भारतीय संविधान का इतिहास और निर्माण

भारतीय संविधान का इतिहास और उसके निर्माण की प्रक्रिया

भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। यह न केवल भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव है, बल्कि विश्वभर के संविधानों में अपनी विशालता, विविधता और लचीलापन के कारण विशिष्ट स्थान रखता है। भारतीय संविधान का इतिहास और निर्माण की प्रक्रिया एक लंबा और जटिल सफर है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम, राजनीतिक संघर्ष और लोकतांत्रिक आकांक्षाएँ निहित हैं।


भारतीय संविधान का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारतीय संविधान का निर्माण अचानक नहीं हुआ, बल्कि यह सदियों के अनुभव, अंग्रेजी शासन की व्यवस्थाओं और स्वतंत्रता आंदोलन का परिणाम है।

1. ब्रिटिश शासन के अंतर्गत संवैधानिक विकास

  • 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट – भारत में ब्रिटिश संसद का पहला हस्तक्षेप।
  • 1858 का भारत शासन अधिनियम – ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त, शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के हाथ में आया।
  • 1909 का मिंटो-मॉर्ले सुधार – भारतीयों को विधायिका में सीमित प्रतिनिधित्व।
  • 1919 का मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार – द्वैध शासन (Dyarchy) की व्यवस्था।
  • 1935 का भारत शासन अधिनियम – प्रांतीय स्वायत्तता और संघीय ढांचे का प्रावधान; भारतीय संविधान की नींव।

2. स्वतंत्रता संग्राम और संविधान की माँग

  • 1928 – नेहरू रिपोर्ट : स्वराज पार्टी द्वारा प्रस्तावित संविधान का प्रारूप।
  • 1934 – एम.एन. रॉय का विचार : संविधान सभा की स्थापना का सुझाव।
  • 1938 – नेहरू का संकल्प : भविष्य का संविधान भारतीय जनता की इच्छा के अनुसार बनेगा।


संविधान सभा का गठन

  • कैबिनेट मिशन योजना (1946) के अंतर्गत संविधान सभा का गठन हुआ।
  • कुल 389 सदस्य चुने गए (प्रांतीय विधानसभाओं और रियासतों से)।
  • 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई।
  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए।
  • डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।


संविधान निर्माण की प्रक्रिया

1. प्रारूप समिति (Drafting Committee)

  • 29 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति का गठन हुआ।
  • अध्यक्ष – डॉ. भीमराव अंबेडकर
  • समिति ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में लगभग 2 वर्ष 11 माह का समय लिया।

2. संविधान निर्माण में प्रमुख समितियाँ

संविधान सभा में 13 प्रमुख समितियाँ थीं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण थीं:

  • प्रारूप समिति – डॉ. भी. रा. अंबेडकर
  • संविधान पर मौलिक अधिकार समिति – पंडित जवाहरलाल नेहरू
  • संविधान पर संघ संविधान समिति – नेहरू
  • संविधान पर प्रांतीय संविधान समिति – सरदार वल्लभभाई पटेल
  • संविधान पर राज्यों की समिति – पटेल

3. बहस और संशोधन

  • संविधान सभा में 114 दिनों तक खुली बहस चली।
  • लगभग 2000 से अधिक संशोधन प्रस्तुत किए गए, जिनमें से कई स्वीकृत हुए।


भारतीय संविधान का अंगीकरण और प्रवर्तन

  • 26 नवंबर 1949 – संविधान सभा ने संविधान को अपनाया।
  • 24 जनवरी 1950 – अंतिम हस्ताक्षर किए गए।
  • 26 जनवरी 1950 – संविधान लागू हुआ। इस दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।


भारतीय संविधान की विशेषताएँ

  • लिखित और विस्तृत संविधान – 448 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ।
  • संघात्मक ढांचा – केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन।
  • मौलिक अधिकार – नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता का अधिकार।
  • मौलिक कर्तव्य और नीति निर्देशक तत्व
  • धर्मनिरपेक्षता – सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका – सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की व्यवस्था।
  • संशोधन की प्रक्रिया – संविधान में परिवर्तन की लचीलापन और कठोरता दोनों।


भारतीय संविधान की प्रेरणा के स्रोत

भारतीय संविधान ने विश्व के विभिन्न संविधानों से प्रेरणा ली:

  • ब्रिटेन – संसदीय शासन प्रणाली।
  • अमेरिका – मौलिक अधिकार और न्यायिक पुनरावलोकन।
  • कनाडा – संघीय ढांचा और अवशिष्ट शक्तियाँ।
  • आयरलैंड – नीति निर्देशक तत्व।
  • फ्रांस – स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व।
  • सोवियत संघ (USSR) – मौलिक कर्तव्य।


निष्कर्ष

भारतीय संविधान का निर्माण एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह भारत की एकता, विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुरक्षित करता है। यह संविधान हमें न केवल नागरिक अधिकार प्रदान करता है, बल्कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोध भी कराता है। इसकी विशेषता है कि यह समय के साथ बदलने की क्षमता रखता है और इसलिए आज भी प्रासंगिक और जीवंत है।



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