भारत में कचरा प्रबंधन नीतियाँ और योजनाएँ
कचरा प्रबंधन (Waste Management) आज भारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण चुनौती है। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और उपभोग की प्रवृत्ति के कारण ठोस, तरल, प्लास्टिक और ई-कचरे की मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। यदि इसका उचित प्रबंधन न किया जाए तो यह स्वास्थ्य, पर्यावरण और आर्थिक विकास पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसी कारण भारत सरकार ने कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन हेतु अनेक नीतियाँ और योजनाएँ लागू की हैं।
1. भारत में कचरा प्रबंधन से संबंधित प्रमुख नीतियाँ
1.1 ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 (Solid Waste Management Rules, 2016)
- सभी घरों और वाणिज्यिक संस्थानों में गीले और सूखे कचरे का पृथक्करण अनिवार्य।
- बायोडिग्रेडेबल कचरे से कम्पोस्ट या बायोगैस उत्पादन को प्रोत्साहन।
- बड़े शहरों में डोर-टू-डोर कलेक्शन और वैज्ञानिक लैंडफिल अनिवार्य।
1.2 प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 (संशोधित 2022)
- सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध।
- Extended Producer Responsibility (EPR) – प्लास्टिक उत्पादकों को अपने अपशिष्ट का प्रबंधन करना होगा।
- पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग को बढ़ावा।
1.3 ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016 (E-Waste Management Rules)
- मोबाइल, कंप्यूटर, बैटरी जैसे इलेक्ट्रॉनिक कचरे का वैज्ञानिक निपटान और पुनर्चक्रण।
- निर्माताओं पर जिम्मेदारी कि वे पुराने उत्पाद वापस लें।
- अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक बनाने पर जोर।
1.4 बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2016
- अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा उत्पन्न कचरे का अलग संग्रहण और उपचार।
- संक्रमण फैलाने वाले अपशिष्ट के लिए पीले, लाल, नीले और काले डिब्बों का प्रयोग।
1.5 निर्माण एवं ध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- निर्माण सामग्री, मलबा, ईंट, कंक्रीट का वैज्ञानिक निपटान।
- पुन: प्रयोग योग्य सामग्री को रीसायकल करना।
1.6 खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- औद्योगिक रसायन, कीटनाशक और अन्य विषैले पदार्थों का सुरक्षित निपटान।
- विशेष लैंडफिल और ट्रीटमेंट, स्टोरेज एंड डिस्पोजल फैसिलिटी (TSDF) की स्थापना।
2. भारत में कचरा प्रबंधन से जुड़ी प्रमुख योजनाएँ
2.1 स्वच्छ भारत मिशन (2014)
- शहरी और ग्रामीण भारत को स्वच्छ और कचरा मुक्त बनाने का लक्ष्य।
- डोर-टू-डोर कलेक्शन, कम्पोस्टिंग और जागरूकता अभियान।
2.2 गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-अग्रो रिसोर्सेज धन योजना (GOBAR-Dhan, 2018)
- ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर और जैविक अपशिष्ट से बायोगैस और खाद बनाना।
- किसानों की आय बढ़ाना और ऊर्जा उत्पादन।
2.3 वेस्ट-टू-एनर्जी प्रोजेक्ट्स
- ठोस कचरे से बिजली और ऊर्जा उत्पादन।
- दिल्ली, पुणे, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहरों में संयंत्र।
2.4 राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कचरा नीति
- ई-कचरे के संग्रहण, पुनर्चक्रण और सुरक्षित निपटान के लिए विशेष दिशानिर्देश।
2.5 नगर निगमों की पहल
- डोर-टू-डोर कलेक्शन,
- स्मार्ट डस्टबिन और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम,
- रीसाइक्लिंग केंद्रों की स्थापना।
3. कचरा प्रबंधन नीतियों की चुनौतियाँ
- जनसंख्या वृद्धि और तेजी से बढ़ते शहरीकरण।
- लोगों में जागरूकता और सहभागिता की कमी।
- पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की अनुपलब्धता।
- अनौपचारिक क्षेत्र (कबाड़ी, रैग पिकर्स) पर अधिक निर्भरता।
- नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन की कमी।
4. समाधान और आगे की दिशा
- जनजागरूकता – घर-घर में कचरा पृथक्करण की आदत डालना।
- तकनीकी नवाचार – स्मार्ट कचरा प्रबंधन प्रणाली, IoT आधारित मॉनिटरिंग।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) – निजी कंपनियों को पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में जोड़ना।
- रीसाइक्लिंग उद्योग को प्रोत्साहन – रोजगार और हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा।
- सख्त नियम और दंड – उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना।
निष्कर्ष
भारत में कचरा प्रबंधन की समस्या तेजी से बढ़ती शहरी आबादी, उपभोग की संस्कृति और अव्यवस्थित निपटान प्रणाली से जुड़ी है। हालांकि, सरकार द्वारा लागू की गई नीतियाँ और योजनाएँ जैसे स्वच्छ भारत मिशन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, ई-कचरा नीति और गोबर-धन योजना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यदि इन योजनाओं को जनभागीदारी, आधुनिक तकनीक और सख्त क्रियान्वयन के साथ लागू किया जाए, तो भारत न केवल कचरा प्रबंधन में सफल होगा बल्कि स्वच्छ, स्वस्थ और सतत विकासशील राष्ट्र के रूप में उभर सकेगा।
 
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