भारत में प्रवासन

भारत में प्रवासन के कारण और प्रभाव


1. प्रवासन के प्रमुख कारण

(क) आर्थिक कारण

  • रोज़गार की तलाश: गाँवों में रोजगार की कमी के कारण लोग शहरों की ओर जाते हैं।
  • बेहतर आय: शहरों में काम करने पर मज़दूरी और आय अधिक मिलती है।
  • कृषि पर निर्भरता: कृषि असफल होने, सूखा या बाढ़ जैसी स्थिति से लोग पलायन करते हैं।

(ख) सामाजिक कारण

  • शिक्षा: बेहतर शिक्षा और कॉलेजों के लिए शहरों की ओर जाना।
  • शादी और परिवार: विवाह, परिवार से जुड़ना या अलग होना।
  • जातिगत भेदभाव: कई बार लोग सामाजिक भेदभाव से बचने के लिए दूसरे स्थान पर जाते हैं।

(ग) राजनीतिक कारण

  • आंतरिक संघर्ष: दंगे, आतंकवाद या विद्रोह के कारण पलायन।
  • सीमा विवाद: सीमावर्ती इलाकों से लोग सुरक्षित जगह की ओर चले जाते हैं।

(घ) पर्यावरणीय कारण

  • सूखा और बाढ़
  • भूकंप और चक्रवात
  • जलवायु परिवर्तन


2. प्रवासन के प्रभाव

(क) सकारात्मक प्रभाव

  • आर्थिक विकास: प्रवासी मज़दूर शहरों की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देते हैं।
  • शिक्षा और कौशल: प्रवासियों को नए कौशल और अनुभव मिलते हैं।
  • पैसे का प्रवाह (Remittances): गाँवों में रहने वाले परिवारों को पैसे भेजकर उनकी स्थिति बेहतर होती है।
  • सांस्कृतिक मेल-जोल: विविधता बढ़ती है और नई परंपराओं का आदान-प्रदान होता है।

(ख) नकारात्मक प्रभाव

  • ग्रामीण इलाकों में मज़दूरी की कमी
  • शहरों में भीड़ और अव्यवस्था (स्लम, ट्रैफ़िक, प्रदूषण)
  • मज़दूरों का शोषण
  • सांस्कृतिक टकराव और सामाजिक असुरक्षा
  • परिवारों का टूटना (छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों का अकेला रह जाना)


3. भारत में प्रवासन के प्रकार

  • ग्रामीण से शहरी प्रवासन – सबसे ज़्यादा यही है।
  • ग्रामीण से ग्रामीण प्रवासन – विवाह या कृषि कार्य हेतु।
  • शहरी से शहरी प्रवासन – नौकरी और व्यापार के लिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन – खाड़ी देशों, अमेरिका, यूरोप में काम के लिए।


4. निष्कर्ष

भारत में प्रवासन एक जटिल सामाजिक-आर्थिक प्रक्रिया है। यह जहाँ एक ओर विकास और अवसर लाता है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक असमानता और शहरी समस्याओं को भी जन्म देता है। सरकार को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार और शिक्षा के अवसर बढ़ाए ताकि मजबूरी में होने वाले प्रवासन को रोका जा सके।



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