अभिवृत्ति की अंतर्वस्तु, संरचना और कार्य
(Content, structure and function of attitude)
परिचय: अभिवृत्ति का महत्व
अभिवृत्ति (Attitude) मानव व्यवहार का एक केंद्रीय तत्व है, जो किसी व्यक्ति की सोच, भावना और कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। यह हमारे दृष्टिकोण, निर्णय, सामाजिक संबंधों और दैनिक जीवन में होने वाली क्रियाओं को दिशा देने वाली एक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है।
व्यक्ति की अभिवृत्ति किसी वस्तु, व्यक्ति, समूह, विचार या स्थिति के प्रति उसके सकारात्मक या नकारात्मक दृष्टिकोण को प्रकट करती है। इस लेख में हम अभिवृत्ति की अंतर्वस्तु, उसकी संरचना तथा उसके कार्यों का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
1. अभिवृत्ति की अंतर्वस्तु (Content of Attitude)
अभिवृत्ति की अंतर्वस्तु वह विशिष्ट विषय या तत्व है, जिसकी ओर व्यक्ति का दृष्टिकोण होता है। यह किसी विचार, वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति के प्रति मानसिक स्थिति को दर्शाती है।
मुख्य तत्व:
- विषय/ऑब्जेक्ट: वह तत्व जिसके प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति बनती है (जैसे– शिक्षा, धर्म, राजनीति)।
- दृष्टिकोण: उस विषय के प्रति व्यक्ति का मूल्यांकनात्मक दृष्टिकोण – सकारात्मक, नकारात्मक या उदासीन।
- प्रतिक्रिया: व्यक्ति की सोच, भावना या व्यवहार उस विषय के प्रति कैसी है।
उदाहरण:
2. अभिवृत्ति की संरचना (Structure of Attitude)
अभिवृत्ति की संरचना को सामान्यतः तीन प्रमुख घटकों में विभाजित किया जाता है जिसे "त्रैतीय मॉडल (ABC Model)" कहा जाता है:
A - संवेगात्मक घटक (Affective Component):
यह उस भावना को दर्शाता है जो किसी विषय के प्रति होती है। जैसे– प्रेम, घृणा, डर या आकर्षण।
उदाहरण:
B - व्यवहारात्मक घटक (Behavioral Component):
यह दर्शाता है कि व्यक्ति उस विषय के प्रति कैसे कार्य करता है या करेगा।
उदाहरण:
C - संज्ञानात्मक घटक (Cognitive Component):
यह उस विश्वास या जानकारी को दर्शाता है जो व्यक्ति किसी विषय के बारे में रखता है।
उदाहरण:
निष्कर्ष:
3. अभिवृत्ति के कार्य (Functions of Attitude)
अभिवृत्तियाँ केवल मानसिक प्रवृत्तियाँ नहीं होतीं, बल्कि वे जीवन में कई प्रकार के कार्य भी करती हैं। डेनियल काट्ज़ (Daniel Katz) के अनुसार, अभिवृत्तियाँ निम्नलिखित प्रमुख कार्य करती हैं:
1. समायोजनात्मक कार्य (Adjustment Function):
यह अभिवृत्ति व्यक्ति को उसके पर्यावरण के साथ अनुकूलन (adjustment) में सहायता करती है। व्यक्ति उन विषयों की ओर आकर्षित होता है जो उसे सुखद लगते हैं, और उन से दूर रहता है जो कष्टदायक हों।
उदाहरण:
2. आत्मरक्षा कार्य (Ego-Defensive Function):
यह व्यक्ति के आत्मसम्मान और आत्मछवि की रक्षा करता है। कभी-कभी व्यक्ति अपनी कमज़ोरी छुपाने के लिए एक विशिष्ट अभिवृत्ति धारण कर लेता है।
उदाहरण:
3. मूल्य अभिव्यक्ति कार्य (Value-Expressive Function):
व्यक्ति अपनी मान्यताओं और जीवन मूल्यों को व्यक्त करने के लिए अभिवृत्तियों का उपयोग करता है।
उदाहरण:
4. ज्ञानात्मक कार्य (Knowledge Function):
अभिवृत्ति व्यक्ति को विषयों को समझने और व्यवस्थित करने में सहायता करती है। यह सोचने की प्रक्रिया को सरल बनाती है।
उदाहरण:
4. अभिवृत्ति का विकास (Development of Attitude)
प्रभाव डालने वाले कारक:
- परिवार और प्रारंभिक सामाजिकरण
- शैक्षणिक अनुभव और शिक्षक का दृष्टिकोण
- मीडिया और सामाजिक नेटवर्क
- व्यक्तिगत अनुभव
- धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं
अभिवृत्ति का विकास धीरे-धीरे होता है और यह बचपन से लेकर युवावस्था तक विभिन्न अनुभवों द्वारा आकार ग्रहण करता है।
5. अभिवृत्ति में परिवर्तन (Attitude Change)
अभिवृत्तियों में परिवर्तन संभव है, विशेषकर जब व्यक्ति नई जानकारी, अनुभव या प्रेरणा से प्रभावित होता है।
परिवर्तन के साधन:
- प्रभावशाली संप्रेषणकर्ता (Influential Communicator)
- तर्कसंगत जानकारी और साक्ष्य
- सामाजिक दबाव
- प्रेरणा और इच्छा शक्ति
उदाहरण:
निष्कर्ष: अभिवृत्ति का सामाजिक और व्यक्तिगत महत्व
अभिवृत्ति हमारे सामाजिक व्यवहार और आत्म-अभिव्यक्ति का एक प्रमुख तत्व है। इसकी सही समझ और निर्माण न केवल व्यक्ति को मानसिक रूप से सशक्त बनाती है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का आधार भी बनती है।
यदि हम अभिवृत्तियों को सकारात्मक दिशा में विकसित करें, तो न केवल व्यक्ति का जीवन बेहतर होता है, बल्कि समाज में सहिष्णुता, समर्पण और सामूहिक सद्भाव की भावना भी प्रबल होती है।
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