भारत की प्रमुख झीलें
भौगोलिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
भारत अपनी विविध भौगोलिक संरचना और प्राकृतिक संपदाओं के लिए प्रसिद्ध है। नदियों, पर्वतों और मैदानों की तरह झीलें भी भारत की प्राकृतिक सुंदरता और पारिस्थितिकी का अहम हिस्सा हैं। झीलें न केवल जल भंडारण का कार्य करती हैं, बल्कि कृषि, मत्स्य पालन, पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी प्रमुख केंद्र होती हैं।
भारत की झीलों का वर्गीकरण
भारत की झीलों को उनकी उत्पत्ति और संरचना के आधार पर विभिन्न प्रकारों में बाँटा जाता है:
- हिमनदीय झीलें – हिमालयी क्षेत्रों में पिघलते हिमनदों से बनी झीलें (जैसे – दल झील, वुलर झील)।
- ज्वालामुखीय झीलें – ज्वालामुखीय गतिविधियों से बनी झीलें (जैसे – लोणार झील, महाराष्ट्र)।
- लवणीय झीलें – इनमें खारे पानी का संचय होता है (जैसे – सांभर झील, राजस्थान)।
- कृत्रिम झीलें – मानव निर्मित जलाशय (जैसे – गोविंद सागर झील, हिमाचल प्रदेश)।
- मीठे पानी की झीलें – जिनमें पेयजल और सिंचाई योग्य मीठा पानी होता है (जैसे – वेण्णाड झील, केरल)।
भारत की प्रमुख झीलें
1. वुलर झील (जम्मू-कश्मीर)
- एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील।
- यह झील झेलम नदी से जुड़ी हुई है।
- मत्स्य पालन और जल पक्षियों के लिए प्रसिद्ध।
2. दल झील (श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर)
- “श्रीनगर का आभूषण” कहलाती है।
- यहाँ की शिकारे और हाउसबोट विश्व प्रसिद्ध हैं।
- पर्यटन और मत्स्य पालन का मुख्य केंद्र।
3. चिल्का झील (ओडिशा)
- एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून झील।
- यह झील बंगाल की खाड़ी से जुड़ी है।
- प्रवासी पक्षियों का महत्वपूर्ण ठिकाना।
4. सांभर झील (राजस्थान)
- भारत की सबसे बड़ी लवणीय झील।
- यहाँ से नमक उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
5. लोणार झील (महाराष्ट्र)
- एक दुर्लभ ज्वालामुखीय क्रेटर झील।
- वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण।
6. वेण्णाड झील (केरल)
- दक्षिण भारत की सबसे बड़ी झील।
- बैकवाटर पर्यटन और नौका विहार के लिए प्रसिद्ध।
7. पुलिकट झील (आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु)
- भारत की दूसरी सबसे बड़ी लैगून झील।
- प्रवासी पक्षियों का मुख्य केंद्र।
8. गोविंद सागर झील (हिमाचल प्रदेश)
- भाखड़ा नांगल बाँध के निर्माण से बनी कृत्रिम झील।
- सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए उपयोगी।
9. नैनी झील (उत्तराखंड)
- नैनीताल शहर का प्रमुख आकर्षण।
- हिमालयी क्षेत्र की प्रसिद्ध पर्यटन झील।
10. लोकतक झील (मणिपुर)
- उत्तर-पूर्व भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील।
- यहाँ फुमडी (तैरते द्वीप) पाए जाते हैं।
| झील का नाम | स्थान (राज्य) | प्रकार | ऊँचाई/स्थिति | प्रसिद्धि के लिए | 
|---|---|---|---|---|
| वुलर झील | जम्मू-कश्मीर | हिमनदीय (मीठा पानी) | समुद्र तल से लगभग 1,580 मीटर ऊँचाई पर | एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील, मत्स्य पालन और पक्षी अभयारण्य | 
| दल झील | श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) | हिमनदीय | 1,583 मीटर ऊँचाई पर | शिकारे, हाउसबोट और पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध | 
| चिल्का झील | ओडिशा | लैगून (खारा पानी) | समुद्र तटीय क्षेत्र, बंगाल की खाड़ी से जुड़ी | एशिया की सबसे बड़ी लैगून झील, प्रवासी पक्षियों और डॉल्फ़िन के लिए प्रसिद्ध | 
| सांभर झील | राजस्थान | लवणीय झील | शुष्क क्षेत्र, समुद्र तल से लगभग 360 मीटर | भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील, नमक उत्पादन का केंद्र | 
| लोणार झील | महाराष्ट्र (बुलढाणा जिला) | ज्वालामुखीय क्रेटर झील | 500 मीटर गहरी, बेसाल्टिक पठार पर | दुर्लभ उल्कापिंड/ज्वालामुखीय क्रेटर, वैज्ञानिक अध्ययन के लिए प्रसिद्ध | 
| वेण्णाड (वेम्बनाड) झील | केरल | लैगून (मीठा और खारा दोनों) | केरल के तटवर्ती क्षेत्र में | दक्षिण भारत की सबसे बड़ी झील, बैकवॉटर पर्यटन और नौका दौड़ के लिए प्रसिद्ध | 
| पुलिकट झील | आंध्र प्रदेश–तमिलनाडु | लैगून झील | बंगाल की खाड़ी से सटी | भारत की दूसरी सबसे बड़ी लैगून झील, पक्षी विहार के लिए प्रसिद्ध | 
| गोविंद सागर झील | हिमाचल प्रदेश | कृत्रिम झील (बाँध से निर्मित) | सतलज नदी पर, भाखड़ा नांगल बाँध से बनी | जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए महत्त्वपूर्ण | 
| नैनी झील | नैनीताल (उत्तराखंड) | मीठे पानी की झील | समुद्र तल से लगभग 2,084 मीटर ऊँचाई पर | पर्यटन स्थल, नैनीताल शहर का प्रमुख आकर्षण | 
| लोकतक झील | मणिपुर | मीठे पानी की झील | समुद्र तल से लगभग 768 मीटर पर | उत्तर-पूर्व भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील, तैरते द्वीप (फुमडी) के लिए प्रसिद्ध | 
झीलों का आर्थिक महत्व
- कृषि और सिंचाई – झीलें जल भंडारण का कार्य करती हैं।
- मत्स्य पालन – ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहायक।
- नमक उत्पादन – खासकर लवणीय झीलों से।
- पर्यटन – दल झील, चिल्का झील और नैनी झील जैसे स्थल।
- जलविद्युत उत्पादन – कृत्रिम झीलों से।
झीलों का सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व
- कई झीलें धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं (जैसे – पुष्कर झील, राजस्थान)।
- झीलें पक्षियों और जलीय जीवों की जैव विविधता को संरक्षित करती हैं।
- ये क्षेत्र पर्यटन और स्थानीय संस्कृति को भी समृद्ध करते हैं।
चुनौतियाँ
- प्रदूषण और गाद जमाव – औद्योगिक और शहरी अपशिष्ट से झीलों का जल प्रदूषित।
- अत्यधिक दोहन – मत्स्य पालन और पर्यटन का दबाव।
- जलवायु परिवर्तन – जलस्तर में कमी और पारिस्थितिकी पर असर।
- शहरीकरण – झीलों का सिकुड़ना और अवैध अतिक्रमण।
निष्कर्ष
भारत की प्रमुख झीलें केवल प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पारिस्थितिकी का भी आधार हैं। ये झीलें पर्यटन, सिंचाई, मत्स्य पालन और ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अतः इनका संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन समय की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन प्राकृतिक धरोहरों का लाभ उठा सकें।
 
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