नीति आयोग(NITI Ayog)

 नीति आयोग और उसके कार्य

प्रस्तावना(Introduction)

भारत जैसे विशाल और विविधताओं से भरे देश में सतत और समावेशी विकास के लिए एक लचीले, आधुनिक और सहभागी संस्थान की आवश्यकता थी। इसी दृष्टिकोण से वर्ष 2015 में योजना आयोग (Planning Commission) को समाप्त करके नीति आयोग (NITI Aayog – National Institution for Transforming India) की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य है – सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को प्रोत्साहित करना और राज्यों को विकास प्रक्रिया में बराबरी का भागीदार बनाना।


नीति आयोग की स्थापना

  • स्थापना तिथि: 1 जनवरी 2015
  • प्रधान उद्देश्य: “टॉप-डाउन” योजना निर्माण से हटकर “बॉटम-अप” दृष्टिकोण अपनाना।

संरचना:

  • अध्यक्ष – प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष – प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त
  • पूर्णकालिक सदस्य
  • अंशकालिक सदस्य
  • विशेष आमंत्रित सदस्य
  • मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)

नीति आयोग के उद्देश्य

  • सहकारी संघवाद को प्रोत्साहन देना।
  • नीतिगत और रणनीतिक दिशा-निर्देश तैयार करना।
  • दीर्घकालिक विकास योजनाएँ बनाना।
  • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने की रणनीति।
  • नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करना।


नीति आयोग के प्रमुख कार्य

1. नीति निर्माण और रणनीति

  • विकास योजनाओं और नीतियों का तैयार करना और सुझाव देना।
  • बदलती वैश्विक और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप रणनीति विकसित करना।

2. सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद

  • राज्यों को विकास प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी का अवसर।
  • “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की अवधारणा को साकार करना।
  • राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों को बढ़ावा।

3. कार्यक्रम और योजनाओं की निगरानी

  • केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं की कार्यान्वयन स्थिति का आकलन।
  • परिणाम-आधारित (Outcome-based) मूल्यांकन।

4. थिंक टैंक की भूमिका

  • नीति आयोग एक थिंक टैंक के रूप में सरकार को डेटा आधारित सुझाव प्रदान करता है।
  • आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी विषयों पर शोध और परामर्श।

5. सतत विकास लक्ष्य (SDGs)

  • संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को भारत में लागू करने की रणनीति
  • राज्यों के लिए SDG इंडिया इंडेक्स जारी करना।

6. नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा

  • अटल इनोवेशन मिशन (AIM) और अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से युवाओं में नवाचार की भावना विकसित करना।
  • स्टार्टअप्स और MSME को सहयोग देना।

7. सामाजिक और आर्थिक सुधार

  • स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, रोजगार, बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में सुधार के सुझाव।
  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष योजनाएँ।


नीति आयोग की प्रमुख पहलें

  • अटल इनोवेशन मिशन (AIM) – नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा।
  • SDG इंडिया इंडेक्स – सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति का आकलन।
  • आकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) – पिछड़े जिलों का समग्र विकास।
  • इंडिया @75 और इंडिया @100 विजन डॉक्यूमेंट – दीर्घकालिक विकास रणनीति।
  • स्वास्थ्य और पोषण सुधार पहलें – POSHAN अभियान, स्वास्थ्य इंडेक्स।
  • गवर्नेंस सुधार – डिजिटल गवर्नेंस और ई-सेवाओं को बढ़ावा।


नीति आयोग के लाभ

  • राज्यों को विकास प्रक्रिया में अधिक स्वायत्तता और भागीदारी।
  • नवाचार आधारित नीतिगत दृष्टिकोण।
  • परिणामोन्मुख (Outcome-oriented) योजनाओं पर जोर।
  • सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को वास्तविक रूप देना।
  • राज्यों और केंद्र के बीच विश्वास और साझेदारी का विकास।


नीति आयोग की चुनौतियाँ

  • राज्यों के बीच संसाधनों की असमानता
  • कई बार केंद्र और राज्य के हितों में टकराव।
  • परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विलंब।
  • नीति आयोग के पास वित्तीय शक्ति का अभाव – केवल परामर्शदाता की भूमिका।
  • ग्रामीण क्षेत्रों तक नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन की चुनौती।


निष्कर्ष

नीति आयोग भारत में सहकारी संघवाद, नवाचार और समावेशी विकास का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह केवल योजनाएँ बनाने का संस्थान नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक थिंक टैंक है जो सरकार को दीर्घकालिक दृष्टिकोण, सुधार और आधुनिक नीतियों की दिशा में मार्गदर्शन देता है। यदि नीति आयोग अपने सुझावों को मजबूत कार्यान्वयन ढाँचे और वित्तीय अधिकारों से जोड़ सके, तो यह भारत को आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।



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