भारत में ऊर्जा नीति और इसका विकास

 

भारत में ऊर्जा नीति और इसका विकास : एक विस्तृत अध्ययन

भारत एक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है और इसके लिए ऊर्जा का सतत, सुरक्षित और सुलभ स्रोत आवश्यक है। ऊर्जा न केवल औद्योगिक और कृषि उत्पादन का आधार है बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है। यही कारण है कि भारत ने समय-समय पर अपनी ऊर्जा नीति बनाई और उसमें आवश्यक सुधार किए।

इस लेख में हम भारत की ऊर्जा नीति, इसके ऐतिहासिक विकास, प्रमुख पहल, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा का विस्तार से अध्ययन करेंगे।


1. ऊर्जा नीति क्या है?

ऊर्जा नीति (Energy Policy) वह सरकारी दृष्टिकोण और रणनीति है जिसके माध्यम से किसी देश में ऊर्जा का उत्पादन, वितरण, उपयोग और संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है।

भारत की ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य है –

  • बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना।

  • ऊर्जा संसाधनों का संतुलित और सतत उपयोग

  • ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता।

  • पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।


2. भारत की ऊर्जा नीति का ऐतिहासिक विकास

2.1. स्वतंत्रता के बाद प्रारंभिक दौर (1947 – 1970)

  • ऊर्जा उत्पादन का मुख्य स्रोत था कोयला

  • जलविद्युत परियोजनाओं पर जोर (भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी परियोजना)।

  • थर्मल पावर संयंत्रों का विकास।

2.2. तेल संकट और ऊर्जा आयात निर्भरता (1970 – 1990)

  • 1973 और 1979 के तेल संकट ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाए।

  • परमाणु ऊर्जा और वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान।

  • 1980 के दशक में पेट्रोलियम मंत्रालय की स्थापना।

2.3. आर्थिक उदारीकरण और ऊर्जा सुधार (1991 – 2000)

  • ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा।

  • पावर सेक्टर सुधार और स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादक (IPP) नीति।

  • नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की स्थापना।

2.4. 21वीं सदी में ऊर्जा नीति (2000 – 2020)

  • राष्ट्रीय विद्युत नीति (2005) और राष्ट्रीय टैरिफ नीति (2006) लागू।

  • इंटीग्रेटेड एनर्जी पॉलिसी (2006) – ऊर्जा सुरक्षा, दक्षता और सतत विकास पर जोर।

  • राष्ट्रीय कार्य योजना जलवायु परिवर्तन पर (2008) – नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन।

  • उज्ज्वला योजना (2016) – स्वच्छ ईंधन (LPG) ग्रामीण महिलाओं तक पहुँचाना।

  • उजाला योजना (2015) – LED बल्ब से ऊर्जा बचत।

2.5. हालिया विकास (2020 से वर्तमान)

  • ग्रीन एनर्जी मिशन – नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि।

  • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (2023) – स्वच्छ ईंधन का विकास।

  • 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य।

  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नीति – परिवहन क्षेत्र में बैटरी और EVs का विस्तार।


3. भारत की ऊर्जा नीति के प्रमुख स्तंभ

  1. ऊर्जा आत्मनिर्भरता – घरेलू उत्पादन बढ़ाना।

  2. ऊर्जा विविधीकरण – कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा का संतुलित उपयोग।

  3. ऊर्जा संरक्षण और दक्षता – ऊर्जा अपव्यय को कम करना।

  4. पर्यावरणीय संतुलन – स्वच्छ ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कमी।

  5. ग्रामीण विद्युतीकरण – हर गाँव और हर घर तक बिजली पहुँचाना।


4. भारत की ऊर्जा नीति से जुड़ी चुनौतियाँ

  • ऊर्जा की बढ़ती मांग – औद्योगिक और घरेलू उपभोग में तीव्र वृद्धि।

  • आयात पर निर्भरता – तेल और गैस का 80% से अधिक आयात।

  • प्रौद्योगिकी की कमी – ऊर्जा भंडारण और स्मार्ट ग्रिड की सीमाएँ।

  • पर्यावरणीय प्रदूषण – कोयला आधारित उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन।

  • नवीकरणीय ऊर्जा का असमान वितरण – कुछ क्षेत्रों में सौर और पवन क्षमता अधिक, अन्य में कम।


5. ऊर्जा नीति में सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय सौर मिशन (2010) – 100 GW सौर ऊर्जा का लक्ष्य।

  • राष्ट्रीय पवन ऊर्जा मिशन

  • अटल ज्योति योजना – सौर ऊर्जा से स्ट्रीट लाइटिंग।

  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) – ऊर्जा दक्ष उपकरणों को बढ़ावा।

  • वन नेशन, वन ग्रिड – राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत विद्युत ग्रिड।


6. भविष्य की दिशा

  • ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत – घरेलू उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर।

  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर – नवीकरणीय ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ना।

  • कार्बन न्यूट्रल लक्ष्य – 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन।

  • हाइड्रोजन और बैटरी तकनीक – ऊर्जा भंडारण और स्वच्छ ईंधन का विस्तार।

  • क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग – अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)।


निष्कर्ष

भारत की ऊर्जा नीति समय के साथ विकसित हुई है और अब इसका मुख्य उद्देश्य केवल ऊर्जा उपलब्ध कराना ही नहीं बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण भी है। आज आवश्यकता है कि हम नवीकरणीय स्रोतों, तकनीकी नवाचार और ऊर्जा संरक्षण पर विशेष ध्यान दें ताकि भारत ऊर्जा आत्मनिर्भर और सुरक्षित राष्ट्र बन सके।



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