सरकार की रोजगार नीतियाँ
प्रस्तावना
भारत जैसे विशाल और युवा जनसंख्या वाले देश में रोजगार (Employment) सबसे बड़ा मुद्दा है। बेरोजगारी की समस्या को हल करने और नागरिकों को स्थायी व सम्मानजनक कार्य अवसर प्रदान करने के लिए सरकार समय-समय पर विभिन्न रोजगार नीतियाँ और योजनाएँ लागू करती रही है। इन नीतियों का उद्देश्य है – नए रोजगार सृजित करना, कौशल विकास को प्रोत्साहित करना, उद्यमिता बढ़ाना और बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना।
भारत में रोजगार नीतियों की आवश्यकता
- जनसंख्या वृद्धि – हर साल करोड़ों युवा कार्यबल में जुड़ते हैं।
- बेरोजगारी दर में वृद्धि – विशेषकर शिक्षित बेरोजगारी।
- ग्रामीण-शहरी असमानता – ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों का अभाव।
- तकनीकी बदलाव – ऑटोमेशन से पारंपरिक नौकरियाँ कम होना।
- गरीबी उन्मूलन और सामाजिक न्याय – आर्थिक असमानता को घटाना।
भारत सरकार की प्रमुख रोजगार नीतियाँ और योजनाएँ
1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
- 2005 में लागू।
- हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी।
- उद्देश्य: ग्रामीण बेरोजगारी और पलायन को रोकना।
2. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (MSME) द्वारा संचालित।
- युवाओं को स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता।
- उद्योग और सेवा क्षेत्र में नए अवसरों का सृजन।
3. स्टार्टअप इंडिया योजना
- 2016 में शुरू।
- उद्देश्य: युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना।
- टैक्स छूट, फंडिंग और नवाचार को बढ़ावा।
4. स्किल इंडिया मिशन
- 2015 में लॉन्च।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत युवाओं को उद्योग आधारित कौशल प्रशिक्षण।
- रोजगार-योग्य बनाना और कौशल अंतर को कम करना।
5. मेक इन इंडिया अभियान
- 2014 में शुरू।
- भारत को विनिर्माण हब बनाना।
- ऑटोमोबाइल, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों में रोजगार सृजन।
6. आत्मनिर्भर भारत अभियान
- कोविड-19 महामारी के बाद शुरू।
- लघु उद्योगों और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा।
- MSME, कृषि और डिजिटल सेक्टर में रोजगार वृद्धि।
7. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)
- ग्रामीण युवाओं को विविध क्षेत्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण।
- रोजगार योग्य बनाना और प्रवास के अवसर प्रदान करना।
8. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM)
- शहरी गरीबों को स्वरोजगार और कौशल आधारित प्रशिक्षण।
- स्वरोजगार के लिए सस्ती ऋण सुविधा उपलब्ध कराना।
9. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
- लघु और सूक्ष्म उद्यमों को बिना गारंटी ऋण।
- तीन श्रेणियाँ: शिशु, किशोर और तरुण।
- छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन।
10. डिजिटल इंडिया और डिजिटल रोजगार
- डिजिटल इकोनॉमी के माध्यम से फ्रीलांसिंग, ई-कॉमर्स और स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
- ग्रामीण क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुँचाकर नए अवसर।
रोजगार नीतियों की उपलब्धियाँ
- ग्रामीण रोजगार में वृद्धि – MGNREGA से करोड़ों परिवारों को लाभ।
- उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति का विकास।
- कौशल प्रशिक्षण से युवाओं की क्षमता में सुधार।
- MSME क्षेत्र को मजबूती, जो सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है।
- डिजिटल भुगतान और ई-कॉमर्स से नए अवसर।
रोजगार नीतियों की चुनौतियाँ
- अधूरी पहुँच – योजनाओं का लाभ हर पात्र तक नहीं पहुँचता।
- कौशल अंतर (Skill Gap) – शिक्षा और उद्योग की आवश्यकता में असमानता।
- भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता – कुछ योजनाओं में धन का दुरुपयोग।
- अनौपचारिक क्षेत्र की अधिकता – अधिकांश लोग असुरक्षित और कम वेतन वाली नौकरियों में।
- तकनीकी बदलाव का दबाव – AI और रोबोटिक्स से पारंपरिक नौकरियों में कमी।
भविष्य की दिशा
- ग्रीन जॉब्स और नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर।
- डिजिटल कौशल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस में प्रशिक्षण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग और स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) से बड़े स्तर पर रोजगार सृजन।
- शिक्षा प्रणाली का सुधार ताकि वह उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
निष्कर्ष
भारत सरकार की रोजगार नीतियाँ बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को अवसर उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी हैं, परंतु यदि इन नीतियों को पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता के साथ लागू किया जाए, तो भारत न केवल बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर पाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक शक्ति और रोजगार प्रदाता राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा।
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