भारतीय आर्थिक सुधार

भारतीय आर्थिक सुधार

(Indian Economic Reforms)

    परिचय(Introduction)

    भारत की अर्थव्यवस्था ने 1991 में एक ऐतिहासिक मोड़ लिया। उस समय भारत गंभीर भुगतान संतुलन संकट (Balance of Payments Crisis) का सामना कर रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार केवल कुछ हफ्तों के आयात के लिए ही पर्याप्त था। इस संकट से उबरने के लिए भारत सरकार ने तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में व्यापक आर्थिक सुधार (Economic Reforms) लागू किए।

    इन सुधारों को तीन मुख्य स्तंभों में बाँटा गया:

    1. उदारीकरण (Liberalization)
    2. निजीकरण (Privatization)
    3. वैश्वीकरण (Globalization)

    इन्हें संयुक्त रूप से एलपीजी नीति (LPG Policy of 1991) कहा जाता है।


    सुधारों की पृष्ठभूमि

    • 1980 के दशक में भारत की विकास दर बहुत धीमी थी।
    • सार्वजनिक क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता और लाइसेंस-परमिट राज व्यवस्था ने निजी निवेश को रोके रखा।
    • विदेशी मुद्रा संकट ने भारत को IMF और विश्व बैंक से मदद लेने पर मजबूर कर दिया।
    • इसके बदले भारत को संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम (Structural Adjustment Program) अपनाना पड़ा।


    उदारीकरण (Liberalization)

    उदारीकरण का अर्थ है सरकारी नियंत्रण और प्रतिबंधों को कम करना।

    प्रमुख कदम

    • लाइसेंस राज समाप्त: अधिकांश उद्योगों से औद्योगिक लाइसेंस की बाध्यता हटा दी गई।
    • वित्तीय सुधार: ब्याज दरें बाजार के अनुसार निर्धारित होने लगीं।
    • विदेशी निवेश को प्रोत्साहन: FDI और FII के नियम सरल किए गए।
    • व्यापार उदारीकरण: आयात शुल्क घटाए गए और निर्यात को बढ़ावा दिया गया।

    प्रभाव

    • निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ी।
    • प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई।
    • औद्योगिक उत्पादन और निर्यात में तेजी आई।


    निजीकरण (Privatization)

    निजीकरण का उद्देश्य सरकारी उपक्रमों की दक्षता बढ़ाना और घाटे को कम करना था।

    प्रमुख कदम

    • विनिवेश नीति: घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेची गई।
    • रणनीतिक बिक्री: BALCO, VSNL और एयर इंडिया जैसी कंपनियों का निजीकरण हुआ।
    • सरकारी एकाधिकार समाप्त: दूरसंचार, एयरलाइन, बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में निजी क्षेत्र का प्रवेश।

    प्रभाव

    • कार्यक्षमता और प्रतिस्पर्धा में सुधार।
    • सरकार को राजस्व प्राप्त हुआ।
    • उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएँ और विकल्प मिले।


    वैश्वीकरण (Globalization)

    वैश्वीकरण का अर्थ है भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ना।

    प्रमुख कदम

    • विदेशी व्यापार नीतियों में सुधार।
    • विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले गए।
    • WTO (1995) का सदस्य बनने से भारत को वैश्विक व्यापार में स्थान मिला।
    • IT और सेवा क्षेत्र का तेज विकास।

    प्रभाव

    • भारतीय कंपनियाँ वैश्विक प्रतिस्पर्धा में शामिल हुईं।
    • आउटसोर्सिंग और BPO उद्योग का उदय।
    • भारत “विश्व की बैक-ऑफिस” अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा।


    1991 के बाद के प्रमुख सुधार

    • वित्तीय सुधार: बैंकिंग क्षेत्र में सुधार, निजी और विदेशी बैंकों को अनुमति।
    • कर सुधार: आयकर और कॉरपोरेट टैक्स को सरल और तर्कसंगत बनाया गया।
    • बुनियादी ढाँचा सुधार: बिजली, दूरसंचार, परिवहन में निजी निवेश।
    • कृषि सुधार: खाद्य प्रसंस्करण और कृषि विपणन में निजी क्षेत्र को बढ़ावा।
    • वित्तीय बाजार सुधार: SEBI का गठन, शेयर बाजार का आधुनिकीकरण।


    सुधारों का प्रभाव

    सकारात्मक प्रभाव

    • जीडीपी विकास दर में तेजी।
    • गरीबी और बेरोजगारी में कमी।
    • भारत विदेशी निवेश का आकर्षण बना।
    • IT और सेवा क्षेत्र में क्रांति।

    नकारात्मक प्रभाव

    • असमानता और क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ा।
    • कृषि और छोटे उद्योग उपेक्षित रहे।
    • विदेशी कंपनियों पर अधिक निर्भरता।
    • रोजगार का अनौपचारिककरण (Contractual jobs बढ़ना)।


    भविष्य की दिशा

    भारत अब नवीन आर्थिक सुधारों की ओर बढ़ रहा है, जैसे:

    • डिजिटलीकरण और स्टार्टअप इकोसिस्टम का विकास।
    • ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान।
    • बैंकिंग, बीमा और श्रम कानूनों में नए सुधार।
    • “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” पहल के तहत घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन।


    ❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    1. 1991 के आर्थिक सुधार किसने शुरू किए?

    👉 तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने।

    2. सुधारों की आवश्यकता क्यों थी?

    👉 क्योंकि भारत विदेशी मुद्रा संकट और धीमी विकास दर से जूझ रहा था।

    3. LPG नीति में क्या शामिल था?

    👉 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।

    4. इन सुधारों से कौन से क्षेत्र सबसे अधिक लाभान्वित हुए?

    👉 IT, सेवा, दूरसंचार, ऊर्जा और विनिर्माण।

    5. क्या सुधारों से गरीबी घटी?

    👉 हाँ, लेकिन साथ ही आय असमानता भी बढ़ी।

    6. सुधारों का किसानों पर क्या असर हुआ?

    👉 प्रत्यक्ष लाभ कम मिला, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात में अवसर बढ़े।

    7. निजीकरण से उपभोक्ताओं को क्या फायदा हुआ?

    👉 सेवाएँ सस्ती और बेहतर हुईं, जैसे दूरसंचार और एयरलाइन।

    8. क्या सुधारों से रोजगार बढ़ा?

    👉 हाँ, विशेषकर सेवा क्षेत्र में, लेकिन अधिकतर नौकरियाँ अनुबंध आधारित रहीं।

    9. भारत ने WTO में कब प्रवेश किया?

    👉 1995 में।

    10. 1991 के बाद भारत की विकास दर पर क्या असर हुआ?

    👉 औसतन 6–7% वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त हुई, जो पहले 3–4% थी।



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