भारतीय संविधान निर्माण(bhartiya samvidhan nirman)
लोकतंत्र की आधारशिला
प्रस्तावना
भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता का आधार है। 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसके निर्माण की प्रक्रिया जटिल और लंबी थी, जिसमें भारत के विविध समाज, संस्कृतियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया।
संविधान निर्माण की पृष्ठभूमि
- 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
- स्वतंत्र भारत को शासन संचालन के लिए एक स्थायी और समग्र ढाँचे की आवश्यकता थी।
- अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए 1935 का भारत शासन अधिनियम (Government of India Act, 1935) उस समय तक काम आ रहा था, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं था।
- इसलिए एक ऐसी समिति की ज़रूरत थी जो जनता की आकांक्षाओं के अनुसार संविधान तैयार करे।
संविधान सभा की स्थापना
- संविधान सभा की स्थापना की घोषणा 1946 में की गई।
- सदस्यों का चयन प्रांतीय विधानसभाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किया गया।
- कुल सदस्य संख्या 389 थी (फिर विभाजन के बाद यह घटकर 299 रह गई)।
- संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को हुआ।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए।
- डॉ. भीमराव आंबेडकर को प्रारूप समिति (Drafting Committee) का अध्यक्ष बनाया गया।
संविधान निर्माण में प्रमुख समितियाँ
संविधान सभा में कुल 22 समितियाँ बनाई गईं। इनमें प्रमुख थीं –
- प्रारूप समिति – अध्यक्ष : डॉ. भीमराव आंबेडकर
- संविधान सलाहकार समिति – अध्यक्ष : सरदार वल्लभभाई पटेल
- संविधान पर विशेषाधिकार समिति – अध्यक्ष : जी.वी. मावलंकर
- मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समिति – अध्यक्ष : सरदार वल्लभभाई पटेल
- प्रांतीय संविधान समिति – अध्यक्ष : जवाहरलाल नेहरू
इन समितियों ने मिलकर संविधान निर्माण की विस्तृत प्रक्रिया को दिशा दी।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया
विचार-विमर्श और बहस
संविधान सभा में हर अनुच्छेद पर लंबी बहस हुई।
सभी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया।
सभी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया।
मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांत
नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हेतु मौलिक अधिकार शामिल किए गए।
राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत बनाए गए।
राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत बनाए गए।
संघीय ढाँचा
भारत को एक संघीय गणराज्य के रूप में संगठित किया गया।
केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया।
केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया।
धर्मनिरपेक्षता और समानता
संविधान में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया।सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए।
संविधान निर्माण में विदेशी स्रोतों का प्रभाव
भारतीय संविधान ने कई देशों के संविधानों से प्रेरणा ली –
- ब्रिटेन से – संसदीय प्रणाली
- अमेरिका से – मौलिक अधिकार और न्यायिक पुनरीक्षण
- आयरलैंड से – नीति निर्देशक सिद्धांत
- कनाडा से – संघीय ढाँचा
- सोवियत संघ (USSR) से – समाजवादी विचार
संविधान निर्माण की अवधि और लागत
- संविधान निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे।
- इस पर लगभग 6 करोड़ 30 लाख रुपये खर्च हुए।
- अंततः 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया।
- 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ, जिसे हम आज गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
- लिखित और विस्तृत संविधान
- संसदीय लोकतंत्र
- संघीय ढाँचा और एकात्मक झुकाव
- मौलिक अधिकार और कर्तव्य
- धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद
- स्वतंत्र न्यायपालिका
- संशोधन की लचीलापन और कठोरता
संविधान निर्माण में प्रमुख व्यक्तित्व
- डॉ. भीमराव आंबेडकर – संविधान निर्माता (Architect of Indian Constitution)
- जवाहरलाल नेहरू – उद्देशिका (Preamble) और राष्ट्रीय दृष्टि प्रस्तुत की
- सरदार वल्लभभाई पटेल – संघीय ढाँचे और अल्पसंख्यक मुद्दों पर योगदान
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद – संविधान सभा के अध्यक्ष
- महात्मा गांधी – यद्यपि संविधान सभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उनके विचारों ने दिशा दी।
निष्कर्ष
भारतीय संविधान निर्माण लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
यह केवल कानून की किताब नहीं, बल्कि यह भारत के लोगों की आकांक्षाओं, अधिकारों और कर्तव्यों का दर्पण है।
आज जब हम लोकतंत्र की सफलता पर गर्व करते हैं, तो उसकी नींव संविधान निर्माण की उस ऐतिहासिक प्रक्रिया में निहित है।
 
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