सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम 

(Public Sector Undertaking – PSUs)

    परिचय(Introduction)

    भारत की आर्थिक संरचना में सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector Undertaking – PSUs) ने स्वतंत्रता के बाद से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सार्वजनिक क्षेत्र ने बुनियादी ढाँचे का निर्माण, रोजगार सृजन और सामाजिक कल्याण में अहम योगदान दिया। लेकिन समय के साथ इन कंपनियों की कार्यक्षमता और वित्तीय प्रदर्शन पर सवाल उठे। इसी कारण भारत सरकार ने पब्लिक सेक्टर सुधार और निजीकरण की नीति को अपनाया।

    वर्ष कंपनी/संस्थान क्षेत्र विनिवेश/निजीकरण का प्रकार खरीदार/हितधारक प्रभाव
    1991 मारुति उद्योग लिमिटेड ऑटोमोबाइल आंशिक विनिवेश सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन विदेशी तकनीक और निवेश बढ़ा
    1999 इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IPCL) पेट्रोकेमिकल आंशिक विनिवेश रिलायंस इंडस्ट्रीज निजी क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ा
    2001 BALCO (भारत एल्युमिनियम कंपनी) धातु रणनीतिक निजीकरण वेदांता ग्रुप विवादित, पर दक्षता में वृद्धि
    2002 VSNL (विदेश संचार निगम लिमिटेड) दूरसंचार रणनीतिक निजीकरण टाटा ग्रुप निजी प्रबंधन से सेवा गुणवत्ता में सुधार
    2004 हिंदुस्तान जिंक खनन आंशिक निजीकरण वेदांता ग्रुप उत्पादन क्षमता और लाभप्रदता बढ़ी
    2010 कोल इंडिया IPO खनन पब्लिक ऑफरिंग आम जनता और संस्थागत निवेशक सरकार को रिकॉर्ड राजस्व प्राप्त
    2012 ओएनजीसी शेयर बिक्री ऊर्जा आंशिक विनिवेश घरेलू और विदेशी निवेशक सरकार के राजकोषीय घाटे में कमी
    2017 हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) ऊर्जा रणनीतिक बिक्री (ONGC को) ओएनजीसी सार्वजनिक क्षेत्र में ही पुनर्गठन
    2021 एयर इंडिया विमानन पूर्ण निजीकरण टाटा ग्रुप घाटे से उबरने और प्रतिस्पर्धा में सुधार
    2022 LIC IPO बीमा आंशिक विनिवेश (IPO) आम जनता और संस्थागत निवेशक भारतीय पूँजी बाजार का ऐतिहासिक IPO

    सार्वजनिक क्षेत्र का परिचय

    परिभाषा

    सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ (Public Sector Undertakings – PSUs) वे संस्थाएँ हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक होती है।

    स्वतंत्रता के बाद भूमिका

    • भारी उद्योग, इस्पात, ऊर्जा, कोयला, बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में प्रमुख योगदान।

    • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के विकास में सहायता।

    • रोजगार और सामाजिक सुरक्षा का प्रमुख साधन।


    सार्वजनिक क्षेत्र सुधार की आवश्यकता

    सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियाँ समय के साथ अकुशल, घाटे में चलने वाली और राजनीतिक हस्तक्षेप से प्रभावित हो गईं।

    मुख्य कारण

    • अत्यधिक नौकरशाही नियंत्रण

    • घाटे का बोझ और कम लाभप्रदता

    • तकनीकी पिछड़ापन

    • वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना


    भारत में निजीकरण की शुरुआत

    1991 के आर्थिक सुधार

    उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG नीति) के अंतर्गत भारत ने सरकारी उपक्रमों के निजीकरण और विनिवेश की नीति अपनाई।

    विनिवेश नीति

    • माइनॉरिटी डिसइन्वेस्टमेंट: सरकार अपनी कुछ हिस्सेदारी निजी निवेशकों को बेचती है।

    • स्ट्रेटेजिक डिसइन्वेस्टमेंट: सरकार प्रबंधन और नियंत्रण दोनों निजी क्षेत्र को सौंप देती है।

    • IPO और स्टॉक मार्केट लिस्टिंग: कई पीएसयू कंपनियों को पब्लिक मार्केट में सूचीबद्ध किया गया।


    निजीकरण की प्रमुख घटनाएँ

    • VSNL (2002): टाटा समूह को बेचा गया।

    • BALCO (2001): वेदांता समूह को बेचा गया।

    • एयर इंडिया (2021): टाटा समूह को हस्तांतरित किया गया।

    • LIC IPO (2022): आंशिक विनिवेश द्वारा जनता को हिस्सेदारी उपलब्ध कराई गई।


    सार्वजनिक क्षेत्र सुधार और निजीकरण के लाभ

    (a) कार्यक्षमता में वृद्धि

    निजी प्रबंधन बेहतर निर्णय लेने और प्रतिस्पर्धी माहौल में तेजी से काम करता है।

    (b) सरकारी राजस्व में वृद्धि

    विनिवेश से सरकार को भारी पूँजी प्राप्त होती है, जिसे बुनियादी ढाँचे और सामाजिक कल्याण में लगाया जा सकता है।

    (c) उपभोक्ता लाभ

    प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सेवाओं की गुणवत्ता सुधरती है और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर सुविधाएँ मिलती हैं।

    (d) तकनीकी विकास

    निजी निवेशक आधुनिक तकनीक और वैश्विक प्रबंधन पद्धतियाँ लाते हैं।


    निजीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ

    (a) रोजगार पर प्रभाव

    निजीकरण के बाद कई बार छँटनी और नौकरियों में कटौती होती है।

    (b) सामाजिक दायित्व में कमी

    निजी कंपनियाँ लाभ केंद्रित होती हैं और अक्सर सामाजिक कल्याण की अनदेखी करती हैं।

    (c) राष्ट्रीय संपत्ति पर नियंत्रण

    रणनीतिक क्षेत्रों में निजीकरण से राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक संप्रभुता प्रभावित हो सकती है।

    (d) क्षेत्रीय असमानता

    निजी कंपनियाँ लाभकारी क्षेत्रों में निवेश करती हैं, जिससे पिछड़े क्षेत्रों की उपेक्षा होती है।


    भारत सरकार की नीतियाँ

    • नया सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति (2021):

      • चार रणनीतिक क्षेत्रों (परमाणु, रक्षा, ऊर्जा और परिवहन) को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों से धीरे-धीरे सरकार बाहर निकलेगी।

      • गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में अधिकतर कंपनियों का निजीकरण या विलय।

    • विनिवेश लक्ष्य:

      • सरकार हर वर्ष बजट में विनिवेश से होने वाली आय का लक्ष्य निर्धारित करती है।

      • 2021-22 में एयर इंडिया का सफल निजीकरण इसी नीति का उदाहरण है।


    भविष्य की दिशा

    • भारत की अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी और वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाने के लिए निजीकरण की गति और तेज़ होगी।

    • बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में भी रणनीतिक विनिवेश की संभावनाएँ हैं।

    • सरकार धीरे-धीरे नियामक (Regulator) की भूमिका निभाएगी, न कि प्रत्यक्ष कारोबारी की।


    नवरत्न PSU

    भारत की नवरत्न कंपनियों (Navratna Companies)

    नवरत्न कंपनियों की सूची (Navratna Companies in India)

    क्रमांक कंपनी का नाम क्षेत्र/उद्योग मुख्यालय विशेष योगदान
    1 Bharat Electronics Limited (BEL) रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स बेंगलुरु रक्षा उपकरण और संचार प्रणाली निर्माण
    2 Container Corporation of India (CONCOR) लॉजिस्टिक्स/परिवहन नई दिल्ली कंटेनर परिवहन और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स
    3 Engineers India Limited (EIL) इंजीनियरिंग और परामर्श नई दिल्ली तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल परियोजनाओं में परामर्श
    4 Hindustan Aeronautics Limited (HAL) विमानन और रक्षा बेंगलुरु लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और इंजन निर्माण
    5 Mahanagar Telephone Nigam Limited (MTNL) दूरसंचार नई दिल्ली दिल्ली और मुंबई में दूरसंचार सेवाएँ
    6 National Aluminium Company (NALCO) धातु (एल्यूमिनियम) भुवनेश्वर भारत का प्रमुख एल्यूमिनियम उत्पादक
    7 NBCC (India) Limited निर्माण और रियल एस्टेट नई दिल्ली बुनियादी ढाँचा विकास और निर्माण परियोजनाएँ
    8 Neyveli Lignite Corporation (NLC India Ltd.) ऊर्जा (लिग्नाइट खनन और बिजली उत्पादन) नेयवेली, तमिलनाडु थर्मल पावर और लिग्नाइट उत्पादन
    9 NMDC Limited खनन (आयरन ओर) हैदराबाद भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक
    10 Oil India Limited (OIL) तेल और प्राकृतिक गैस दुलियाजन, असम तेल और गैस अन्वेषण और उत्पादन
    11 Power Finance Corporation (PFC) वित्तीय सेवाएँ (ऊर्जा क्षेत्र) नई दिल्ली पावर सेक्टर के लिए वित्त उपलब्ध कराना
    12 Rashtriya Ispat Nigam Limited (RINL – Vizag Steel) इस्पात उत्पादन विशाखापट्टनम उच्च गुणवत्ता का स्टील निर्माण
    13 Rural Electrification Corporation (REC Ltd.) वित्त (विद्युत परियोजनाएँ) नई दिल्ली ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए ऋण और वित्त
    14 Shipping Corporation of India (SCI) शिपिंग और समुद्री परिवहन मुंबई समुद्री व्यापार और जहाजरानी सेवाएँ

    महारत्न PSU

    क्रमांक कंपनी का नाम क्षेत्र/उद्योग मुख्यालय विशेष योगदान
    1 Bharat Heavy Electricals Limited (BHEL) ऊर्जा उपकरण निर्माण नई दिल्ली थर्मल, हाइड्रो और न्यूक्लियर पावर उपकरण निर्माण
    2 Bharat Petroleum Corporation Limited (BPCL) तेल और प्राकृतिक गैस मुंबई पेट्रोलियम उत्पाद परिष्करण और विपणन
    3 Coal India Limited (CIL) कोयला खनन कोलकाता दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक
    4 GAIL (India) Limited प्राकृतिक गैस नई दिल्ली गैस पाइपलाइन और वितरण नेटवर्क
    5 Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) तेल और गैस मुंबई पेट्रोलियम उत्पाद परिष्करण और खुदरा
    6 Indian Oil Corporation Limited (IOCL) तेल और प्राकृतिक गैस नई दिल्ली भारत की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी
    7 NTPC Limited ऊर्जा (थर्मल और नवीकरणीय) नई दिल्ली भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन कंपनी
    8 Oil and Natural Gas Corporation (ONGC) तेल और प्राकृतिक गैस देहरादून अपस्ट्रीम तेल और गैस अन्वेषण
    9 Power Grid Corporation of India (PGCIL) बिजली ट्रांसमिशन गुरुग्राम भारत का राष्ट्रीय पावर ग्रिड ऑपरेटर
    10 Steel Authority of India Limited (SAIL) इस्पात नई दिल्ली भारत की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी

    ❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    1. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ क्या होती हैं?

    उत्तर: वे कंपनियाँ जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक होती है, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ (Public Sector Undertakings – PSUs) कहलाती हैं। उदाहरण: बीएचईएल, एनटीपीसी, ओएनजीसी आदि।


    2. भारत में निजीकरण की शुरुआत कब हुई?

    उत्तर: भारत में निजीकरण की शुरुआत 1991 के आर्थिक उदारीकरण (LPG) सुधारों से हुई। इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र पर ही अधिक निर्भरता थी।


    3. सार्वजनिक क्षेत्र सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ी?

    उत्तर: कई पीएसयू कंपनियाँ लगातार घाटे में चल रही थीं, उनमें नौकरशाही नियंत्रण, तकनीकी पिछड़ापन, राजनीतिक हस्तक्षेप और वैश्विक प्रतिस्पर्धा से पिछड़ने जैसी समस्याएँ थीं। इन्हें दूर करने के लिए सुधार आवश्यक थे।


    4. निजीकरण के कौन-कौन से प्रकार होते हैं?

    उत्तर:

    1. आंशिक विनिवेश (Minority Disinvestment): सरकार अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचती है।
    2. रणनीतिक निजीकरण (Strategic Disinvestment): प्रबंधन और स्वामित्व दोनों निजी क्षेत्र को सौंपे जाते हैं।
    3. IPO/पब्लिक ऑफरिंग: कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध किया जाता है।


    5. भारत में अब तक कौन-कौन सी प्रमुख कंपनियों का निजीकरण हुआ है?

    उत्तर: एयर इंडिया (2021), BALCO (2001), VSNL (2002), हिंदुस्तान जिंक (2004) और LIC (आंशिक विनिवेश, 2022) प्रमुख उदाहरण हैं।


    6. निजीकरण से सरकार को क्या लाभ होता है?

    उत्तर: सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है, जिसे वह बुनियादी ढाँचे, सामाजिक योजनाओं और विकास परियोजनाओं में निवेश कर सकती है। साथ ही घाटे वाली कंपनियों का बोझ भी कम होता है।


    7. निजीकरण से जनता और उपभोक्ताओं को क्या लाभ होता है?

    उत्तर: निजी प्रबंधन से सेवाओं की गुणवत्ता सुधरती है, लागत घटती है और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प मिलते हैं। उदाहरण: एयरलाइन सेक्टर में सेवा सुधार।


    8. निजीकरण से रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    उत्तर: निजीकरण के बाद कंपनियाँ अक्सर कुशल प्रबंधन और लागत कटौती करती हैं, जिससे प्रारंभिक स्तर पर छँटनी हो सकती है। हालांकि, लंबे समय में नए रोजगार अवसर भी पैदा होते हैं।


    9. कौन-कौन से क्षेत्र निजीकरण से बाहर रखे गए हैं?

    उत्तर: सरकार ने चार रणनीतिक क्षेत्रों को प्राथमिकता दी है –

    1. रक्षा
    2. परमाणु ऊर्जा
    3. अंतरिक्ष
    4. परिवहन और ऊर्जा के कुछ हिस्से
    5. इन क्षेत्रों में सरकार का नियंत्रण बरकरार रहेगा।


    10. भारत में निजीकरण का भविष्य कैसा है?

    उत्तर: भारत का भविष्य निजीकरण पर काफी निर्भर है। आने वाले वर्षों में बैंकिंग, बीमा, रेलवे और कोयला जैसे क्षेत्रों में भी बड़े सुधार और विनिवेश की संभावना है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धी और वैश्विक स्तर पर सक्षम बनेगी।


    निष्कर्ष

    भारत में पब्लिक सेक्टर सुधार और सरकारी कंपनियों का निजीकरण केवल आर्थिक मजबूरी नहीं बल्कि आधुनिक अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है। हालाँकि इससे जुड़ी चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन संतुलित नीति और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से भारत अपने सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक प्रभावी, प्रतिस्पर्धी और भविष्य उन्मुख बना सकता है।

    बिलकुल 👍। यहाँ मैं आपके विषय “पब्लिक सेक्टर सुधार और सरकारी कंपनियों का निजीकरण” पर 10 विस्तृत FAQs (उत्तर सहित) जोड़ रहा हूँ।

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