भारत की पर्यावरणीय समस्याएँ
Environmental Problems in India
भारत जैसे विशाल और जनसंख्या बहुल देश में पर्यावरणीय समस्याएँ (Environmental Problems) तीव्र गति से बढ़ रही हैं। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने पर्यावरण संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
🌍 प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ
1. वायु प्रदूषण
- भारत के कई शहर (दिल्ली, गाज़ियाबाद, लखनऊ, पटना, मुंबई) विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं।
- PM2.5 और PM10 कण स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक।
- प्रमुख स्रोत: वाहनों का धुआँ, औद्योगिक इकाइयाँ, कोयला आधारित बिजली संयंत्र, पराली जलाना।
2. जल प्रदूषण
- नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, साबरमती प्रदूषण से प्रभावित।
- औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज और प्लास्टिक कचरा जल प्रदूषण के मुख्य कारण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल का अत्यधिक दोहन और रासायनिक खादों से जल गुणवत्ता प्रभावित।
3. भूमि क्षरण और मृदा प्रदूषण
- रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग।
- वनों की कटाई और खनन से भूमि बंजर होती जा रही है।
- मरुस्थलीकरण विशेषकर राजस्थान, गुजरात और मध्य भारत में गंभीर समस्या।
4. वनों की कटाई
- शहरीकरण, खनन, सड़क निर्माण और कृषि विस्तार ने वनों पर दबाव बढ़ाया।
- 1951 से अब तक भारत का वन क्षेत्र 33% लक्ष्य से काफी कम (2025 तक लगभग 21-22%) है।
- जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव।
5. जलवायु परिवर्तन
- मानसून पैटर्न में बदलाव, असामान्य वर्षा, चक्रवात और बाढ़।
- 2023–24 में भारत में हीट वेव और लू की घटनाएँ अधिक रहीं।
- हिमालयी हिमनदों के तेजी से पिघलने से भविष्य में जल संकट और बाढ़ का खतरा।
6. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समस्या
- शहरी भारत में प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है।
- इसमें से केवल 30-35% ही सही तरह से प्रबंधित हो पाता है।
- प्लास्टिक प्रदूषण सबसे गंभीर चुनौती।
7. जैव विविधता संकट
- शेर, हाथी, गैंडा, कछुआ जैसी कई प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर।
- अवैध शिकार, आवास विनाश और प्रदूषण इसके प्रमुख कारण।
8. ध्वनि प्रदूषण
- महानगरों में यातायात, उद्योग और निर्माण कार्य ध्वनि प्रदूषण का कारण।
- इससे मानसिक स्वास्थ्य और नींद पर बुरा प्रभाव।
📊 भारत में पर्यावरणीय संकट
- 2025 तक भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक।
- विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में।
- प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष प्लास्टिक उपयोग ~10 किलो (जिसमें से आधे से अधिक का पुनर्चक्रण नहीं होता)।
- भारत का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) – 200+ (खराब श्रेणी)।
⚠️ पर्यावरणीय समस्याओं के प्रभाव
- स्वास्थ्य पर प्रभाव – दमा, कैंसर, हृदय रोग और श्वसन संबंधी बीमारियाँ।
- कृषि पर प्रभाव – भूमि की उर्वरता में कमी, सूखा और बाढ़ से उत्पादन प्रभावित।
- जल संकट – 2025 तक भारत के 20 से अधिक शहरों में भूजल समाप्त होने की आशंका।
- आर्थिक नुकसान – प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से GDP में सालाना ~2-3% की हानि।
- सामाजिक प्रभाव – विस्थापन, जल युद्ध और ग्रामीण-शहरी असमानता।
✅ सरकार और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) – पर्यावरणीय मामलों की निगरानी।
- स्वच्छ भारत मिशन – ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन – गंगा नदी की सफाई।
- राष्ट्रीय विद्युत नीति – नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार (सौर, पवन, जलविद्युत)।
- प्लास्टिक प्रतिबंध नीति (2019, 2022 में कड़ा किया गया)।
- पेरिस समझौता और COP बैठकें – भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन।
🌱 संभावित समाधान
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग – सौर और पवन ऊर्जा का विस्तार।
- जनसंख्या नियंत्रण और संसाधनों का संतुलित उपयोग।
- सतत कृषि पद्धति – जैविक खेती, कम पानी वाली फसलें।
- वन संरक्षण और वृक्षारोपण।
- सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोत्साहन।
- जल संरक्षण – वर्षा जल संचयन, पुनर्चक्रण तकनीक।
- कचरा प्रबंधन – 3R सिद्धांत (Reduce, Reuse, Recycle)।
- जनजागरूकता अभियान – शिक्षा और मीडिया के माध्यम से पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता।
निष्कर्ष
भारत की पर्यावरणीय समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं और यह केवल सरकार की ही नहीं बल्कि नागरिकों की भी जिम्मेदारी है। यदि हम सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में ठोस कदम उठाएँ, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सकता है।
 
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