गरीबी (Poverty)

 गरीबी (Poverty) 

भारत जैसे विकासशील देश में गरीबी (Poverty) एक बड़ी चुनौती है। यह केवल आर्थिक स्थिति का ही नहीं बल्कि सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी पिछड़ेपन का भी प्रतीक है। सरकार द्वारा समय-समय पर गरीबी निवारण के लिए कई योजनाएँ (Schemes) चलाई गई हैं। इस लेख में हम गरीबी रेखा की परिभाषा, इसकी गणना, भारत में गरीबी की स्थिति तथा गरीबी उन्मूलन योजनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे।


गरीबी रेखा का परिचय

गरीबी रेखा क्या है?

गरीबी रेखा (Poverty Line) वह न्यूनतम आय या उपभोग स्तर है, जो किसी व्यक्ति को जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं – भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य – पूरा करने के लिए चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की आय या खपत इस स्तर से कम है, तो उसे गरीबी रेखा से नीचे (BPL – Below Poverty Line) माना जाता है।

भारत में गरीबी रेखा निर्धारण

भारत में गरीबी रेखा निर्धारित करने के लिए विभिन्न समितियों और आयोगों का गठन किया गया है:

  • लकदावाला समिति (Lakdawala Committee, 1993): न्यूनतम कैलोरी खपत पर आधारित।
  • तेंदुलकर समिति (Tendulkar Committee, 2009): शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य खर्च को भी शामिल किया।
  • रंगराजन समिति (Rangarajan Committee, 2014): ग्रामीण व शहरी गरीबी की नई परिभाषा दी।

वर्तमान स्थिति

भारत में गरीबी का आकलन NITI Aayog द्वारा बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index – MPI) के आधार पर किया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के कई सूचकांक शामिल हैं।


भारत में गरीबी की स्थिति

  • विश्व बैंक के अनुसार, भारत ने पिछले दशक में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
  • फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का प्रतिशत शहरी क्षेत्रों से अधिक है।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों की कमी गरीबी के मुख्य कारण हैं।


गरीबी उन्मूलन योजनाएँ

भारतीय सरकार ने गरीबी हटाने के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं। इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है:

1. रोजगार सृजन योजनाएँ

  • महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA, 2005): ग्रामीण गरीबों को 100 दिन का न्यूनतम रोजगार गारंटी।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार योग्य बनाना।
  • स्टार्टअप इंडिया व स्टैंडअप इंडिया: उद्यमिता को प्रोत्साहन।

2. खाद्य सुरक्षा एवं पोषण योजनाएँ

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA, 2013): गरीबों को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराना।
  • मिड-डे मील योजना: बच्चों को स्कूल में पोषणयुक्त भोजन।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण हेतु आर्थिक सहायता।

3. आवास योजनाएँ

  • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): सभी को किफायती आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
  • इंदिरा आवास योजना (IAY): ग्रामीण गरीबों को पक्के मकान।

4. स्वास्थ्य योजनाएँ

  • आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY): गरीब परिवारों को ₹5 लाख तक की स्वास्थ्य बीमा सुविधा।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM): ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाना।

5. वित्तीय समावेशन योजनाएँ

  • प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY): गरीबों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराना।
  • मुद्रा योजना (MUDRA): छोटे व्यवसायियों को ऋण।

6. सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ

  • अटल पेंशन योजना (APY): असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को पेंशन सुविधा।
  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP): वृद्ध, विधवा और दिव्यांगों के लिए आर्थिक सहायता।


गरीबी उन्मूलन की चुनौतियाँ

  • जनसंख्या वृद्धि गरीबी उन्मूलन में बड़ी बाधा है।
  • शिक्षा व कौशल की कमी रोजगार अवसरों को सीमित करती है।
  • भ्रष्टाचार व कुप्रबंधन योजनाओं के प्रभाव को कम कर देते हैं।
  • ग्रामीण-शहरी असमानता भी गरीबी का मुख्य कारण है।


निष्कर्ष

भारत ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। गरीबी रेखा हमें यह समझने में मदद करती है कि समाज के कितने लोग न्यूनतम जीवन स्तर से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

सरकारी योजनाएँ जैसे MGNREGA, NFSA, PMAY और आयुष्मान भारत ने गरीबों की स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभाई है। आने वाले वर्षों में यदि इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन, शिक्षा व कौशल विकास पर जोर और सामाजिक समानता सुनिश्चित की जाए, तो भारत गरीबी मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा।



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