मरुस्थलीय जलवायु

 मरुस्थलीय जलवायु(Desert Climate)

विशेषताएँ, प्रकार और प्रभाव

परिचय

मरुस्थलीय जलवायु (Desert Climate) पृथ्वी के उन क्षेत्रों में पाई जाती है जहाँ वर्षा अत्यंत कम होती है और तापमान में दिन और रात के बीच बहुत अधिक अंतर होता है। इस जलवायु की सबसे बड़ी पहचान अत्यधिक गर्म दिन, ठंडी रातें और सूखा वातावरण है। मरुस्थल पृथ्वी की सतह का लगभग 17% हिस्सा घेरते हैं और मानव जीवन के लिए चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं।


भौगोलिक स्थिति

  • यह जलवायु मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।

प्रमुख मरुस्थल:
  • सहारा मरुस्थल (अफ्रीका)
  • कालााहारी और नामीब मरुस्थल (दक्षिण अफ्रीका)
  • अरब मरुस्थल और थार मरुस्थल (एशिया)
  • गोबी मरुस्थल (मंगोलिया और चीन)
  • एटाकामा मरुस्थल (दक्षिण अमेरिका)
  • ऑस्ट्रेलियाई मरुस्थल

मुख्य विशेषताएँ

तापमान:

दिन में 40°C से अधिक और रात में शून्य के करीब।

वर्षा:

वार्षिक औसत वर्षा 25 सेमी से भी कम।

वातावरण:

शुष्क, धूल भरा और बादल रहित आकाश।

वनस्पति:

विरल झाड़ियाँ, कैक्टस और सूखा सहन करने वाले पौधे।

जीव-जंतु:

ऊँट, साँप, बिच्छू, लोमड़ी और रेगिस्तानी पक्षी।


मरुस्थलीय जलवायु के प्रकार

1. गर्म मरुस्थलीय जलवायु (Hot Desert Climate)

  • स्थान: सहारा, अरब, थार और कालाहारी।

विशेषताएँ:
  • गर्म दिन और ठंडी रातें।
  • जल की कमी और विरल वनस्पति।

2. शीत मरुस्थलीय जलवायु (Cold Desert Climate)

  • स्थान: गोबी मरुस्थल (चीन-मंगोलिया), पाटागोनियन मरुस्थल (दक्षिण अमेरिका)।

विशेषताएँ:
  • ठंडा और शुष्क वातावरण।
  • सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे।

प्राकृतिक संसाधन और महत्व

  • खनिज संपदा: तांबा, सोना, तेल, प्राकृतिक गैस और फॉस्फेट।
  • ऊर्जा स्रोत: सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के लिए आदर्श।
  • पर्यटन: ऊँट सफारी, रेगिस्तानी उत्सव और सांस्कृतिक धरोहरें।
  • कृषि: सिंचाई की सहायता से गेहूँ, जौ, खजूर और कपास की खेती।


मानव जीवन पर प्रभाव

  • जीवन कठिन और जल पर निर्भर।
  • घर मुख्यतः मिट्टी, पत्थर या तंबुओं से बने।
  • व्यवसाय – पशुपालन (ऊँट, भेड़, बकरी) और खानपान।
  • खानाबदोश जीवनशैली का वर्चस्व।


समस्याएँ और चुनौतियाँ

  • जल संकट: पेयजल और सिंचाई जल की भारी कमी।
  • मरुस्थलीकरण: वनों की कटाई और चराई से मरुस्थल का विस्तार।
  • कृषि संकट: सीमित कृषि योग्य भूमि।
  • मानव जीवन की कठिनाइयाँ: अत्यधिक तापमान और रेत के तूफान।


वैज्ञानिक और वैश्विक महत्व

  • मरुस्थल पृथ्वी पर कार्बन चक्र और जलवायु प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • ये क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं।
  • अनेक मरुस्थल वैज्ञानिक अनुसंधान और जैव विविधता अध्ययन के केंद्र हैं।


👉  निष्कर्ष

मरुस्थलीय जलवायु पृथ्वी का सबसे कठोर जलवायु क्षेत्र है। यहाँ जीवन अत्यंत कठिन है, परंतु यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आधुनिक तकनीक और सतत विकास के उपाय अपनाए जाएँ तो मरुस्थल भी मानव सभ्यता के लिए संसाधनों का केंद्र बन सकते हैं।



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