असहयोग आंदोलन
(Non-Cooperation Movement) 1920–1922
असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसे महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाया गया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन का अहिंसात्मक विरोध करने और भारतीय जनता को संगठित करने के लिए था।
असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि
- साल: 1920–1922
- नेता: महात्मा गांधी
- प्रेरणा:
रौलट एक्ट (1919) के विरोध में भारतीयों ने आंदोलन की आवश्यकता महसूस की।
खिलाफत आंदोलन – मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा और ब्रिटिश विरोध में एकजुटता।
असहयोग आंदोलन के उद्देश्य
- ब्रिटिश शासन का अहिंसात्मक विरोध।
- स्वदेशी और स्वशासन को बढ़ावा देना।
- जनता में राजनीतिक जागरूकता और संगठन।
- विदेशी वस्तुओं और सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार।
मुख्य रणनीतियाँ और गतिविधियाँ
| रणनीति/गतिविधि | विवरण | 
|---|---|
| सरकारी सेवाओं का बहिष्कार | भारतीयों ने सरकारी नौकरियों और ब्रिटिश शिक्षा संस्थानों से बहिष्कार किया। | 
| विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार | ब्रिटिश वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार, देशी उद्योगों को प्रोत्साहन। | 
| सत्याग्रह और अहिंसा | शांति और अहिंसात्मक विरोध के माध्यम से आंदोलन। | 
| कानूनी प्रणाली से बहिष्कार | ब्रिटिश अदालतों और न्यायिक प्रक्रियाओं से दूर रहना। | 
| स्वदेशी प्रचार | राष्ट्रीय जागरूकता बढ़ाने के लिए समाचार पत्र, भाषण और समाजिक सभा। | 
प्रमुख नेता और योगदान
| नेता का नाम | योगदान | 
|---|---|
| महात्मा गांधी | आंदोलन के मुख्य नेता, सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से जनता को संगठित किया। | 
| पंडित जवाहरलाल नेहरू | युवा नेतृत्व, संगठन और प्रचार में सक्रिय। | 
| सरोजिनी नायडू | महिलाओं को आंदोलन में शामिल किया और राष्ट्रीय चेतना बढ़ाई। | 
| सुभाष चंद्र बोस | युवाओं और छात्र संगठन को जोड़कर आंदोलन को बल दिया। | 
असहयोग आंदोलन के प्रभाव
राजनीतिक प्रभाव:
- कांग्रेस ने भारतीय जनता को संगठित किया।
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में युवाओं और ग्रामीण जनता की भागीदारी बढ़ी।
- समाज में अहिंसात्मक विरोध और नागरिक जिम्मेदारी की भावना विकसित हुई।
- महिलाओं और किसानों ने आंदोलन में सक्रिय भागीदारी दिखाई।
- स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा।
- विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से भारतीय उद्योग और कारीगर सक्रिय हुए।
असहयोग आंदोलन का अंत
- कारण:
- 1922 में चौरी-चौरा कांड, जिसमें आंदोलनकारी हिंसात्मक हो गए, के कारण महात्मा गांधी ने आंदोलन को तत्काल प्रभाव से रोक दिया। 
आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनता को संगठित किया और स्वदेशी और अहिंसा के सिद्धांत को मजबूती दी।
निष्कर्ष
असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पहला व्यापक आंदोलन था, जिसने सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से जनता में राजनीतिक चेतना पैदा की। इस आंदोलन ने भारतीयों को यह सिखाया कि शांति और संगठित विरोध के जरिए ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी जा सकती है।
 
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