भारत के ऊर्जा संसाधन

 भारत के ऊर्जा संसाधन

प्रकार, वितरण और महत्व

भारत की अर्थव्यवस्था और विकास का सबसे बड़ा आधार ऊर्जा संसाधन हैं। चाहे वह उद्योग हो, परिवहन, कृषि या घरों की आवश्यकता – ऊर्जा हर क्षेत्र में आवश्यक है। भारत जैसे विशाल और जनसंख्या वाले देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण विषय है।


🔋 ऊर्जा संसाधनों के प्रकार

1. पारंपरिक ऊर्जा संसाधन (Conventional Energy Sources)

ये वे संसाधन हैं जिनका उपयोग लंबे समय से होता आया है और जो देश की ऊर्जा खपत का मुख्य आधार हैं।

(a) कोयला (Coal)

  • भारत में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत।
  • क्षेत्र – झारखंड (झरिया, बोकारो), छत्तीसगढ़ (कोरबा), ओडिशा (तालचेर), पश्चिम बंगाल (रानीगंज)।
  • उपयोग – थर्मल पावर, इस्पात और सीमेंट उद्योग।
  • भारत का स्थान – विश्व में 5वाँ सबसे बड़ा उत्पादक।

(b) पेट्रोलियम (Petroleum / Crude Oil)

  • ऊर्जा और परिवहन का मुख्य स्रोत।
  • क्षेत्र – असम (डिगबोई, नाहरकटिया), गुजरात (अंकेलेश्वर), मुंबई हाई, आंध्र प्रदेश।
  • उपयोग – ईंधन (डीजल, पेट्रोल), पेट्रोकेमिकल उद्योग।

(c) प्राकृतिक गैस (Natural Gas)

  • क्षेत्र – मुंबई हाई, कृष्णा-गोदावरी बेसिन, असम, गुजरात।
  • उपयोग – बिजली उत्पादन, घरेलू ईंधन (CNG, PNG)।

(d) विद्युत ऊर्जा (Electricity)

  • थर्मल पावर – कोयला आधारित।
  • हाइड्रो पावर – नदियों और बाँधों से। (भाखड़ा-नंगल, हीराकुंड, टिहरी)
  • न्यूक्लियर पावर – यूरेनियम और थोरियम आधारित (कुडनकुलम, तारापुर, रावतभाटा)।


2. गैर-पारंपरिक ऊर्जा संसाधन (Non-Conventional / Renewable Energy Sources)

ये संसाधन पर्यावरण के अनुकूल, नवीकरणीय और भविष्य के लिए स्थायी माने जाते हैं।

(a) सौर ऊर्जा (Solar Energy)

  • क्षेत्र – राजस्थान (भादला), गुजरात, आंध्र प्रदेश।
  • भारत का लक्ष्य – 2030 तक 280 GW सौर क्षमता।

(b) पवन ऊर्जा (Wind Energy)

  • क्षेत्र – तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक।
  • भारत का स्थान – विश्व में चौथे स्थान पर।

(c) ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)

  • क्षेत्र – गुजरात (कच्छ की खाड़ी), पश्चिम बंगाल (सुंदरबन)।

(d) भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)

  • क्षेत्र – लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, झारखंड।

(e) बायोगैस और बायोमास ऊर्जा

  • ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर, कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन।
  • उपयोग – खाना पकाने, घरेलू ईंधन और छोटे उद्योग।


📊 भारत की ऊर्जा स्थिति (2023-24 के आँकड़े अनुसार)

  • कुल स्थापित बिजली क्षमता – लगभग 420 GW।
ऊर्जा मिश्रण (Share in Power Generation):
  • थर्मल पावर (कोयला, गैस, तेल) – ~57%
  • हाइड्रो पावर – ~11%
  • न्यूक्लियर पावर – ~2%
  • नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, बायोमास) – ~30%

🌍 भारत के प्रमुख ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र

  1. कोयला क्षेत्र – झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़।
  2. तेल और गैस क्षेत्र – मुंबई हाई, असम, गुजरात, कृष्णा-गोदावरी बेसिन।
  3. जलविद्युत क्षेत्र – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश।
  4. न्यूक्लियर पावर – तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश।
  5. सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र – राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक।


⚠️ ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • कोयला और तेल पर अत्यधिक निर्भरता।
  • ऊर्जा संसाधनों का असमान वितरण।
  • प्रदूषण और पर्यावरणीय संकट।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश की आवश्यकता।
  • ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में ऊर्जा उपलब्धता की कमी।


✅ समाधान और सुधार

  1. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना।
  2. ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए तकनीकी सुधार।
  3. विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना (विशेषकर कच्चे तेल में)।
  4. राष्ट्रीय सौर मिशन और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार।
  5. स्मार्ट ग्रिड और हरित ऊर्जा की ओर कदम।


निष्कर्ष

भारत के ऊर्जा संसाधन उसकी आर्थिक और औद्योगिक प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पारंपरिक संसाधनों ने अब तक विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाया है, लेकिन आने वाले समय में नवीकरणीय ऊर्जा ही भविष्य की कुंजी होगी। यदि हम ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग और संसाधनों का संरक्षण करें तो भारत आत्मनिर्भर ऊर्जा राष्ट्र बन सकता है।



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