आपातकालीन प्रावधान(Emergency Provision)
भारतीय संविधान को लचीला और व्यापक बनाने के लिए इसमें आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions) रखे गए हैं। इनका उद्देश्य है –
➡️ देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को संकट की घड़ी में सुरक्षित रखना।
➡️ असाधारण परिस्थितियों में केंद्र सरकार को अधिक शक्ति प्रदान करना।
ये प्रावधान भाग XVIII (अनुच्छेद 352 से 360) में वर्णित हैं।
⚖️ आपातकालीन प्रावधान के प्रकार
1. राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
कब लागू होता है
युद्ध (War)बाहरी आक्रमण (External Aggression)
सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion)
घोषणा कौन करता है :
राष्ट्रपति (मंत्रिपरिषद की लिखित सलाह पर)।
अवधि :
प्रारंभिक अवधि – 1 महीना (संशोधन के बाद 6 माह तक बढ़ाई जा सकती है)।
संसद की स्वीकृति आवश्यक।
मौलिक अधिकारों (विशेषकर अनु. 19) का निलंबन।
संसद को राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने की शक्ति।
1971 (पाक युद्ध),
1975 (आंतरिक आपातकाल – इंदिरा गांधी द्वारा)।
अवधि :
प्रारंभिक अवधि – 1 महीना (संशोधन के बाद 6 माह तक बढ़ाई जा सकती है)।
संसद की स्वीकृति आवश्यक।
प्रभाव
केंद्र को राज्यों पर अधिक नियंत्रण।मौलिक अधिकारों (विशेषकर अनु. 19) का निलंबन।
संसद को राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने की शक्ति।
महत्वपूर्ण घटनाएँ :
1962 (चीन युद्ध),1971 (पाक युद्ध),
1975 (आंतरिक आपातकाल – इंदिरा गांधी द्वारा)।
2. राज्य आपातकाल / राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356)
कब लागू होता है
यदि किसी राज्य में संविधान का पालन नहीं हो पा रहा हो।घोषणा कौन करता है
राष्ट्रपति (राज्यपाल की रिपोर्ट या अन्य स्रोतों के आधार पर)।
अधिकतम – 3 वर्ष (हर 6 माह पर संसद की स्वीकृति आवश्यक)।
राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के अधीन।
संसद राज्य के विषयों पर कानून बना सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एस.आर. बोम्मई केस (1994) में राष्ट्रपति शासन पर न्यायिक समीक्षा का अधिकार मान्य किया।
घोषणा कौन करता है : राष्ट्रपति।
अवधि
प्रारंभिक अवधि – 6 माह।अधिकतम – 3 वर्ष (हर 6 माह पर संसद की स्वीकृति आवश्यक)।
प्रभाव
राज्य की विधानसभा निलंबित या भंग।राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के अधीन।
संसद राज्य के विषयों पर कानून बना सकती है।
महत्वपूर्ण तथ्य
सबसे अधिक प्रयोग – उत्तर प्रदेश, बिहार आदि।सर्वोच्च न्यायालय ने एस.आर. बोम्मई केस (1994) में राष्ट्रपति शासन पर न्यायिक समीक्षा का अधिकार मान्य किया।
3. वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
कब लागू होता है
यदि देश की वित्तीय स्थिरता या ऋण साख को खतरा हो।घोषणा कौन करता है : राष्ट्रपति।
अवधि
प्रारंभिक अवधि – 2 माह (संसद की स्वीकृति के बाद अनिश्चितकाल तक)।प्रभाव
केंद्र सरकार राज्यों के वित्तीय मामलों को नियंत्रित करेगी।सभी सरकारी कर्मचारियों का वेतन और भत्ता घटाया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन भी घट सकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य : अब तक कभी लागू नहीं किया गया।
📊 सारणीबद्ध रूप में
| प्रकार | अनुच्छेद | परिस्थिति | अवधि | विशेष प्रभाव | 
|---|---|---|---|---|
| राष्ट्रीय आपातकाल | अनु. 352 | युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह | 6 माह (पुनः बढ़ाई जा सकती है) | मौलिक अधिकार निलंबित, केंद्र का नियंत्रण | 
| राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) | अनु. 356 | राज्य में संवैधानिक संकट | 6 माह (अधिकतम 3 वर्ष) | विधानसभा भंग, संसद का नियंत्रण | 
| वित्तीय आपातकाल | अनु. 360 | वित्तीय स्थिरता पर खतरा | 2 माह (अनिश्चितकाल तक बढ़ाया जा सकता है) | वेतन कटौती, केंद्र का वित्तीय नियंत्रण | 
✅ विशेष तथ्य (2025 तक)
- राष्ट्रीय आपातकाल अब तक 3 बार (1962, 1971, 1975) लगाया गया।
- राष्ट्रपति शासन (अनु. 356) का प्रयोग 100 से अधिक बार किया जा चुका है।
- वित्तीय आपातकाल (अनु. 360) कभी लागू नहीं किया गया।
- 44वें संशोधन (1978) के बाद आपातकाल लागू करने की प्रक्रिया को कठिन बनाया गया है ताकि 1975 जैसी स्थिति पुनः न हो।
🔑 निष्कर्ष
भारतीय संविधान के आपातकालीन प्रावधान असाधारण परिस्थितियों में देश की सुरक्षा और अखंडता बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं। परंतु इनका दुरुपयोग भी संभव है, जैसा कि 1975 में हुआ। इसलिए लोकतंत्र की रक्षा हेतु न्यायपालिका और जनता की सतर्कता अत्यंत आवश्यक है।
 
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