प्रशासन और शासन व्यवस्था में संवेदनात्मक बुद्धि

प्रशासन और शासन व्यवस्था में संवेदनात्मक बुद्धि  उपयोगिता और प्रयोग(Utility and use of emotional intelligence in administration and governance)

परिचय

प्रशासन और शासन व्यवस्था का लक्ष्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन या संसाधनों का वितरण भर नहीं है, बल्कि एक ऐसा जनोन्मुखी और उत्तरदायी तंत्र स्थापित करना है जो समाज के सभी वर्गों को सम्मान, न्याय और अवसर प्रदान कर सके। इस लक्ष्य की प्राप्ति में संवेदनात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence - EI) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। EI प्रशासनिक अधिकारियों को भावनात्मक रूप से संतुलित, नैतिक, और सामाजिक रूप से उत्तरदायी बनाती है।


1. शासन और प्रशासन की संवेदनशीलता का महत्व

शासन व्यवस्था का प्रभाव समाज के सबसे निचले स्तर तक होता है। एक संवेदनशील प्रशासन ही समाज में:

  • न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाए रख सकता है।
  • जन विश्वास को सुदृढ़ कर सकता है।
  • संवेदनशील मुद्दों को शांतिपूर्वक सुलझा सकता है।
  • कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा कर सकता है।


2. प्रशासन में संवेदनात्मक बुद्धि की भूमिका

(1) जनता से संवाद और विश्वास का निर्माण

प्रभावी शासन के लिए जनता से सतत संपर्क आवश्यक है। एक भावनात्मक रूप से बुद्धिमान अधिकारी:

  • जनता की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनता है,
  • उन्हें सहानुभूति से समझता है, और
  • तदनुसार संवेदनशील निर्णय लेता है।

(2) निर्णय प्रक्रिया में नैतिकता

EI वाले अधिकारी निर्णय लेते समय:

  • केवल तथ्यों पर नहीं, भावनात्मक पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं।
  • संवेदनशील और विवादास्पद मामलों में संयमित रहते हैं।
  • नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।

(3) विवाद समाधान और सहिष्णुता

जब कोई सांप्रदायिक, जातीय या सामाजिक विवाद उत्पन्न होता है, वहाँ एक भावनात्मक रूप से संतुलित अधिकारी:

  • सभी पक्षों को सुनता है,
  • उनकी भावनाओं को समझकर सुलह का मार्ग निकालता है,
  • और संघर्ष को सामाजिक सौहार्द में बदलता है।


3. शासन प्रणाली में प्रयोग के उदाहरण

(1) आपदा प्रबंधन में

  • जैसे भूकंप, बाढ़ या महामारी के समय जनता की पीड़ा को समझते हुए निर्णय लेना।
  • राहत कार्यों में मानवीय स्पर्श लाना।

(2) महिला एवं बाल कल्याण

  • लैंगिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का क्रियान्वयन।

(3) सामाजिक न्याय और समावेशन

  • अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य वंचित वर्गों के लिए योजनाओं में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना।

(4) ई-गवर्नेंस एवं सेवाओं में सुधार

  • तकनीक के साथ-साथ मानवीय इंटरफेस को बनाए रखते हुए उपयोगकर्ता अनुभव बेहतर बनाना।


4. नेतृत्व कौशल में EI की भूमिका

एक प्रभावी प्रशासक में नेतृत्व, संप्रेषण और प्रेरणा देने की क्षमता होती है। यह क्षमता संवेदनात्मक बुद्धि से विकसित होती है। EI:

  • टीम का मनोबल बढ़ाती है,
  • सहयोगी माहौल बनाती है,
  • और कार्यक्षमता में वृद्धि करती है।


5. प्रशासनिक प्रशिक्षण में EI का समावेश

(i) प्रशिक्षण संस्थानों की भूमिका

LBSNAA जैसे संस्थानों में अब EI आधारित प्रशिक्षण प्रारंभ हो चुके हैं, जहाँ:

  • तनाव प्रबंधन,
  • नेतृत्व कौशल,
  • और भावनात्मक निर्णय प्रक्रिया पर ज़ोर दिया जाता है।

(ii) लगातार आत्म-सुधार

EI एक स्थायी गुण नहीं, बल्कि निरंतर अभ्यास से विकसित होने वाला कौशल है। अधिकारियों को चाहिए कि वे:

  • आत्मनिरीक्षण करें,
  • प्रतिक्रिया स्वीकार करें, और
  • भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखें।


6. वैश्विक संदर्भ में EI का महत्व

संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और OECD जैसी संस्थाओं में भी अब यह मान्यता प्राप्त हो चुकी है कि सक्षम प्रशासन के लिए संवेदनात्मक बुद्धि आवश्यक है। विभिन्न देशों के नवाचार-प्रधान प्रशासन इस सिद्धांत पर कार्य कर रहे हैं।


7. चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ

  • अधिक तकनीकी और यंत्रवत् दृष्टिकोण
  • प्रशिक्षण में EI पर कम ध्यान
  • कार्यभार और दबाव के कारण मानवीय पहलू की उपेक्षा

समाधान

  • EI आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल को अनिवार्य करना
  • प्रशासनिक मूल्यांकन में भावनात्मक संकेतकों को शामिल करना
  • मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस को प्राथमिकता देना


निष्कर्ष

प्रशासन और शासन की सफलता केवल योजनाओं और संसाधनों के क्रियान्वयन में नहीं, बल्कि उनके संवेदनशील, न्यायपूर्ण और मानव-केंद्रित क्रियान्वयन में निहित है। इसके लिए आवश्यक है कि अधिकारियों में संवेदनात्मक बुद्धि का विकास हो। EI से युक्त अधिकारी एक ओर जहाँ प्रभावशाली नीति निर्माता बनते हैं, वहीं दूसरी ओर सहृदय जनसेवक भी सिद्ध होते हैं।

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