पारंपरिक ऊर्जा व नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
परिचय(Introduction)
ऊर्जा मानव सभ्यता के विकास की सबसे बड़ी आवश्यकता रही है। औद्योगिक क्रांति से लेकर आज की आधुनिक तकनीकी दुनिया तक, ऊर्जा ने ही मानव जीवन को गति दी है। परंतु समय के साथ ऊर्जा की खपत बढ़ने और प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ने से अब ऊर्जा के स्रोतों की स्थिरता पर प्रश्न उठ रहे हैं।
ऊर्जा को सामान्यतः दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जाता है – पारंपरिक ऊर्जा स्रोत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत। आइए विस्तार से इन दोनों का अध्ययन करें।
1. पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Conventional Energy Sources)
पारंपरिक ऊर्जा स्रोत वे हैं जिनका उपयोग मानव कई शताब्दियों से करता आ रहा है। ये स्रोत अधिकतर जीवाश्म ईंधनों पर आधारित होते हैं और सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं।
प्रमुख पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
कोयला
भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत।बिजली उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा कोयले से।
पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण।
पेट्रोलियम (कच्चा तेल व गैस)
प्राकृतिक गैस का उपयोग रसोई गैस और बिजली उत्पादन में।
जलविद्युत ऊर्जा (Hydropower)
परंपरागत रूप से उपयोग में, परंतु पर्यावरणीय प्रभाव भी।
लकड़ी और बायोमास
वनों की कटाई और प्रदूषण का कारण।
पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के लाभ
उद्योग और परिवहन में तुरंत उपयोग योग्य।
हानियाँ
सीमित और समाप्त होने वाले।प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव।
2. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (Renewable Energy Sources)
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वे हैं जो प्रकृति में निरंतर उपलब्ध रहते हैं और जिनका दोहन करने से ये समाप्त नहीं होते। ये ऊर्जा स्रोत स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल माने जाते हैं।
प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
सौर ऊर्जा
सूर्य की रोशनी से बिजली उत्पादन।सोलर पैनल और सोलर थर्मल प्रोजेक्ट।
भारत में विशाल संभावनाएँ।
पवन ऊर्जा
तटीय और रेगिस्तानी क्षेत्रों में प्रमुख।
भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal)
पृथ्वी की सतह के भीतर मौजूद ताप से ऊर्जा।बायोगैस और बायोमास
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयोगी।
महासागरीय ऊर्जा
ज्वार-भाटा और लहरों से ऊर्जा।नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लाभ
- अक्षय और असीमित।
- स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल।
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने में सहायक।
- जलवायु परिवर्तन नियंत्रण में मददगार।
चुनौतियाँ
- प्रारंभिक लागत अधिक।
- तकनीकी सीमाएँ (जैसे बादल या हवा न होने पर उत्पादन घटता है)।
- भंडारण और वितरण समस्या।
3. भारत सरकार की पहल
भारत सरकार ने पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भरता घटाने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं:
- राष्ट्रीय सौर मिशन (Jawaharlal Nehru National Solar Mission)।
- पवन ऊर्जा परियोजनाएँ – गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान।
- बायोगैस कार्यक्रम – ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) – ऊर्जा संरक्षण।
4. तुलनात्मक अध्ययन : पारंपरिक बनाम नवीकरणीय ऊर्जा
| पहलू | पारंपरिक ऊर्जा स्रोत | नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत | 
|---|---|---|
| उपलब्धता | सीमित, समाप्त होने वाले | असीमित, अक्षय | 
| लागत | प्रारंभ में कम | प्रारंभ में अधिक, पर दीर्घकालिक सस्ती | 
| प्रदूषण | अधिक प्रदूषणकारी | प्रदूषण रहित/कम | 
| भविष्य की संभावना | घटती | बढ़ती और सतत विकास समर्थ | 
निष्कर्ष
पारंपरिक ऊर्जा स्रोत आज भी हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं का प्रमुख आधार हैं, लेकिन उनकी सीमाएँ और पर्यावरणीय खतरों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए आवश्यक हैं।
इसलिए भारत को चाहिए कि वह नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित ढांचा मजबूत करे, तकनीकी अनुसंधान को प्रोत्साहित करे और समाज को ऊर्जा संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए जागरूक बनाए।
 
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