निष्पक्षता(Fairness)
प्रशासनिक न्याय और नैतिक आचरण का मूल आधार
परिचय: निष्पक्षता का स्वरूप और आवश्यकता
निष्पक्षता (Impartiality) एक ऐसा नैतिक मूल्य है जो किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह, निजी हित या भेदभाव से मुक्त होकर सत्य, न्याय और समानता के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाता है। यह प्रशासनिक व्यवस्था की न्यायसंगतता और पारदर्शिता की आधारशिला है। विशेष रूप से सिविल सेवकों के लिए निष्पक्षता अपनाना अनिवार्य है, क्योंकि वे विभिन्न वर्गों, जातियों, भाषाओं और विचारधाराओं के नागरिकों के प्रति एक समान उत्तरदायित्व रखते हैं।
1. निष्पक्षता का अर्थ और महत्व
अर्थ
निष्पक्षता का तात्पर्य है – "बिना किसी पूर्वाग्रह या निजी लाभ के, न्याय और तर्क के आधार पर निर्णय लेना।" इसका अभिप्राय है कि एक सिविल सेवक न तो निजी झुकाव रखे, न ही किसी बाहरी दबाव या प्रभाव में आए।
महत्व
- लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा
- सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना
- प्रशासन में जनता का विश्वास बनाए रखना
- सामाजिक न्याय की स्थापना
2. निष्पक्षता और प्रशासनिक नैतिकता
नैतिक प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत निष्पक्षता है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी नीति, योजना या निर्णय व्यक्तिगत या राजनैतिक प्रभावों से अछूता हो। निष्पक्ष अधिकारी ही समाज के प्रत्येक वर्ग को समान दृष्टि से देखता है और भेदभाव के बिना सेवा देता है।
3. निष्पक्षता के व्यावहारिक उदाहरण
(1) न्यायिक नियुक्तियों में निष्पक्षता
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर होती है, न कि जाति, धर्म या राजनैतिक जुड़ाव के आधार पर।
(2) सिविल सेवा परीक्षा की पारदर्शिता
UPSC द्वारा आयोजित परीक्षाएं निष्पक्षता का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जहाँ योग्यता और प्रतिभा को प्राथमिकता दी जाती है।
(3) लोक सेवकों द्वारा चुनावी निष्पक्षता का पालन
मुख्य चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन ने राजनैतिक हस्तक्षेपों को चुनौती देकर निष्पक्ष चुनाव प्रणाली को मजबूती दी।
4. निष्पक्षता के मार्ग में आने वाली चुनौतियाँ
- राजनैतिक दबाव
- सांप्रदायिक या जातिगत पूर्वाग्रह
- आर्थिक प्रलोभन
- निजी संबंधों का प्रभाव
- लोकप्रियता की चाह
5. निष्पक्षता को बनाए रखने की रणनीतियाँ
(1) आत्मनियंत्रण और नैतिक साहस
नैतिक मूल्यों में दृढ़ता और गलत के विरुद्ध खड़े होने की हिम्मत।
(2) पारदर्शिता और जवाबदेही
सभी निर्णयों को खुली प्रक्रिया के तहत लेना ताकि उन पर सवाल उठाया जा सके।
(3) निरंतर प्रशिक्षण और जागरूकता
सिविल सेवकों को नैतिकता और आचरण संहिता पर समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
(4) हितों का टकराव टालना
जहां भी कोई निर्णय निजी हितों से प्रभावित हो सकता है, वहाँ स्वयं को उस प्रक्रिया से अलग कर लेना चाहिए।
6. निष्पक्षता और भारतीय संविधान
भारतीय संविधान समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है। अनुच्छेद 14 कहता है कि "राज्य किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता से वंचित नहीं करेगा।" यह स्पष्ट रूप से निष्पक्षता को संवैधानिक मूल्य बनाता है।
7. निष्पक्षता और सिविल सेवा आचरण संहिता
भारत सरकार की सिविल सेवा आचरण संहिता में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि सिविल सेवक को:
- किसी भी राजनैतिक दल से जुड़ाव नहीं रखना चाहिए।
- अपने निर्णयों में निजी लाभ या संबंधों को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए।
- सेवा में रहते हुए सभी वर्गों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
8. निष्कर्ष: निष्पक्षता — एक सिविल सेवक की पहचान
निष्पक्षता केवल एक मूल्य नहीं, बल्कि प्रशासनिक और नैतिक श्रेष्ठता की पहचान है। यह समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक न्याय और सेवा पहुँचाने की नींव है। एक सच्चा सिविल सेवक वही है जो हर निर्णय में निष्पक्षता बनाए रखे और किसी भी दबाव, प्रलोभन या भेदभाव से दूर रहकर जनहित और न्याय को सर्वोपरि माने।
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