ज्वार और भाटा

 ज्वार और भाटा (High Tide and Low Tide)

कारण, प्रकार और प्रभाव

परिचय

ज्वार और भाटा (High Tide and Low Tide) महासागरों के जल स्तर में होने वाले नियमित और आवर्ती उतार-चढ़ाव को कहते हैं। जब समुद्र का जल ऊपर उठकर तट की ओर बढ़ता है, तो उसे ज्वार (High Tide) कहते हैं और जब जल घटकर पीछे हटता है तो उसे भाटा (Low Tide) कहा जाता है। यह प्राकृतिक घटना मुख्यतः चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल तथा पृथ्वी के घूर्णन के कारण होती है।


ज्वार और भाटा के कारण

1. चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण

  • चंद्रमा पृथ्वी के जल को अपनी ओर खींचता है।
  • जिस ओर चंद्रमा होता है, वहाँ ज्वार आता है।
  • इसके विपरीत दिशा में भी पृथ्वी के घूर्णन के कारण ज्वार उत्पन्न होता है।

2. सूर्य का गुरुत्वाकर्षण

  • सूर्य भी पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल डालता है, परंतु इसका प्रभाव चंद्रमा से लगभग आधा होता है।
  • सूर्य और चंद्रमा के सम्मिलित प्रभाव से वसंत ज्वार (Spring Tide) तथा विरोधी स्थिति में निपात ज्वार (Neap Tide) बनते हैं।

3. पृथ्वी का घूर्णन

  • पृथ्वी के घूमने से ज्वार-भाटा प्रतिदिन दो बार आता है।
  • औसतन हर 24 घंटे 50 मिनट में 2 उच्च ज्वार और 2 निम्न ज्वार आते हैं।


ज्वार-भाटा के प्रकार

1. वसंत ज्वार (Spring Tide)

  • जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में होते हैं (अमावस्या और पूर्णिमा को)।
  • तब ज्वार अधिक ऊँचा और भाटा अधिक गहरा होता है।

2. निपात ज्वार (Neap Tide)

  • जब सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के सापेक्ष 90° कोण पर होते हैं (प्रतिपदा और अष्टमी को)।
  • तब ज्वार और भाटा दोनों ही कमजोर होते हैं।

3. दैनिक और अर्धदैनिक ज्वार (Diurnal & Semi-Diurnal Tides)

  • अर्धदैनिक (Semi-Diurnal): दिन में दो बार ज्वार और दो बार भाटा।
  • दैनिक (Diurnal): दिन में केवल एक बार ज्वार और एक बार भाटा।

4. मिश्रित ज्वार (Mixed Tide)

  • कुछ क्षेत्रों में ज्वार और भाटा की ऊँचाई समान नहीं होती, इन्हें मिश्रित ज्वार कहते हैं।

ज्वार-भाटा का प्रभाव

1. जलवायु और पर्यावरण पर प्रभाव

  • तटीय पारिस्थितिकी तंत्र (Mangroves, Coral Reefs) का अस्तित्व ज्वार-भाटा पर निर्भर है।
  • यह तटवर्ती क्षेत्रों में नमी और जल का संतुलन बनाए रखता है।

2. मत्स्य पालन

  • ज्वार-भाटा से समुद्री जीवों का प्रजनन और भोजन चक्र प्रभावित होता है।
  • मछली पकड़ने वाले समुदाय इसके आधार पर अपने कार्य निर्धारित करते हैं।

3. परिवहन और जहाजरानी

  • ज्वार के समय गहरे जल में जहाज आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
  • बंदरगाहों के निर्माण और संचालन में ज्वार-भाटा की भूमिका महत्वपूर्ण है।

4. ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)

  • ज्वार-भाटा से अक्षय ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  • फ्रांस, कनाडा और भारत में ज्वारीय ऊर्जा परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं।

5. तटीय अपक्षय और निक्षेपण

  • ज्वार-भाटा की निरंतर गति से तटीय भूमि का क्षरण और नई भूमि का निर्माण होता है।

विश्व में ज्वार-भाटा के प्रमुख स्थल

  • बे ऑफ फंडी (Bay of Fundy), कनाडा: विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार।
  • अलास्का का कुक इनलेट (Cook Inlet): अत्यधिक ज्वारीय उतार-चढ़ाव।
  • भारत का खंभात की खाड़ी (Gulf of Khambhat): प्रबल ज्वारीय प्रभाव।


निष्कर्ष

ज्वार और भाटा केवल प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन, समुद्री परिवहन, मत्स्य पालन और ऊर्जा उत्पादन के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह पृथ्वी की जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी को संतुलित रखने वाली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारण ज्वार-भाटा के स्वरूप में परिवर्तन हो सकता है, इसलिए इनका वैज्ञानिक अध्ययन और उपयोग भविष्य के लिए आवश्यक है।



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