उच्च न्यायालय

राज्य न्यायपालिका और उच्च न्यायालय

भारत का न्यायिक तंत्र संघीय स्वरूप का है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च है और प्रत्येक राज्य या राज्यों के समूह के लिए उच्च न्यायालय (High Court) सर्वोच्च न्यायिक संस्था होती है। उच्च न्यायालय राज्य न्यायपालिका का शीर्ष स्तर है और इसके अधीन जिला न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालय कार्य करते हैं।


राज्य न्यायपालिका की संरचना

भारत में राज्य न्यायपालिका तीन स्तरों पर कार्य करती है –

  1. उच्च न्यायालय (High Court) – राज्य स्तर का सर्वोच्च न्यायालय।
  2. जिला न्यायालय (District Courts) – जिला स्तर पर न्यायिक कार्यवाही।
  3. अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) – तहसील/तालुका स्तर पर न्याय व्यवस्था।


उच्च न्यायालय का संवैधानिक आधार

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 से 231 तक उच्च न्यायालय से संबंधित प्रावधान हैं।
  • प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा।
  • संसद दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय स्थापित कर सकती है।


उच्च न्यायालय की संरचना

  • उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) और अन्य न्यायाधीश होते हैं।
  • न्यायाधीशों की संख्या राष्ट्रपति निर्धारित करते हैं।
  • न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद।


उच्च न्यायालय में नियुक्ति और योग्यता

न्यायाधीश की नियुक्ति

  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
  • मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्यपाल से परामर्श के बाद होती है।

योग्यता

उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए –

  1. भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. कम से कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहना चाहिए, या
  3. किसी न्यायिक पद पर कम से कम 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।


कार्यकाल और वेतन

  • न्यायाधीशों का कार्यकाल 62 वर्ष की आयु तक होता है।
  • उन्हें केवल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।
  • वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं और यह न्यायालय की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हैं।


उच्च न्यायालय की शक्तियाँ और कार्य

1. मौलिक अधिकारों की रक्षा

  • उच्च न्यायालय रिट जारी कर सकता है – हेबियस कॉर्पस, मण्डामस, प्रोहिबिशन, क्वो वारंटो और सर्टिओरारी
  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर नागरिक सीधे उच्च न्यायालय में जा सकते हैं।

2. न्यायिक कार्य

  • राज्य के अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण रखना।
  • आपराधिक और दीवानी मामलों की सुनवाई।
  • अपीलों की सुनवाई करना।

3. निगरानी और नियंत्रण शक्तियाँ

  • अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णयों की समीक्षा करना।
  • राज्य के न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण पर नियंत्रण।

4. परामर्शात्मक कार्य

  • राज्यपाल की मांग पर किसी विधिक प्रश्न पर परामर्श देना।

5. अन्य शक्तियाँ

  • चुनाव संबंधी विवादों की सुनवाई।
  • संविधान और कानूनों की व्याख्या करना।


उच्च न्यायालय की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के उपाय

  1. न्यायाधीशों की नियुक्ति स्वतंत्र प्रक्रिया द्वारा होती है।
  2. न्यायाधीशों को केवल महाभियोग प्रक्रिया से हटाया जा सकता है।
  3. न्यायाधीशों का वेतन और भत्ते संसद द्वारा सुरक्षित किए गए हैं।
  4. कार्यकाल के दौरान न्यायाधीशों को किसी प्रकार की राजनीतिक दबाव से मुक्त रखा गया है।


भारत के प्रमुख उच्च न्यायालय

भारत में वर्तमान समय (2025) में 25 उच्च न्यायालय हैं।
कुछ प्रमुख उच्च न्यायालय –

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय (उत्तर प्रदेश) – सबसे बड़ा उच्च न्यायालय।
  • गुवाहाटी उच्च न्यायालय – असम, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के लिए।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए।
  • जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख उच्च न्यायालय – केंद्र शासित प्रदेशों के लिए।


निष्कर्ष

राज्य न्यायपालिका और उच्च न्यायालय भारतीय लोकतंत्र में न्याय के संरक्षक हैं। उच्च न्यायालय न केवल अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण रखता है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इसकी स्वतंत्रता और निष्पक्षता भारतीय संविधान की मूल भावना को जीवित रखती है।


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