भारतीय बंदरगाह(Indian Ports)

भारतीय बंदरगाह(Indian Ports)

परिचय(Introduciton)

भारत का 7,516 किमी लंबा तटवर्ती क्षेत्र है, जिसमें अनेक बंदरगाह (Ports) स्थित हैं। ये बंदरगाह भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, नौवहन और सामरिक महत्व के केंद्र हैं। भारत में कुल 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 से अधिक छोटे/मध्यम बंदरगाह हैं।


⚓ बंदरगाहों का वर्गीकरण

1. प्रमुख बंदरगाह (Major Ports)

इनका प्रबंधन केंद्र सरकार (पोर्ट ट्रस्ट/बंदरगाह प्राधिकरण) करती है।
कुल संख्या – 12 प्रमुख बंदरगाह

2. गैर-प्रमुख/मध्यम बंदरगाह (Minor/Intermediate Ports)

इनका प्रबंधन राज्य सरकारों के अधीन होता है।
कुल संख्या – 200 से अधिक


📍 भारत के प्रमुख बंदरगाह और उनके विशेषताएँ

(A) पश्चिमी तट के प्रमुख बंदरगाह

  1. मुंबई बंदरगाह (Maharashtra) – भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक बंदरगाह।
  2. जवाहरलाल नेहरू पोर्ट / न्हावा शेवा (Maharashtra) – कंटेनर यातायात में अग्रणी।
  3. कांडला बंदरगाह / दीनदयाल पोर्ट (Gujarat) – पेट्रोलियम, उर्वरक, नमक का निर्यात।
  4. मुंद्रा बंदरगाह (Gujarat, निजी) – भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह।
  5. कोचीन बंदरगाह (Kerala) – मसालों और रबर का निर्यात, नौसेना का महत्व।
  6. मंगलुरु बंदरगाह (Karnataka) – लौह अयस्क और पेट्रोलियम का निर्यात।

(B) पूर्वी तट के प्रमुख बंदरगाह

  1. कोलकाता बंदरगाह (West Bengal) – सबसे पुराना प्रमुख बंदरगाह (1870), हुगली नदी पर।
  2. हल्दिया डॉक्स – मुख्यत: भारी जहाज़ों के लिए।
  3. पारादीप बंदरगाह (Odisha) – लौह अयस्क का निर्यात।
  4. विशाखापट्टनम बंदरगाह (Andhra Pradesh) – लौह अयस्क और कोयले का निर्यात।
  5. चेन्नई बंदरगाह (Tamil Nadu) – कपड़ा और ऑटोमोबाइल उद्योग से जुड़ा।
  6. एन्‍नोर बंदरगाह / कामराज बंदरगाह (Tamil Nadu) – निजी क्षेत्र का पहला प्रमुख बंदरगाह।
  7. तुतिकोरिन / वी.ओ. चिदंबरम बंदरगाह (Tamil Nadu) – औद्योगिक सामान का निर्यात।


📊 भारतीय बंदरगाहों का महत्व और आँकड़े

  • भारत के 95% विदेशी व्यापार (मात्रा के आधार पर) समुद्री मार्ग से।
  • 70% व्यापारिक मूल्य समुद्री बंदरगाहों से गुजरता है।
  • सबसे अधिक कंटेनर यातायात – जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (Nhava Sheva)।
  • सबसे पुराना बंदरगाह – कोलकाता (1870)।
  • सबसे व्यस्त निजी बंदरगाह – मुंद्रा (गुजरात)।


🌍 बंदरगाहों का सामरिक महत्व

  • नौसेना और तटरक्षक बल के लिए रणनीतिक केंद्र।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों से जुड़ाव।
  • ऊर्जा आयात (पेट्रोलियम और गैस) का मुख्य प्रवेश द्वार।


⚠️ चुनौतियाँ

  • बंदरगाह अवसंरचना की कमी।
  • भीड़भाड़ और धीमी क्लीयरेंस प्रक्रिया।
  • गहराई (Draught) की कमी – बड़े जहाज़ों का प्रवेश कठिन।
  • प्रतिस्पर्धी एशियाई बंदरगाहों (सिंगापुर, दुबई) से पिछड़ना।


✅ सुधार और पहल

  1. सागरमाला परियोजना – बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और तटीय विकास।
  2. भारत माला परियोजना – बंदरगाहों को सड़क/रेल से जोड़ना।
  3. डिजिटल पोर्ट प्रबंधन प्रणाली
  4. गहरे पानी के बंदरगाह (Deep Sea Ports) का विकास।
  5. निजी निवेश और PPP मॉडल को प्रोत्साहन।


निष्कर्ष

भारतीय बंदरगाह देश की अर्थव्यवस्था, रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि सागरमाला जैसी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और तकनीकी सुधार किए जाएँ, तो भारत एशिया में एक वैश्विक समुद्री व्यापार केंद्र बन सकता है।



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