भारत में पेट्रोलियम
भारत के ऊर्जा संसाधनों में पेट्रोलियम का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल परिवहन और उद्योगों के लिए प्रमुख ईंधन है, बल्कि रसायन, प्लास्टिक, उर्वरक और दवा उद्योगों में भी पेट्रोलियम का व्यापक उपयोग होता है। भारत में पेट्रोलियम संसाधन देश की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा के केंद्र में हैं।
भारत में पेट्रोलियम का महत्व
- ऊर्जा का प्रमुख स्रोत: बिजली उत्पादन, परिवहन और औद्योगिक ईंधन के लिए।
- औद्योगिक कच्चा माल: प्लास्टिक, डिटर्जेंट, सिंथेटिक फाइबर और उर्वरक उत्पादन में।
- राष्ट्रीय आय में योगदान: पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार को भारी कर राजस्व मिलता है।
- रोजगार सृजन: तेल और गैस उद्योग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- विदेश नीति पर प्रभाव: पेट्रोलियम आयात-निर्यात भारत की अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित करता है।
भारत में पेट्रोलियम के भंडार
भारत में पेट्रोलियम के भंडार मुख्यतः अवसादी बेसिनों (Sedimentary Basins) में पाए जाते हैं।
मुख्य पेट्रोलियम क्षेत्र
पूर्वोत्तर भारत:
असम (डिगबोई, नाहरकटिया, मोरान)।अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में भी छोटे भंडार।
पश्चिमी तटीय क्षेत्र:
राजस्थान (बरमेर)।
पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र (Offshore):
बॉम्बे हाई (मुंबई तट): भारत का सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्र।पूर्वी तटीय क्षेत्र:
आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कावेरी बेसिन (तमिलनाडु)।भारत में प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियाँ
- ONGC (Oil and Natural Gas Corporation): भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक पेट्रोलियम कंपनी।
- IOCL (Indian Oil Corporation Limited): परिशोधन और विपणन में अग्रणी।
- BPCL (Bharat Petroleum Corporation Limited)।
- HPCL (Hindustan Petroleum Corporation Limited)।
- ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL): विदेशी देशों में पेट्रोलियम खोज और उत्पादन।
भारत में पेट्रोलियम उत्पादन और खपत
- भारत प्रतिवर्ष लगभग 35-40 मिलियन टन कच्चे तेल का उत्पादन करता है।
- लेकिन खपत कहीं अधिक है, जिससे भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम आयातक है।
- कुल आवश्यकता का लगभग 85% हिस्सा आयात करना पड़ता है।
पेट्रोलियम रिफाइनरी (शोधनगृह)
भारत में कई आधुनिक पेट्रोलियम रिफाइनरी हैं जो कच्चे तेल को पेट्रोल, डीज़ल, केरोसीन, गैस, ल्यूब्रिकेंट और डामर में बदलती हैं।
प्रमुख रिफाइनरी
- जामनगर (गुजरात): विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरी (रिलायंस इंडस्ट्रीज़)।
- पानिपत (हरियाणा), मथुरा (उत्तर प्रदेश), पारादीप (ओडिशा), बरौनी (बिहार), डिगबोई (असम)।
भारत में पेट्रोलियम से जुड़ी चुनौतियाँ
- उच्च आयात निर्भरता: भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा।
- विदेशी मुद्रा खर्च: आयात बिल में भारी वृद्धि।
- पर्यावरण प्रदूषण: पेट्रोलियम जलने से कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण।
- राजनीतिक अस्थिरता: पश्चिम एशिया पर निर्भरता से जोखिम बढ़ता है।
- घरेलू भंडार की सीमितता: नई खोज और अन्वेषण की आवश्यकता।
भारत की पेट्रोलियम नीतियाँ और भविष्य
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता: 2030 तक पेट्रोलियम आयात को कम करने का लक्ष्य।
- वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा: एथेनॉल मिश्रण (Ethanol Blending), बायोफ्यूल और ग्रीन हाइड्रोजन।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहन: नई खोज और अपतटीय ड्रिलिंग।
- ऊर्जा विविधीकरण: सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा पर जोर।
निष्कर्ष
भारत में पेट्रोलियम संसाधन ऊर्जा और उद्योग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, परंतु घरेलू उत्पादन सीमित होने के कारण आयात निर्भरता एक बड़ी चुनौती है। यदि भारत अन्वेषण, वैकल्पिक ईंधन और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है, तो आने वाले वर्षों में ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त कर सकता है।
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