भारत के प्रमुख झरने

भारत के प्रमुख झरने

भौगोलिक विशेषताएँ, ऊँचाई और प्रसिद्धि

भारत प्राकृतिक सौंदर्य का खज़ाना है और इसमें झरनों (Waterfalls) का अपना विशेष महत्व है। पहाड़ों, पठारों और नदियों से गिरते झरने न केवल मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं, बल्कि पर्यटन, जलविद्युत उत्पादन और पारिस्थितिकी के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।


भारत के झरनों का वर्गीकरण

भारत के झरनों को उनकी संरचना के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. झरने जो कठोर चट्टानों से गिरते हैं – जैसे जोग झरना, दूधसागर।
  2. सीढ़ीदार झरने (Cascading) – जैसे हंड्रू झरना, केंचकी झरना।
  3. पंखाकार झरने (Fan shaped) – जैसे कुण्ड्रु झरना।
  4. अवरोही झरने (Plunge waterfalls) – जैसे नोहकलिकाई झरना।


भारत के प्रमुख झरने (तालिका सहित)

झरने का नाम स्थान (राज्य) नदी/स्रोत ऊँचाई प्रसिद्धि के लिए
जोग फॉल्स (गरसोप्पा) कर्नाटक शरावती नदी 253 मीटर भारत का दूसरा सबसे ऊँचा झरना, चार धाराओं – राजा, रानी, रोरर और रॉकेट – में गिरता है
नोहकलिकाई फॉल्स मेघालय (चेरापूंजी) स्थानीय झरना 340 मीटर भारत का सबसे ऊँचा प्लंज झरना, घने वर्षा वनों से घिरा
दूधसागर झरना गोवा–कर्नाटक सीमा मांडवी नदी 310 मीटर दूध जैसी सफेद धारा, रेलवे ट्रैक से दिखने वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
अथिराप्पिली झरना केरल चालाकुडी नदी 80 मीटर “भारत का नियाग्रा फॉल्स” कहलाता है, फ़िल्मों की शूटिंग के लिए प्रसिद्ध
हंड्रू फॉल्स झारखंड (रांची) स्वर्णरेखा नदी 98 मीटर सीढ़ीनुमा चट्टानों से गिरता झरना, झारखंड का प्रमुख आकर्षण
भेरे झरना ओडिशा महानदी की सहायक नदी 130 मीटर ओडिशा का सुंदरतम झरना, पर्यटन स्थल
कैन्ची झरना छत्तीसगढ़ मुनगेली क्षेत्र 130 मीटर घने जंगलों में स्थित, साहसिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध
केन्चकी (कैन्चकी) झरना छत्तीसगढ़ पर्वतीय धारा 55 मीटर प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली के लिए प्रसिद्ध
चित्रकोट झरना छत्तीसगढ़ (जगदलपुर) इंद्रावती नदी 29 मीटर “भारत का नियाग्रा” कहलाता है, चौड़ा और विशाल झरना
शिवसमुद्रम झरना कर्नाटक कावेरी नदी 98 मीटर जलविद्युत उत्पादन का केंद्र, द्विधारा में विभाजित झरना

झरनों का आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व

  1. पर्यटन – जोग फॉल्स, दूधसागर और नोहकलिकाई झरने देशी–विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  2. जलविद्युत उत्पादन – शिवसमुद्रम और भेरे जैसे झरनों से ऊर्जा उत्पादन होता है।
  3. स्थानीय अर्थव्यवस्था – पर्यटन से जुड़े व्यवसाय और रोजगार।
  4. सांस्कृतिक महत्व – कई झरने धार्मिक और लोककथाओं से जुड़े हुए हैं।


झरनों से जुड़ी चुनौतियाँ

  1. जलवायु परिवर्तन – वर्षा की अनिश्चितता से झरनों का जल प्रवाह प्रभावित।
  2. पर्यटन का दबाव – अतिक्रमण और प्रदूषण की समस्या।
  3. वन कटाई – पारिस्थितिकी असंतुलन।
  4. औद्योगिक गतिविधियाँ – कई झरनों की जल गुणवत्ता पर असर।


निष्कर्ष

भारत के प्रमुख झरने न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन का स्रोत हैं, बल्कि यह देश की जलवायु, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यदि इनका सतत संरक्षण और प्रबंधन किया जाए, तो ये झरने आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अपनी अद्वितीय पहचान बनाए रखेंगे।



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