ऊर्जा नीति और ऊर्जा संरक्षण
Energy Policy and Energy Conservation
ऊर्जा आधुनिक जीवन की रीढ़ है। उद्योग, कृषि, परिवहन, सूचना प्रौद्योगिकी और घरेलू कार्य – सभी की नींव ऊर्जा पर आधारित है। परंतु ऊर्जा की बढ़ती मांग और संसाधनों की सीमित उपलब्धता ने विश्व को ऊर्जा संकट और पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर किया है।
भारत जैसे विकासशील देश में, जहाँ जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और औद्योगीकरण व शहरीकरण अपने चरम पर है, वहाँ ऊर्जा नीति और ऊर्जा संरक्षण का महत्व और भी अधिक हो जाता है।
1. ऊर्जा नीति का अर्थ
ऊर्जा नीति किसी भी देश द्वारा तैयार की गई वह रणनीति और दिशा-निर्देश है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा के उत्पादन, वितरण, उपभोग और संरक्षण को संतुलित और सतत बनाना होता है।
भारत की ऊर्जा नीति का मूल उद्देश्य है:
- ऊर्जा स्रोतों का संतुलित उपयोग।
- आर्थिक विकास को गति देना।
- पर्यावरणीय प्रभाव कम करना।
- देश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाना।
2. भारत की ऊर्जा नीति
भारत ने समय-समय पर ऊर्जा क्षेत्र में कई नीतियाँ और योजनाएँ लागू की हैं।
2.1. राष्ट्रीय ऊर्जा नीति (National Energy Policy)
- ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करना।
- ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix) में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना।
- ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) पर जोर।
2.2. राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission)
- 2010 में आरंभ।
- लक्ष्य – भारत को सौर ऊर्जा का वैश्विक नेता बनाना।
- सौर पैनल, सोलर पार्क और रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट को प्रोत्साहन।
2.3. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency – BEE)
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के तहत स्थापित।
- विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम।
- घरेलू उपकरणों पर स्टार लेबलिंग प्रणाली।
2.4. अन्य पहलें
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा मिशन।
- बायो-ऊर्जा और बायोगैस योजनाएँ।
- हाइड्रो और न्यूक्लियर पावर के विस्तार की नीति।
3. ऊर्जा संरक्षण का महत्व
ऊर्जा संरक्षण का अर्थ है ऊर्जा के सही और कुशल उपयोग द्वारा उसकी बर्बादी को रोकना।
ऊर्जा संरक्षण के प्रमुख लाभ
- ऊर्जा संकट से निपटना – सीमित जीवाश्म ईंधनों पर दबाव कम होता है।
- आर्थिक बचत – बिजली व ईंधन खर्च में कमी।
- पर्यावरण संरक्षण – प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम।
- सतत विकास – आने वाली पीढ़ियों के लिए संसाधनों की उपलब्धता।
4. ऊर्जा संरक्षण के उपाय
4.1. घरेलू स्तर पर
- LED बल्ब और ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग।
- सौर ऊर्जा से पानी गर्म करना और बिजली उत्पादन।
- बिजली उपकरणों को आवश्यकता न होने पर बंद रखना।
4.2. औद्योगिक स्तर पर
- ऊर्जा-कुशल मशीनों और तकनीकों का उपयोग।
- कचरे और अवशेष से ऊर्जा उत्पादन।
- ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली लागू करना।
4.3. परिवहन क्षेत्र में
- सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहन।
- इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों का उपयोग।
- पेट्रोल और डीज़ल की खपत कम करना।
4.4. सरकारी स्तर पर
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 का कठोर क्रियान्वयन।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर सब्सिडी और प्रोत्साहन।
- जन जागरूकता अभियान।
5. ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001
भारत सरकार ने ऊर्जा बचत और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 लागू किया।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्थापना।
- बड़े उद्योगों के लिए ऊर्जा लेखा-जोखा और ऑडिट अनिवार्य।
- उपकरणों और वाहनों पर ऊर्जा लेबलिंग प्रणाली।
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC) – भवन निर्माण में ऊर्जा बचत सुनिश्चित करना।
6. ऊर्जा नीति और संरक्षण : तुलनात्मक दृष्टिकोण
| पहलू | ऊर्जा नीति | ऊर्जा संरक्षण | 
|---|---|---|
| परिभाषा | ऊर्जा उत्पादन व प्रबंधन की रणनीति | ऊर्जा का कुशल व न्यूनतम उपयोग | 
| उद्देश्य | ऊर्जा सुरक्षा व आत्मनिर्भरता | ऊर्जा बचत व पर्यावरण संरक्षण | 
| दृष्टिकोण | दीर्घकालिक (Macro Level) | लघुकालिक व व्यक्तिगत (Micro Level) | 
| लाभार्थी | पूरे देश व अर्थव्यवस्था | व्यक्ति, समाज और पर्यावरण | 
निष्कर्ष
भारत के लिए ऊर्जा नीति और ऊर्जा संरक्षण दोनों ही अत्यंत आवश्यक हैं। एक ओर ऊर्जा नीति देश को सतत ऊर्जा विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा देती है, वहीं ऊर्जा संरक्षण व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
इसलिए हमें चाहिए कि हम नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाएँ, ऊर्जा बचत के उपाय अपनाएँ, और सरकार की ऊर्जा संरक्षण नीतियों में सक्रिय भागीदारी करें। यही मार्ग भारत को ऊर्जा समृद्ध, पर्यावरण सुरक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बना सकता है।
 
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