मानसून और इसकी विशेषताएँ
परिचय
भारत की जलवायु प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण तत्व मानसून है। यह एक मौसमी पवन प्रणाली है जो वर्षा लाने में प्रमुख भूमिका निभाती है। "मानसून" शब्द अरबी भाषा के "मौसिम" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "ऋतु"। मानसून भारत के कृषि, जल संसाधन, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था का आधार है, क्योंकि यह देश की लगभग 80% वार्षिक वर्षा प्रदान करता है।
मानसून की उत्पत्ति
मानसून का निर्माण भूमि और जल के असमान तापमान के कारण होता है। ग्रीष्मकाल में भारतीय उपमहाद्वीप तेजी से गर्म हो जाता है जबकि आसपास का समुद्र अपेक्षाकृत ठंडा रहता है।
- इससे एक निम्न दाब क्षेत्र उत्तरी भारत और तिब्बत पठार पर बनता है।
- समुद्र से ठंडी, नम हवाएँ इस निम्न दाब क्षेत्र की ओर खिंचती हैं, जिससे मानसून की हवाएँ उत्पन्न होती हैं।
- यही हवाएँ बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी लेकर देश में वर्षा कराती हैं।
भारतीय मानसून के प्रकार
दक्षिण-पश्चिमी मानसून
- समय: जून से सितंबर।
- विशेषता: देश की अधिकतम वर्षा का स्रोत।
शाखाएँ:
बंगाल की खाड़ी शाखा — असम, मेघालय, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तर भारत।
उत्तर-पूर्वी मानसून
- समय: अक्टूबर से दिसंबर।
- विशेषता: मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी में वर्षा।
- कारण: दक्षिण-पश्चिमी मानसून की वापसी के बाद हवाओं की दिशा बदलकर उत्तर-पूर्व से बहना।
मानसून की प्रमुख विशेषताएँ
मौसमी पवन प्रणाली
मानसून मौसमी हवाओं का परिणाम है, जिसमें हवाएँ ग्रीष्म और शीत ऋतु में अपनी दिशा बदलती हैं।
अचानक आरंभ और क्रमिक वापसी
मानसून का आगमन अचानक वर्षा के साथ होता है, जबकि वापसी धीरे-धीरे और क्रमबद्ध रूप से होती है।
वर्षा में क्षेत्रीय भिन्नता
मेघालय के मासिनराम और चेरापूंजी में अत्यधिक वर्षा होती है, जबकि थार मरुस्थल में न्यूनतम।
अनियमितता
मानसून की वर्षा का समय, मात्रा और वितरण कई बार अनिश्चित होता है, जिससे सूखा और बाढ़ दोनों की संभावना रहती है।
कृषि पर निर्भरता
भारत की अधिकांश कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर है, विशेषकर खरीफ फसलों के लिए।
मानसून को प्रभावित करने वाले कारक
तापमान और दाब का अंतर
भारतीय भूमि और हिंद महासागर के बीच तापमान का अंतर दाब के अंतर को जन्म देता है, जिससे हवाओं की दिशा निर्धारित होती है।
हिमालय पर्वत
हिमालय मानसूनी हवाओं को रोककर वर्षा कराता है और ठंडी मध्य एशियाई हवाओं को भारत में प्रवेश से रोकता है।
एल-नीनो और ला-नीना प्रभाव
एल-नीनो मानसून की वर्षा को कम कर सकता है, जबकि ला-नीना इसे बढ़ा सकता है।
भूमि की स्थलाकृति
पश्चिमी घाट और हिमालय जैसे पर्वत श्रृंखलाएँ मानसून के वितरण में अहम भूमिका निभाती हैं।
मानसून का महत्व
- कृषि उत्पादन में वृद्धि।
- जलाशयों और भूजल का पुनर्भरण।
- जलविद्युत उत्पादन में सहायक।
- जैव विविधता और प्राकृतिक पारिस्थितिकी का संरक्षण।
निष्कर्ष
मानसून भारत के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय जीवन का आधार है। इसकी अनियमितता कभी-कभी चुनौतियाँ पैदा करती है, परंतु इसके बिना भारत की कृषि और जल संसाधन व्यवस्था अधूरी है। इसलिए, मानसून के पैटर्न का अध्ययन और संरक्षण देश के सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
 
.png) 
.png) 
0 टिप्पणियाँ