगा।
राजनीतिक संवाद और क्षेत्रीय स्थिरता
ASEAN और GCC दोनों ने अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने का संकल्प लिया। यह संवाद वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- अंतर्राष्ट्रीय नियमों के पालन पर सहमति।
- राजनीतिक संवाद को नियमित बनाने का निर्णय।
- क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को प्राथमिकता।
- आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर सहयोग।
- वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिरता को मजबूत करना।
- ASEAN की "Centrality" और GCC की "Regional Stability" को जोड़ना।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
हालाँकि सहयोग के अवसर व्यापक हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी हैं। इनमें वैश्विक मंदी, ऊर्जा संकट और सुरक्षा खतरे शामिल हैं। फिर भी, सम्मेलन ने इन चुनौतियों का सामूहिक समाधान खोजने की दिशा में ठोस पहल की।
- वैश्विक मंदी और ऊर्जा संकट बड़ी चुनौती।
- सुरक्षा खतरों और भू-राजनीतिक तनावों का प्रभाव।
- सप्लाई चेन व्यवधान से निपटने की आवश्यकता।
- डिजिटल सहयोग में साइबर सुरक्षा चिंता।
- फिर भी, अवसर बहुत व्यापक और दीर्घकालिक हैं।
- साझेदारी का भविष्य उज्ज्वल माना जा रहा है।
निष्कर्ष: साझेदारी का नया युग
ASEAN-GCC Summit 2025 ने यह साबित कर दिया कि जब दो क्षेत्रीय शक्तियाँ मिलती हैं तो वैश्विक सहयोग की नई दिशा तय होती है। यह सम्मेलन न केवल आर्थिक साझेदारी बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक सहयोग का भी नया अध्याय है।
- ASEAN-GCC Summit 2025 ऐतिहासिक महत्व रखता है।
- व्यापार, ऊर्जा और डिजिटल सहयोग नई ऊँचाइयों पर पहुँचे।
- शिक्षा और संस्कृति से रिश्तों की गहराई बढ़ी।
- FTA और PPP भविष्य के लिए आधार तैयार करेंगे।
- यह सम्मेलन वैश्विक सहयोग का नया मॉडल पेश करता है।
- आने वाले वर्षों में ASEAN-GCC रिश्ते और मजबूत होंगे।
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