बजट (Budget)

बजट (Budget)


परिचय: बजट क्या है?

बजट (Budget) किसी भी देश की आर्थिक नीतियों, प्राथमिकताओं और योजनाओं का दर्पण होता है।
सरल शब्दों में, बजट वह वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) है जिसमें सरकार आगामी वर्ष के राजस्व (Revenue) और व्यय (Expenditure) का अनुमान प्रस्तुत करती है।

भारत में बजट को संविधान के अनुच्छेद 112 (Article 112) के तहत “वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement)” कहा गया है।
यह दस्तावेज़ बताता है कि सरकार को आने वाले वर्ष में कितनी आय होगी और किस क्षेत्र में कितना खर्च किया जाएगा

संक्षेप में, बजट न केवल संख्याओं का हिसाब है, बल्कि यह सरकार की दृष्टि (Vision) और नीति (Policy) का प्रतीक है।


बजट का महत्व (Importance of Budget)

बजट किसी देश की आर्थिक स्थिरता और विकास दिशा को निर्धारित करता है।
इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. आर्थिक नियोजन और विकास: बजट सरकार की विकास प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
  2. राजस्व और व्यय में संतुलन: यह सुनिश्चित करता है कि सरकार का खर्च उसकी आय से अधिक न हो।
  3. मुद्रास्फीति नियंत्रण: कर और खर्च नीति के माध्यम से मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जाता है।
  4. रोज़गार सृजन और सामाजिक कल्याण: योजनाओं और अनुदानों से समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ पहुँचाया जाता है।
  5. पारदर्शिता और जवाबदेही: जनता को यह बताना कि उसका पैसा कहाँ और कैसे उपयोग हो रहा है।


भारतीय बजट का इतिहास (History of Indian Budget)

भारत में पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को ब्रिटिश वित्त सचिव जेम्स विल्सन (James Wilson) द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी (R.K. Shanmukham Chetty) ने पेश किया।

महिलाओं में पहली बार बजट प्रस्तुत करने वाली: इंदिरा गांधी (1970)।
अब तक सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री: मोरारजी देसाई (10 बार)।

2017 से पहले रेल बजट और सामान्य बजट अलग-अलग प्रस्तुत किए जाते थे, लेकिन 2017 से दोनों को एकीकृत कर दिया गया।


बजट की संरचना (Structure of the Budget)

भारत का बजट दो प्रमुख भागों में विभाजित होता है:

1. राजस्व बजट (Revenue Budget)

इसमें सरकार की आय और व्यय का ब्यौरा होता है।

  • राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts): कर एवं अकर राजस्व।
  • राजस्व व्यय (Revenue Expenditure): प्रशासनिक खर्च, वेतन, ब्याज भुगतान आदि।

यदि राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्तियों से अधिक होता है, तो उसे राजस्व घाटा (Revenue Deficit) कहा जाता है।

2. पूंजी बजट (Capital Budget)

इसमें पूंजीगत प्राप्तियाँ और व्यय शामिल होते हैं, जैसे –

ऋण, निवेश, संपत्ति निर्माण पर खर्च।
यदि पूंजीगत व्यय, पूंजीगत प्राप्तियों से अधिक है, तो उसे राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) कहते हैं।

बजट के प्रकार (Types of Budget)

  • संतुलित बजट (Balanced Budget): जब आय और व्यय बराबर हों।
  • असंतुलित बजट (Unbalanced Budget): जब आय और व्यय में अंतर हो।

  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): व्यय > आय
  • राजकोषीय अधिशेष (Fiscal Surplus): आय > व्यय
  • राजस्व बजट और पूंजी बजट: जैसा ऊपर वर्णित।
  • परफॉर्मेंस बजट (Performance Budget): योजनाओं के प्रदर्शन पर आधारित।
  • जीरो-बेस बजट (Zero-Based Budget): प्रत्येक वर्ष नई आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जाता है।

बजट की प्रक्रिया (Budget Making Process in India)

भारत में बजट तैयार करने की प्रक्रिया एक संगठित और संवैधानिक प्रक्रिया है:

1. तैयारी (Preparation)

वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) विभिन्न विभागों से अनुमान मांगता है।
इन अनुमानों को मिलाकर वित्त सचिव और आर्थिक मामलों के विभाग के अधिकारी प्रारूप तैयार करते हैं।

2. कैबिनेट की स्वीकृति (Cabinet Approval)

बजट का अंतिम मसौदा केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

3. संसद में प्रस्तुति (Presentation in Parliament)

संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार वित्त मंत्री बजट लोकसभा में प्रस्तुत करते हैं।
यह आमतौर पर हर वर्ष 1 फरवरी को पेश किया जाता है।

4. विचार-विमर्श और मतदान (Discussion & Voting)

बजट के विभिन्न भागों पर चर्चा और मतदान के बाद इसे राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजा जाता है।

5. अनुमोदन और क्रियान्वयन (Approval & Implementation)

राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद बजट लागू होता है और वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) तक प्रभावी रहता है।


बजट से संबंधित प्रमुख शब्दावली (Important Budget Terminologies)

शब्द अर्थ
राजस्व घाटा (Revenue Deficit) जब राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो।
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) कुल व्यय और कुल आय के बीच का अंतर।
प्राथमिक घाटा (Primary Deficit) राजकोषीय घाटा - ब्याज भुगतान।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) देश की कुल आर्थिक उत्पादन क्षमता।
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) जैसे आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) जैसे GST, सीमा शुल्क।
बजट घाटा (Budget Deficit) सरकार की कुल आय और कुल खर्च के बीच का अंतर।

बजट और शासन में भूमिका (Role of Budget in Governance)

बजट न केवल आर्थिक दस्तावेज़ है बल्कि लोकतांत्रिक शासन का आधार भी है।
यह सरकार की नीतियों, प्राथमिकताओं और सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

  • लोकतांत्रिक पारदर्शिता: जनता को पता चलता है कि कर से एकत्र धन कहाँ खर्च हो रहा है।
  • जवाबदेही (Accountability): सरकार संसद और जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • नीति दिशा (Policy Direction): यह तय करता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, कृषि आदि में कितना निवेश होगा।
  • समानता और न्याय: समाज के कमजोर वर्गों को सहायता देकर सामाजिक संतुलन बनाता है।


भारतीय बजट में हाल के परिवर्तन (Recent Developments and Reforms)

  1. 1 फरवरी को बजट प्रस्तुति: 2017 से इसे एक माह पहले किया जाने लगा ताकि नई योजनाएँ वित्त वर्ष की शुरुआत में ही लागू हों।
  2. रेल बजट का विलय: 2017 से रेल बजट को सामान्य बजट में मिला दिया गया।
  3. डिजिटल बजट प्रणाली: हाल के वर्षों में “पेपरलेस बजट” लागू किया गया है।
  4. राजकोषीय अनुशासन: FRBM Act, 2003 के तहत घाटे को नियंत्रित रखने की दिशा में प्रयास।
  5. वित्त आयोग की सिफारिशें: राज्यों को राजस्व वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।


बजट और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (Impact of Budget on Economy)

बजट का सीधा असर देश की विकास दर, मुद्रास्फीति, निवेश, और रोजगार पर पड़ता है।

  • कर नीति से उपभोग और निवेश प्रभावित होता है।
  • व्यय नीति से उद्योग, कृषि, और सामाजिक क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है।
  • घाटा नियंत्रण से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण किया जाता है।


प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य (Important Points for Competitive Exams)

  1. पहला भारतीय बजट: 1947 – आर.के. शनमुखम चेट्टी।
  2. संविधान अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण से संबंधित।
  3. बजट पेश करने की तिथि: 1 फरवरी।
  4. FRBM Act: 2003 में लागू – राजकोषीय अनुशासन हेतु।
  5. सबसे लंबा बजट भाषण: निर्मला सीतारमण (2020, 2 घंटे 42 मिनट)।
  6. बजट के दो भाग: राजस्व बजट और पूंजी बजट।
  7. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): कुल व्यय - कुल आय।
  8. वित्त वर्ष: 1 अप्रैल से 31 मार्च।
  9. मिनी बजट या अंतरिम बजट: चुनाव वर्ष में लागू किया जाता है।
  10. बजट तैयार करने वाला मंत्रालय: वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance)।


निष्कर्ष: विकास की दिशा निर्धारित करने वाला दस्तावेज़

बजट किसी भी राष्ट्र की आर्थिक सेहत और नीति दिशा का दर्पण होता है।
यह केवल संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि यह तय करता है कि आने वाले वर्ष में देश का विकास किस दिशा में जाएगा।

एक संतुलित और दूरदर्शी बजट न केवल आर्थिक विकास को गति देता है, बल्कि सामाजिक समानता, रोजगार सृजन और समावेशी वृद्धि सुनिश्चित करता है।
वास्तव में, बजट लोकतंत्र की आत्मा है, क्योंकि यह जनता के संसाधनों के उपयोग का स्पष्ट लेखा प्रस्तुत करता है।



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