भारतीय कृषि प्रणाली
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ लगभग 55% जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। यहाँ की कृषि प्रणाली विविधतापूर्ण है क्योंकि भारत का भौगोलिक क्षेत्र, जलवायु, मिट्टी और वर्षा की स्थिति अलग-अलग है। इसी कारण यहाँ विभिन्न प्रकार की कृषि पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं।
भारतीय कृषि का महत्व
- आर्थिक आधार: भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान।
- रोजगार: ग्रामीण आबादी का प्रमुख जीविका स्रोत।
- खाद्य सुरक्षा: अनाज, फल, सब्ज़ी और दालों की आपूर्ति।
- औद्योगिक कच्चा माल: कपड़ा, चीनी, तंबाकू, तेल आदि उद्योग कृषि पर आधारित।
- निर्यात: चाय, कॉफी, मसाले, कपास, चावल आदि के निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जन।
भारत में कृषि के प्रकार
1. निर्वाह कृषि (Subsistence Farming)
यह पारंपरिक कृषि पद्धति है, जिसमें किसान अपनी और अपने परिवार की आवश्यकता के अनुसार उत्पादन करता है।विशेषताएँ:
- आधुनिक तकनीक और उर्वरकों का कम प्रयोग।
- भूमि का छोटा टुकड़ा।
- उत्पादन सीमित और बाजार उन्मुख नहीं।
2. व्यावसायिक कृषि (Commercial Farming)
इसमें फसलों का उत्पादन बाजार और मुनाफ़े के लिए किया जाता है।विशेषताएँ:
उच्च गुणवत्ता वाले बीज, रसायन और उर्वरकों का प्रयोग।
आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग।
फसलें: कपास, गन्ना, तंबाकू, चाय, कॉफी।
3. शिफ्टिंग कृषि (Shifting Cultivation / झूम खेती)
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इसे झूम खेती भी कहा जाता है। किसान जंगल की ज़मीन साफ़ करके कुछ वर्षों तक खेती करता है और फिर दूसरी जगह चला जाता है।
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प्रचलन: उत्तर-पूर्वी राज्य जैसे नागालैंड, मिज़ोरम, मेघालय, मणिपुर।
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विशेषता: भूमि की उर्वरता जल्दी घटती है।
4. बागान कृषि (Plantation Farming)
- बड़े पैमाने पर एक ही फसल का उत्पादन, विशेषकर निर्यात के लिए।
- फसलें: चाय, कॉफी, रबर, नारियल, तंबाकू।
- स्थान: असम, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु।
5. मिश्रित कृषि (Mixed Farming)
- इसमें फसल उत्पादन और पशुपालन दोनों एक साथ किए जाते हैं।
- लाभ: किसान को अतिरिक्त आय और खाद (गोबर) प्राप्त होती है।
- प्रचलन: पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
6. गहन कृषि (Intensive Farming)
- सीमित भूमि पर अधिक उत्पादन करने हेतु उर्वरकों, बीजों और सिंचाई का अधिक उपयोग।
- विशेषता: श्रम-प्रधान और उच्च उत्पादन वाली खेती।
- क्षेत्र: पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश।
7. विस्तृत कृषि (Extensive Farming)
- बड़े भू-भाग पर कम श्रम और कम पूंजी के साथ खेती।
- उत्पादन प्रति हेक्टेयर कम, लेकिन कुल उत्पादन अधिक।
- स्थान: राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ क्षेत्र।
8. जैविक कृषि (Organic Farming)
- इसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता।
- पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल।
- भारत में बढ़ती जैविक खेती का केंद्र: सिक्किम (पूरी तरह से जैविक राज्य)।
भारतीय कृषि प्रणालियाँ
1. वर्षा आधारित कृषि (Rainfed Farming)
- वर्षा पर निर्भर।
- क्षेत्र: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ।
2. सिंचाई आधारित कृषि (Irrigated Farming)
- नहरों, कुओं, ट्यूबवेल और जलाशयों पर आधारित।
- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में प्रचलित।
3. सूखा कृषि प्रणाली (Dry Farming)
- कम वर्षा वाले क्षेत्रों में।
- फसलें: बाजरा, ज्वार, तिल, अरहर।
4. गीली कृषि प्रणाली (Wet Farming)
- अधिक वर्षा और सिंचाई वाले क्षेत्रों में।
- फसलें: धान, गन्ना, जूट।
- क्षेत्र: पश्चिम बंगाल, असम, केरल।
भारतीय कृषि से जुड़ी चुनौतियाँ
- भूमि का छोटा आकार और विखंडन।
- वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता।
- उर्वरकों और तकनीकी ज्ञान की कमी।
- सिंचाई सुविधाओं का असमान वितरण।
- विपणन और भंडारण की समस्या।
निष्कर्ष
भारत की कृषि व्यवस्था अत्यंत विविध और बहुआयामी है। यहाँ पारंपरिक और आधुनिक कृषि पद्धतियों का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। यदि आधुनिक तकनीक, सिंचाई, उर्वरक और विपणन सुधार पर ध्यान दिया जाए तो भारत खाद्य सुरक्षा और निर्यात क्षमता में और भी मजबूत हो सकता है।
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