भारत के प्रमुख बाँध

भारत के प्रमुख बाँध

परिचय(Introduction)

भारत में नदी जल प्रबंधन, सिंचाई, विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के लिए अनेक बाँध (Dams) बनाए गए हैं। इन्हें देश की “आधुनिक नदियों के मंदिर” कहा जाता है। भारत में लगभग 5,700 से अधिक बड़े बाँध और सैकड़ों छोटे बाँध मौजूद हैं, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े बाँध नेटवर्क वाले देशों में शामिल करते हैं।


🏞️ बाँधों का महत्व

  • सिंचाई – कृषि भूमि को नियमित जल आपूर्ति।
  • जलविद्युत उत्पादन – सस्ती और नवीकरणीय ऊर्जा।
  • बाढ़ नियंत्रण – नदियों के जल प्रवाह को नियंत्रित करना।
  • जल आपूर्ति – पेयजल और औद्योगिक जल आपूर्ति।
  • मत्स्य पालन और पर्यटन – रोजगार और विकास के साधन।


⚡ भारत के प्रमुख बाँधों की सूची

बाँध का नाम नदी राज्य विशेषता / महत्व
हीराकुंड बाँध महानदी ओडिशा एशिया का सबसे लंबा बाँध (25.8 किमी)।
भाखड़ा नांगल बाँध सतलज हिमाचल प्रदेश / पंजाब एशिया का सबसे ऊँचा बाँध (तकरीबन 226 मीटर)।
टिहरी बाँध भागीरथी उत्तराखंड भारत का सबसे ऊँचा बाँध (260 मीटर), जलविद्युत उत्पादन में अग्रणी।
सरदार सरोवर बाँध नर्मदा गुजरात नर्मदा घाटी परियोजना का हिस्सा, पेयजल और सिंचाई में उपयोगी।
नगरजुनसागर बाँध कृष्णा तेलंगाना विश्व का सबसे बड़ा पत्थर निर्मित बाँध।
इडुक्की बाँध पेरियार केरल आर्क (Arch) प्रकार का बाँध, विद्युत उत्पादन में प्रसिद्ध।
मेट्टूर बाँध कावेरी तमिलनाडु दक्षिण भारत का सबसे पुराना बाँध (1934)।
रिहंद बाँध रिहंद उत्तर प्रदेश उत्तरी भारत का सबसे बड़ा बहुउद्देशीय बाँध।
मूला बाँध मूलामाथा नदी महाराष्ट्र पेयजल और सिंचाई के लिए प्रमुख।
राणाप्रताप सागर बाँध चंबल राजस्थान चंबल घाटी परियोजना का हिस्सा।
मैथन बाँध बराकर झारखंड बाढ़ नियंत्रण और विद्युत उत्पादन।
पोंगा बाँध ब्यास हिमाचल प्रदेश ब्यास परियोजना का मुख्य बाँध।

📊 आँकड़े (2025 तक)

  • कुल 5,745 बड़े बाँध (CWC – Central Water Commission के अनुसार)।
  • निर्माणाधीन बाँध – लगभग 450।
  • सबसे ऊँचा बाँध – टिहरी बाँध (260 मीटर)।
  • सबसे लंबा बाँध – हीराकुंड बाँध (25.8 किमी)।
  • सबसे पुराना बाँध – ग्रैंड अनिकट / कल्लनई बाँध (कावेरी नदी पर, तमिलनाडु, 2री शताब्दी ईस्वी)।


🌍 बाँध परियोजनाओं का महत्व

  1. हरित क्रांति में योगदान – पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधा।
  2. औद्योगिक विकास – जलविद्युत से उद्योगों को ऊर्जा।
  3. पर्यावरणीय महत्व – मत्स्य पालन और वन्यजीव संरक्षण।
  4. पर्यटन – टिहरी झील, इडुक्की झील आदि।


⚠️ बाँधों से जुड़ी चुनौतियाँ

  • विस्थापन और पुनर्वास की समस्या।
  • नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक असर।
  • गाद जमाव (Siltation) की समस्या।
  • कभी-कभी भूकंपीय क्षेत्रों में सुरक्षा का खतरा।


✅ भविष्य की दिशा

  • स्मार्ट डैम मैनेजमेंट – सैटेलाइट और IoT आधारित निगरानी।
  • पर्यावरण-अनुकूल बाँध निर्माण
  • जल संरक्षण और पुनर्चक्रण पर अधिक ध्यान।
  • सौर ऊर्जा संयोजन – बाँध जलाशयों पर तैरते हुए सोलर पैनल।


निष्कर्ष

भारतीय बाँध केवल जल संचयन और सिंचाई तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे देश के आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और सामाजिक कल्याण के भी प्रतीक हैं। यदि इनका वैज्ञानिक और सतत प्रबंधन किया जाए तो ये आने वाले दशकों में भारत की जल और ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरी तरह पूरा कर सकते हैं।



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