प्रत्यक्ष कर(Direct Tax) वं अप्रत्यक्ष कर(Indirect Tax)
परिचय(Introduction)
भारत की कर प्रणाली मुख्य रूप से दो प्रमुख श्रेणियों में बँटी हुई है – प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)। दोनों ही कर सरकार के लिए राजस्व (Revenue) जुटाने का साधन हैं, लेकिन इनकी प्रकृति, प्रभाव और वसूली की प्रक्रिया एक-दूसरे से अलग होती है।
इस लेख में हम विस्तारपूर्वक प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर का परिचय, इनके प्रकार, उदाहरण, लाभ-हानि और दोनों के बीच का अंतर समझेंगे।
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
परिभाषा
प्रत्यक्ष कर वह कर है, जो व्यक्ति या संस्था की आय या संपत्ति पर सीधे लगाया जाता है और जिसका बोझ किसी और पर नहीं डाला जा सकता। इसे करदाता स्वयं सरकार को चुकाता है।
प्रमुख उदाहरण
- आयकर (Income Tax) – व्यक्तिगत आय पर लगाया जाने वाला कर
- कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax) – कंपनियों के मुनाफे पर कर
- संपत्ति कर (Property Tax) – अचल संपत्ति पर स्थानीय निकाय द्वारा लगाया गया कर
- स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) – संपत्ति के लेन-देन पर
- धन कर (Wealth Tax) – (वर्तमान में समाप्त, पहले संपत्ति पर लागू था)
प्रत्यक्ष कर की विशेषताएँ
- करदाता स्वयं भुगतान करता है
- कर का बोझ किसी अन्य व्यक्ति पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता
- आय के स्तर के अनुसार कर दरें बदलती हैं (प्रगतिशील कर प्रणाली)
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
परिभाषा
अप्रत्यक्ष कर वह कर है, जिसे वस्तुओं और सेवाओं की खपत/उपभोग पर लगाया जाता है। इसमें कर का बोझ उपभोक्ता पर होता है, लेकिन इसे सरकार को व्यापारी/निर्माता जमा करता है।
प्रमुख उदाहरण
- जीएसटी (GST) – वस्तुओं और सेवाओं पर लागू
- कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) – आयात/निर्यात पर
- एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) – शराब, पेट्रोलियम उत्पादों पर
- मनोरंजन कर (Entertainment Tax) – (अब अधिकांशतः जीएसटी में शामिल)
अप्रत्यक्ष कर की विशेषताएँ
- कर का बोझ उपभोक्ता वहन करता है
- व्यापारी/निर्माता इसे सरकार को जमा करता है
- उपभोग बढ़ने पर राजस्व बढ़ता है
- कर दरें सभी उपभोक्ताओं के लिए समान (प्रतिगामी प्रकृति)
प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में अंतर
| बिंदु | प्रत्यक्ष कर | अप्रत्यक्ष कर | 
|---|---|---|
| परिभाषा | आय व संपत्ति पर लगाया जाने वाला कर | वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर | 
| करदाता | व्यक्ति/कंपनी स्वयं भुगतान करता है | उपभोक्ता पर बोझ, व्यापारी सरकार को जमा करता है | 
| बोझ स्थानांतरित | स्थानांतरित नहीं किया जा सकता | उपभोक्ता पर स्थानांतरित होता है | 
| उदाहरण | आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स | जीएसटी, कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी | 
| प्रकृति | प्रगतिशील (अधिक आय पर अधिक कर) | प्रतिगामी (सभी पर समान दर) | 
| पारदर्शिता | सीधी व स्पष्ट | उपभोक्ता को अक्सर परोक्ष रूप से ज्ञात | 
प्रत्यक्ष कर के लाभ
- समानता (Equity): अधिक आय वाले लोग अधिक कर देते हैं
- राजस्व स्थिरता: सरकार के लिए विश्वसनीय आय
- आर्थिक असमानता कम होती है
प्रत्यक्ष कर की सीमाएँ
- कर चोरी की संभावना अधिक
- जटिलता और अनुपालन कठिनाई
अप्रत्यक्ष कर के लाभ
- वसूली आसान (व्यापारी/निर्माता के माध्यम से)
- हर उपभोक्ता योगदान देता है
- कर चोरी की संभावना कम
अप्रत्यक्ष कर की सीमाएँ
- गरीब और अमीर पर समान बोझ (प्रतिगामी)
- महँगाई को बढ़ावा
निष्कर्ष
भारत की कर प्रणाली में प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है।
- प्रत्यक्ष कर आय आधारित है और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है।
- अप्रत्यक्ष कर उपभोग आधारित है और सरकार को स्थिर राजस्व देता है।
इस प्रकार, दोनों कर मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और संतुलित विकास में योगदान देते हैं।
 
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