भारत में ऊर्जा स्रोत

भारत में ऊर्जा स्रोत

    परिचय(Indtroduction)

    भारत एक तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था है और इसके विकास का आधार ऊर्जा (Energy) है। किसी भी देश की औद्योगिक, कृषि, परिवहन और घरेलू गतिविधियाँ ऊर्जा पर निर्भर होती हैं।

    भारत की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में नवीकरणीय और नाभिकीय ऊर्जा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ऊर्जा के ये स्रोत न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से स्वच्छ हैं, बल्कि देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास में भी योगदान करते हैं।


    सौर ऊर्जा (Solar Energy)

    परिचय और महत्व

    सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों से प्राप्त होने वाली स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा है। भारत में लगभग 300–330 धूप वाले दिन प्रति वर्ष हैं, जिससे यह देश के लिए सबसे बड़े ऊर्जा स्रोतों में से एक बनती है।

    तकनीकी विवरण

    सौर ऊर्जा उत्पादन मुख्यतः दो तरीकों से होता है:

    1. फोटोवोल्टाइक (PV) पैनल – सूर्य की रोशनी को सीधे बिजली में परिवर्तित करता है।
    2. सौर थर्मल तकनीक – सूर्य की गर्मी का उपयोग करके ताप और बिजली उत्पादन।

    भारत में स्थिति

    राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में बड़े सौर पार्क स्थापित हैं। Rooftop सौर पैनल शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहे हैं।

    लाभ

    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन न्यूनतम
    • ऊर्जा आत्मनिर्भरता में वृद्धि
    • ग्रामीण रोजगार और स्थानीय उद्योग को बढ़ावा

    चुनौतियाँ और समाधान

    • समस्या: दिन और मौसम पर निर्भरता
    • समाधान: बैटरी भंडारण प्रणाली और स्मार्ट ग्रिड का विकास


    पवन ऊर्जा (Wind Energy)

    परिचय और महत्व

    पवन ऊर्जा हवा के प्रवाह से उत्पन्न होती है। यह स्वच्छ, नवीकरणीय और स्थायी ऊर्जा स्रोत है।

    तकनीकी विवरण

    पवन टरबाइन हवा की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा और फिर बिजली में बदलते हैं। आधुनिक टरबाइन की क्षमता 2–5 मेगावाट तक होती है।

    भारत में स्थिति

    तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान पवन ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं। भारत में पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता लगभग 42.3 GW (2024 तक) है।

    लाभ

    • स्वच्छ ऊर्जा, प्रदूषण रहित
    • ग्रामीण रोजगार सृजन
    • ऊर्जा उत्पादन में स्थिरता

    चुनौतियाँ

    • मौसम और क्षेत्रीय निर्भरता
    • भूमि उपयोग और पर्यावरणीय अनुमति


    जल विद्युत (Hydropower)

    परिचय और महत्व

    जल विद्युत ऊर्जा जल प्रवाह से उत्पन्न होती है। यह स्थिर और निरंतर बिजली प्रदान करती है।

    भारत में स्थिति

    उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्य जल विद्युत उत्पादन में प्रमुख हैं। भारत की कुल जल विद्युत क्षमता लगभग 45 GW है।

    लाभ

    • सतत और स्थिर ऊर्जा
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन न्यूनतम
    • सिंचाई और जल प्रबंधन में मदद

    चुनौतियाँ

    • बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण
    • पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय आबादी का विस्थापन


    जैविक ऊर्जा (Biomass Energy)

    परिचय और महत्व

    जैविक ऊर्जा कृषि अपशेष, वनस्पति और कचरे से प्राप्त होती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा और रोजगार दोनों प्रदान करती है।

    तकनीकी विवरण

    • दहन (Combustion): कचरे या कृषि अपशेष को जलाकर बिजली या ताप उत्पन्न करना
    • बायोगैस: कचरे और अपशिष्ट से मीथेन गैस उत्पन्न कर बिजली उत्पादन

    भारत में स्थिति

    उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पंजाब में बड़े पैमाने पर बायोमास ऊर्जा परियोजनाएँ हैं।

    लाभ

    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम
    • ग्रामीण रोजगार और स्थानीय ऊर्जा उपलब्धता
    • कृषि अपशेष का प्रभावी उपयोग

    चुनौतियाँ

    • उत्पादन के लिए स्थिर कच्चा माल उपलब्धता
    • तकनीकी और निवेश आवश्यकताएँ


    भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)

    परिचय

    भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी के आंतरिक ताप से उत्पन्न होती है। यह स्थायी और पर्यावरण अनुकूल है।

    भारत में स्थिति

    उत्तराखंड, लद्दाख और पश्चिमी भारत में सीमित क्षेत्र में संभावनाएँ।

    लाभ

    • स्थिर ऊर्जा स्रोत
    • प्रदूषण रहित
    • निरंतर बिजली उपलब्ध

    चुनौतियाँ

    • सीमित क्षेत्र में उपलब्ध
    • उच्च तकनीकी निवेश आवश्यक


    नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy)

    परिचय और महत्व

    नाभिकीय ऊर्जा परमाणु विखंडन (Fission) से उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा स्थिर, उच्च क्षमता वाली और पर्यावरण अनुकूल होती है।

    भारत में स्थिति

    भारत की नाभिकीय ऊर्जा क्षमता लगभग 22 GW है। प्रमुख संयंत्र: तारापुर (महाराष्ट्र), काकड़ (गुजरात), रावतभाटा (राजस्थान)।

    लाभ

    • स्थिर बेसलोड ऊर्जा
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन न्यूनतम
    • ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाता है

    चुनौतियाँ

    • उच्च निवेश और तकनीकी जटिलता
    • रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन
    • स्थानीय समुदाय का समर्थन


    भारत में ऊर्जा रणनीति और नीतियाँ

    • राष्ट्रीय सौर मिशन: सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के लिए
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): वैश्विक सौर सहयोग
    • उज्ज्वला योजना: ग्रामीण ईंधन आपूर्ति
    • 2030 लक्ष्य: कुल ऊर्जा उत्पादन का 50% नवीकरणीय स्रोतों से


    निष्कर्ष

    भारत में नवीकरणीय और नाभिकीय ऊर्जा स्रोत स्थायी, पर्यावरण अनुकूल और आर्थिक रूप से लाभकारी हैं। सही नीतियाँ, निवेश और तकनीकी नवाचार से भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है और भविष्य में वैश्विक ग्रीन एनर्जी लीडर बन सकता है।



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