पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण कानून

 पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण कानून

(Indian Enironment Pollution Control Laws)

भारत में पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कानून, नीतियाँ और संस्थाएँ कार्यरत हैं। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और बढ़ते प्रदूषण के कारण इन कानूनों की आवश्यकता समय-समय पर और भी अधिक हो गई है। इनका मुख्य उद्देश्य है – मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सतत विकास सुनिश्चित करना।


प्रमुख पर्यावरणीय कानून

1. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986)

  • भोपाल गैस त्रासदी (1984) के बाद लागू किया गया।
  • यह एक सर्वव्यापी कानून है जो वायु, जल और भूमि प्रदूषण के सभी पहलुओं को नियंत्रित करता है।
  • सरकार को प्रदूषण रोकने के लिए नियम बनाने और दंड लगाने का अधिकार देता है।


2. जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974

  • नदियों, झीलों और भूजल को प्रदूषण से बचाने हेतु बनाया गया।
  • इसके अंतर्गत केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB/SPCB) की स्थापना हुई।
  • औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज के लिए मानक निर्धारित करता है।


3. वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981

  • वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु लागू।
  • वाहन और उद्योगों से निकलने वाले उत्सर्जन पर नियंत्रण।
  • CPCB और SPCB को निरीक्षण व निगरानी का अधिकार।


4. वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980

  • वनों की कटाई रोकने और वनों के संरक्षण हेतु।
  • किसी भी विकास परियोजना के लिए वन भूमि का उपयोग करने से पहले सरकार की अनुमति आवश्यक।


5. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972

  • संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण हेतु बनाया गया।
  • राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र की स्थापना।
  • शिकार और वन्यजीवों के व्यापार पर नियंत्रण।


6. खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (1989 और संशोधन 2008)

  • औद्योगिक ठोस एवं खतरनाक रासायनिक कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए।
  • ई-वेस्ट, बायो-मेडिकल व प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन को भी शामिल किया गया।


प्रमुख नीतियाँ और पहल

  • राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 – सतत विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर बल।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), 2019 – 2024 तक वायु प्रदूषण में 20-30% कमी का लक्ष्य।
  • स्वच्छ भारत मिशन (2014) – ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता पर केंद्रित।
  • राष्ट्रीय जल नीति (2012) – जल संसाधनों का सतत उपयोग।
  • प्लास्टिक प्रतिबंध नीति (2022) – सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), 2010 – पर्यावरण संबंधी मामलों के त्वरित निपटारे के लिए।


निष्कर्ष

भारत में पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण हेतु बनाए गए कानून और नीतियाँ, जैसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, जल और वायु अधिनियम, वन एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, आदि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक रहे हैं। साथ ही, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, प्लास्टिक प्रतिबंध, स्वच्छ भारत मिशन जैसी नीतियाँ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में व्यावहारिक पहल हैं। यदि इनका प्रभावी कार्यान्वयन हो, तो प्रदूषण नियंत्रण और सतत विकास दोनों ही संभव हो सकते हैं।


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