भारत में पर्यावरणीय नीतियाँ और कानून

भारत में पर्यावरणीय नीतियाँ और कानून

भारत में पर्यावरण संरक्षण को अत्यधिक महत्व दिया गया है। बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या दबाव के कारण पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है। इसे नियंत्रित करने और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर कई पर्यावरणीय नीतियाँ और कानून बनाए हैं।


पर्यावरण संरक्षण की संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कुछ विशेष अनुच्छेद हैं:

  • अनुच्छेद 48A – राज्य का दायित्व है कि वह पर्यावरण और वनों की रक्षा करे।
  • अनुच्छेद 51A (g) – प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा करे।


भारत की प्रमुख पर्यावरणीय नीतियाँ

1. राष्ट्रीय वन नीति (National Forest Policy)

  • 1952 में पहली बार बनाई गई।
  • 1988 की नीति में वनों की सुरक्षा, जन भागीदारी और वनावरण बढ़ाने पर जोर।

2. राष्ट्रीय पर्यावरण नीति (National Environment Policy 2006)

  • सतत विकास (Sustainable Development) पर केंद्रित।
  • प्रदूषण नियंत्रण, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा।

3. राष्ट्रीय जल नीति (National Water Policy 2012)

  • जल संसाधनों का सतत उपयोग।
  • नदियों और भूजल का संरक्षण।
  • वर्षा जल संचयन को बढ़ावा।

4. राष्ट्रीय जैव विविधता कार्ययोजना (National Biodiversity Action Plan 2008, 2014)

  • विलुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण।
  • जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन।

5. राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना 

(National Action Plan on Climate Change – NAPCC, 2008)


 राष्ट्रीय मिशन, जैसे –

  • राष्ट्रीय सौर मिशन
  • राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता मिशन
  • राष्ट्रीय जल मिशन
  • राष्ट्रीय कृषि मिशन
  • राष्ट्रीय मिशन ऑन हैबिटेट

भारत के प्रमुख पर्यावरणीय कानून

1. जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974

  • जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए।
  • केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना।

2. वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981

  • वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया।
  • उद्योगों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण।

3. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

  • भोपाल गैस त्रासदी के बाद लाया गया।
  • पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यापक अधिकार दिए गए।

4. जैव विविधता अधिनियम, 2002

  • जैव संसाधनों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के लिए।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण की स्थापना।

5. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972

  • राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और संरक्षित क्षेत्रों का प्रावधान।
  • विलुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा।

6. वन संरक्षण अधिनियम, 1980

  • वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक।
  • वन भूमि के अन्य उपयोग पर नियंत्रण।

7. राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (NGT)

  • पर्यावरण से जुड़े विवादों और मामलों के निपटारे के लिए विशेष न्यायाधिकरण।

भारत की पर्यावरणीय न्याय व्यवस्था

  • सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कई मामलों में पर्यावरण को जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) से जोड़ा है।
  • पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) के माध्यम से नागरिक पर्यावरणीय मुद्दों को अदालत में उठा सकते हैं।


👉 निष्कर्ष

भारत में पर्यावरणीय नीतियाँ और कानून सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन इनका प्रभाव तभी होगा जब सरकारी संस्थाएँ, उद्योग, और आम नागरिक मिलकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें। यह न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ