भारत में राष्ट्रपति चुनाव
एक विस्तृत विश्लेषण
भारत का राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और यह भारतीय लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण संस्था का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष प्रक्रिया द्वारा होता है, जो साधारण चुनावों से बिल्कुल अलग है। यह प्रक्रिया संविधान में स्पष्ट रूप से निर्धारित है और इसकी जटिलता ही इसे अनोखा बनाती है। इस लेख में हम विस्तारपूर्वक भारत के राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया, पात्रता, चुनाव प्रणाली और इससे जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
प्रस्तावना
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 से 62 तक राष्ट्रपति पद और उसके चुनाव संबंधी प्रावधान दिए गए हैं। राष्ट्रपति न केवल राज्य का प्रमुख होता है बल्कि वह भारतीय लोकतंत्र की एकता और अखंडता का प्रतीक भी है। राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं किया जाता, बल्कि इसके लिए एक अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली अपनाई गई है।
राष्ट्रपति पद की पात्रता
भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ अनिवार्य हैं –
- उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
- वह लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
- वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद नहीं धारण कर सकता।
राष्ट्रपति चुनाव की विशेषताएँ
1. अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं किया जाता। इसके बजाय, इसका चुनाव निर्वाचक मंडल (Electoral College) करता है।
2. निर्वाचक मंडल की संरचना
राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल होते हैं –
- संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
ध्यान देने योग्य है कि विधान परिषदों के सदस्य, मनोनीत सांसद या मनोनीत विधायक इसमें भाग नहीं लेते।
3. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
राष्ट्रपति चुनाव में एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote) और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) का उपयोग किया जाता है।
- प्रत्येक विधायक और सांसद के मत का मूल्य उनकी जनसंख्या और सदन में उनकी स्थिति के अनुसार अलग-अलग होता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि राज्यों और केंद्र दोनों का संतुलित प्रतिनिधित्व चुनाव में परिलक्षित हो।
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
1. नामांकन पत्र दाखिल करना
राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक की आवश्यकता होती है। नामांकन पत्र जमा करने के साथ एक निश्चित राशि की जमानत भी देनी होती है।
2. नामांकन पत्रों की जाँच
निर्वाचन आयोग सभी नामांकन पत्रों की जाँच करता है और मान्य उम्मीदवारों की सूची जारी करता है।
3. मतदान प्रक्रिया
- मतदान गुप्त मतपत्र (Secret Ballot) से होता है।
- सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग की मतपर्चियाँ दी जाती हैं ताकि उनके मत अलग-अलग गिने जा सकें।
4. मतों की गणना
- सबसे पहले उम्मीदवारों के प्रथम वरीयता वाले मत गिने जाते हैं।
- यदि कोई उम्मीदवार कुल मान्य मतों का 50% से अधिक प्राप्त कर लेता है, तो वह विजयी घोषित हो जाता है।
- यदि कोई उम्मीदवार बहुमत प्राप्त नहीं कर पाता, तो सबसे कम मत पाने वाले को बाहर कर उसके मतों को अन्य उम्मीदवारों में अगली वरीयता के आधार पर स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक किसी को बहुमत नहीं मिल जाता।
राष्ट्रपति का कार्यकाल और पुनर्निर्वाचन
- राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- वह चाहे तो पुनः चुनाव लड़ सकता है। भारतीय संविधान राष्ट्रपति के लिए कार्यकाल की कोई सीमा निर्धारित नहीं करता।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के एकमात्र राष्ट्रपति रहे हैं जिन्हें दो बार निर्वाचित किया गया।
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य
- भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बने थे (1952)।
- राष्ट्रपति चुनाव में अब तक कई बार सर्वसम्मति भी देखने को मिली है, जैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. जाकिर हुसैन के चुनाव।
- 2017 में रामनाथ कोविंद और 2022 में द्रौपदी मुर्मू का चुनाव ऐतिहासिक रहा क्योंकि वे क्रमशः दलित और आदिवासी समाज से आने वाले पहले राष्ट्रपति बने।
राष्ट्रपति चुनाव की चुनौतियाँ
- राजनीतिक प्रभाव – राष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक दलों की रणनीति और गठबंधन का बहुत महत्व होता है।
- जटिल गणना प्रणाली – समानुपातिक प्रतिनिधित्व और वरीयता आधारित मतदान प्रक्रिया को समझना आम जनता के लिए कठिन है।
- निर्वाचक मंडल की सीमाएँ – इसमें केवल निर्वाचित सांसद और विधायक भाग लेते हैं, जिससे आम जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं होती।
सुधार की संभावनाएँ
- प्रक्रिया में पारदर्शिता – तकनीकी साधनों से चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सकता है।
- जनजागरूकता – लोगों को राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी दी जानी चाहिए।
- प्रत्यक्ष चुनाव की बहस – कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होना चाहिए, ताकि यह और अधिक लोकतांत्रिक हो सके।
निष्कर्ष
भारतीय राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली अपने आप में अद्वितीय और संतुलित है। यह सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति केवल संसद का नहीं बल्कि पूरे संघ और राज्यों का प्रतिनिधि बने। राष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया भारतीय लोकतंत्र की गंभीरता, संतुलन और विविधता को प्रदर्शित करता है।
हम कह सकते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव भारतीय चुनाव प्रणाली का एक ऐसा महत्वपूर्ण स्तंभ है जो संविधान की भावना को जीवित रखता है और भारत को एक सशक्त लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है।
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