भारत का प्रथम आम चुनाव(First General Election of India)
लोकतंत्र की नींव
प्रस्तावना
भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की। लेकिन स्वतंत्रता केवल सत्ता हस्तांतरण नहीं थी, बल्कि यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की स्थापना की ओर पहला कदम थी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत का सफ़र शुरू हुआ 1951-52 के प्रथम आम चुनाव से। यह चुनाव न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अद्वितीय प्रयोग था, क्योंकि करोड़ों निरक्षर और विविधताओं से भरे समाज में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार लागू किया गया।
चुनाव से पूर्व की परिस्थितियाँ
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता थी।
- विभाजन के कारण शरणार्थियों की समस्या और साम्प्रदायिक दंगे सामने थे।
- आर्थिक स्थिति कमजोर थी और निरक्षरता का स्तर बहुत अधिक था।
- ऐसे समय में लोकतांत्रिक चुनाव कराना किसी चुनौती से कम नहीं था।
निर्वाचन आयोग की स्थापना
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) 25 जनवरी 1950 को स्थापित किया गया।
- पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन बने।
- आयोग ने चुनाव के लिए चुनाव चिह्न, मतदाता सूची, मतपेटी और प्रक्रिया तैयार की।
- पहली बार भारत में लगभग 17 करोड़ मतदाताओं को पंजीकृत किया गया, जिनमें से अधिकांश निरक्षर थे।
प्रथम आम चुनाव की तिथि और अवधि
- प्रथम लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक कई चरणों में सम्पन्न हुआ।
- कुल 489 लोकसभा सीटें थीं।
- इसके साथ ही राज्य विधानसभाओं के भी चुनाव आयोजित किए गए।
मताधिकार और मतदान प्रक्रिया
- भारत ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise) लागू किया।
- 21 वर्ष से अधिक उम्र का हर नागरिक, चाहे उसका धर्म, जाति, लिंग या संपत्ति कुछ भी हो, मतदान कर सकता था।
- निरक्षर मतदाताओं की सुविधा के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को चुनाव चिह्न दिया गया।
- मतदान के लिए मतपेटियों का उपयोग हुआ और मतगणना हाथ से की गई।
प्रमुख राजनीतिक दल और उम्मीदवार
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) – जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में।
- भारतीय जनसंघ (आज का भारतीय जनता पार्टी – BJP)।
- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI)।
- सोशलिस्ट पार्टी।
- स्वतंत्र उम्मीदवार और छोटे क्षेत्रीय दल।
- कुल 489 सीटों के लिए लगभग 1,949 उम्मीदवार मैदान में थे।
परिणाम
- कांग्रेस पार्टी ने भारी बहुमत हासिल किया।
- कांग्रेस को 364 सीटें मिलीं।
- कम्युनिस्ट पार्टी को 16 सीटें।
- सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटें।
- बाकी सीटें स्वतंत्र और छोटे दलों को मिलीं।
- कुल मतदान प्रतिशत लगभग 45% रहा।
- जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।
महत्व और उपलब्धियाँ
- लोकतांत्रिक प्रयोग की सफलता – निरक्षरता, गरीबी और विविधता के बावजूद चुनाव शांति और निष्पक्षता से सम्पन्न हुआ।
- विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र – भारत ने दिखा दिया कि लोकतंत्र केवल विकसित देशों तक सीमित नहीं है।
- जन भागीदारी – ग्रामीण क्षेत्रों, महिलाओं और गरीब तबके ने बड़े उत्साह से मतदान किया।
- संवैधानिक लोकतंत्र की नींव – इससे भारतीय संविधान की सफलता प्रमाणित हुई।
चुनौतियाँ
- संचार और परिवहन की कमी के कारण चुनाव प्रक्रिया कठिन रही।
- मतपेटियों और मतदान केंद्रों को देश के दूर-दराज़ इलाकों तक पहुँचाना एक बड़ी चुनौती थी।
- मतदाताओं को शिक्षित करना और मतदान प्रक्रिया समझाना भी कठिन कार्य था।
निष्कर्ष
भारत का प्रथम आम चुनाव केवल एक राजनीतिक घटना नहीं था, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की जीत का प्रतीक था।
इसने सिद्ध कर दिया कि विविधताओं से भरे, निर्धन और निरक्षर समाज में भी लोकतंत्र सफल हो सकता है।
आज जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है, तो इसकी जड़ें 1951-52 के उस प्रथम आम चुनाव में ही निहित हैं। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय के रूप में सदैव अंकित रहेगा।
 
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