सिविल सेवा के लिए आवश्यक अभिरुचि एवं बुनियादी मूल्य

सिविल सेवा के लिए आवश्यक अभिरुचि एवं बुनियादी मूल्य(Aptitude and core values required for civil service)

परिचय: सिविल सेवकों की भूमिका और अपेक्षित गुण

सिविल सेवा न केवल शासन-प्रशासन की रीढ़ है, बल्कि यह लोक कल्याण और राष्ट्र निर्माण की धुरी भी है। एक सिविल सेवक को विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए जनहित को सर्वोपरि रखना होता है। अतः इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उसमें कुछ विशेष अभिरुचियाँ (Aptitudes) और बुनियादी मूल्य (Core Values) आवश्यक होते हैं, जो उसकी व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक दक्षता को परिभाषित करते हैं।


1. सिविल सेवा के लिए आवश्यक अभिरुचियाँ

(क) विश्लेषणात्मक क्षमता (Analytical Ability)

समस्याओं का गहन मूल्यांकन कर समाधान निकालने की तार्किक योग्यता, जो जटिल परिस्थितियों में स्पष्ट निर्णय ले पाने में सहायक हो।

(ख) निर्णय लेने की क्षमता (Decision-Making Ability)

दबावपूर्ण परिस्थितियों में भी त्वरित, न्यायसंगत और प्रभावी निर्णय लेने की दक्षता।

(ग) नेतृत्व गुण (Leadership Skills)

टीम का संचालन, जनसंपर्क, जनसहभागिता और प्रेरणादायक नेतृत्व का प्रदर्शन आवश्यक होता है।

(घ) संप्रेषण कौशल (Communication Skills)

स्पष्ट, सटीक और प्रभावशाली लिखित तथा मौखिक संप्रेषण का ज्ञान जिससे नीतियों का सफल क्रियान्वयन हो सके।

(ङ) सहानुभूति और संवेदनशीलता (Empathy and Sensitivity)

जनता की समस्याओं को समझने और उन्हें न्यायपूर्ण ढंग से निपटाने की संवेदनशील प्रवृत्ति।

(च) अनुकूलनशीलता (Adaptability)

विभिन्न भौगोलिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक परिस्थितियों में स्वयं को ढालने की योग्यता।


2. सिविल सेवकों के बुनियादी मूल्य

(क) सत्यनिष्ठा (Integrity)

निजी और व्यावसायिक जीवन में ईमानदारी, पारदर्शिता और नैतिक आचरण की सर्वोच्च प्राथमिकता।

(ख) निष्पक्षता (Impartiality)

जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव किए बिना निर्णय लेना

(ग) कर्तव्यपरायणता (Commitment to Duty)

अपने उत्तरदायित्वों को समयबद्ध, प्रभावी और संवेदनशील रूप में निभाने की भावना।

(घ) उत्तरदायित्व और जवाबदेही (Accountability)

जनता के प्रति उत्तरदायी और पारदर्शी प्रशासन देना, तथा अपने कार्यों के लिए स्वयं उत्तरदायी बनना।

(ङ) लोकहित की भावना (Public Interest Orientation)

अपने निर्णयों और कार्यों में सदैव जनहित को प्राथमिकता देना

(च) टीम भावना और समन्वय (Team Spirit & Coordination)

विभिन्न विभागों, अधिकारियों और आम नागरिकों के साथ संगठनात्मक तालमेल बनाए रखना।


3. संविधान और प्रशासनिक आचरण संहिता के अनुरूप मूल्य

भारतीय संविधान और सिविल सेवा आचरण संहिता एक सिविल सेवक के लिए नैतिक मार्गदर्शन का कार्य करती है। इनमें उल्लिखित मूल्य जैसे धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, समानता, लोकतंत्र में विश्वास आदि, सिविल सेवकों की कार्यशैली का अभिन्न अंग होने चाहिए।


4. अभिरुचियों एवं मूल्यों का विकास कैसे करें

(1) नैतिक शिक्षा और आत्ममंथन

नैतिकता और मूल्यों की समझ को विकसित करने हेतु स्वयं के व्यवहार का विश्लेषण और चिंतन

(2) केस स्टडी और रियल-लाइफ उदाहरणों का अध्ययन

प्रशासनिक निर्णयों से जुड़े उदाहरणों, केस स्टडीज से सीखना कि कैसे मूल्यों का पालन किया जाता है।

(3) सामाजिक कार्यों में भागीदारी

स्वयंसेवा, समाज सेवा या NGO गतिविधियों में शामिल होकर सामाजिक अभिरुचियों का विकास करना।

(4) नेतृत्व और संवाद में अभ्यास

डिबेट, ग्रुप डिस्कशन, मॉडल UN जैसे मंचों से संचार, तर्क और नेतृत्व कौशल का विकास करना।


5. सिविल सेवा परीक्षा में अभिरुचियों का मूल्यांकन

(क) सामान्य अध्ययन - नैतिकता पेपर (GS Paper IV)

इस पेपर में अभ्यर्थियों की नैतिक सोच, निर्णय लेने की क्षमता, सहानुभूति, ईमानदारी आदि की सैद्धांतिक व व्यावहारिक समझ का परीक्षण किया जाता है।

(ख) व्यक्तित्व परीक्षण (Interview)

साक्षात्कार में उम्मीदवार की वैयक्तिकता, मूल्यों, मानसिक संतुलन और नेतृत्व क्षमता का आंकलन किया जाता है।


6. श्रेष्ठ सिविल सेवकों के जीवन से प्रेरणा

(1) टी. एन. शेषन

चुनाव सुधारों में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले इस पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा आदर्श हैं।

(2) कुरियन वर्गीस

भारत में श्वेत क्रांति के जनक, जिन्होंने योजनाओं को जनभागीदारी से जोड़कर लोकहित और नवाचार को प्रशासकीय सफलता में बदला।

(3) अंशु गुप्ता (Goonj)

हालाँकि सिविल सेवक नहीं, लेकिन इनका कार्य समाजसेवा और प्रशासनिक सोच का अद्भुत उदाहरण है।


निष्कर्ष: सिविल सेवकों के लिए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक

सिविल सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। इसके लिए आवश्यक है कि अभ्यर्थी के पास नैतिक मूल्यों, सामाजिक संवेदनशीलता और प्रशासनिक कौशलों का समुचित संतुलन हो। अभिरुचियाँ और बुनियादी मूल्य केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि सतत लोकसेवा के लिए आवश्यक होते हैं।

ऐसे अभ्यर्थी ही भविष्य में ईमानदार, संवेदनशील, दक्ष और जिम्मेदार प्रशासक बनकर देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ