भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र
कारण, प्रभाव और प्रबंधन
भारत एक मानसून प्रधान देश है, जहाँ हर वर्ष भारी वर्षा होती है। इस वर्षा का असमान वितरण और नदियों का अतिप्रवाह अक्सर बाढ़ आपदा का कारण बनता है। बाढ़ भारत में सबसे सामान्य प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जो हर वर्ष हजारों लोगों के जीवन और संपत्ति को प्रभावित करती है।
भारत में बाढ़ के प्रमुख कारण
- अत्यधिक वर्षा – मानसून के समय सामान्य से अधिक वर्षा होने पर नदियाँ उफान पर आ जाती हैं।
- नदी का तटबंध टूटना – विशेषकर गंगा, ब्रह्मपुत्र और कोसी नदी क्षेत्रों में।
- हिमनद पिघलना – हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर पिघलने से अचानक जल प्रवाह।
- जल निकासी की कमी – शहरी क्षेत्रों में अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम।
- वनों की कटाई और अव्यवस्थित शहरीकरण – मिट्टी का कटाव और जलभराव।
- बाँध टूटना या जल छोड़ना – अचानक अधिक जल छोड़े जाने से निचले इलाके डूब जाते हैं।
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र
भारत का लगभग 12% भूभाग (40 मिलियन हेक्टेयर) बाढ़ संभावित क्षेत्र है।
| राज्य/क्षेत्र | प्रमुख बाढ़ प्रभावित नदियाँ | 
|---|---|
| बिहार | गंगा, कोसी, गंडक, बागमती | 
| उत्तर प्रदेश | गंगा, घाघरा, यमुना | 
| असम | ब्रह्मपुत्र, बराक | 
| पश्चिम बंगाल | हुगली, दामोदर | 
| ओडिशा | महानदी, ब्राह्मणी | 
| उत्तराखंड और हिमाचल | गंगा की सहायक नदियाँ, सतलज | 
| केरल | पेरियार, भरतपुझा | 
| गुजरात | साबरमती, नर्मदा | 
भारत में प्रमुख बाढ़ घटनाएँ
| वर्ष | स्थान | मुख्य प्रभाव | 
|---|---|---|
| 1954 | बिहार | कोसी नदी की बाढ़ से लाखों लोग विस्थापित | 
| 1978 | उत्तर प्रदेश और बिहार | 45 लाख लोग प्रभावित, भारी फसल नुकसान | 
| 1987 | बिहार | 1,399 मौतें, 2.9 करोड़ प्रभावित | 
| 2008 | कोसी बाढ़ (बिहार) | नेपाल में तटबंध टूटने से 30 लाख लोग प्रभावित | 
| 2013 | उत्तराखंड (केदारनाथ) | बादल फटने और बाढ़ से 6,000 मौतें | 
| 2018 | केरल | 400+ मौतें, लाखों बेघर | 
| 2020 | असम | ब्रह्मपुत्र की बाढ़ से 56 लाख प्रभावित | 
बाढ़ के प्रभाव
- मानव जीवन की हानि – हजारों लोग प्रभावित और विस्थापित।
- कृषि पर प्रभाव – फसलों का नुकसान, मिट्टी की उर्वरता घटती है।
- बुनियादी ढाँचा क्षति – सड़क, पुल, रेलवे, घर डूब जाते हैं।
- स्वास्थ्य संकट – पानी जनित बीमारियाँ (डेंगू, हैजा, मलेरिया)।
- आर्थिक नुकसान – उद्योग, व्यापार और परिवहन पर नकारात्मक असर।
भारत में बाढ़ प्रबंधन और रोकथाम
- तटबंध और बाँध निर्माण – नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करना।
- जल निकासी प्रणाली का सुधार – शहरी क्षेत्रों में ड्रेनेज को सुदृढ़ करना।
- वन संरक्षण और वृक्षारोपण – मिट्टी के कटाव को रोकना।
- अर्ली वार्निंग सिस्टम – उपग्रह और मौसम विभाग से पूर्वानुमान।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) – राहत और बचाव कार्य।
- बाढ़ बीमा और पुनर्वास योजना – प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहयोग।
- नदी जोड़ो परियोजना – नदियों में संतुलित जल वितरण।
निष्कर्ष
भारत में बाढ़ एक गंभीर समस्या है, जो हर वर्ष मानव जीवन, कृषि और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। यदि समय रहते वैज्ञानिक जल प्रबंधन, अर्ली वार्निंग सिस्टम और स्थायी शहरी नियोजन अपनाया जाए, तो बाढ़ से होने वाली हानियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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