राज्य मंत्रिपरिषद

राज्य मंत्रिपरिषद

भारतीय संविधान में राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग राज्यपाल के नाम से किया जाता है, लेकिन वास्तविक कार्यपालिका शक्ति मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद के पास होती है। राज्य मंत्रिपरिषद का गठन, कार्य और शक्तियाँ संविधान के अनुच्छेद 163 से 167 तक निर्धारित किए गए हैं।


राज्य मंत्रिपरिषद की संरचना

संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल को एक मंत्रिपरिषद द्वारा सहायता और परामर्श प्रदान किया जाता है। इस मंत्रिपरिषद का प्रमुख मुख्यमंत्री होता है।

इसमें तीन स्तर के मंत्री होते हैं –

  1. मंत्रिपरिषद (Cabinet Ministers) – ये महत्वपूर्ण विभागों का संचालन करते हैं और नीतिगत निर्णय लेते हैं।
  2. राज्य मंत्री (State Ministers) – ये किसी विभाग का स्वतंत्र प्रभार ले सकते हैं या कैबिनेट मंत्रियों की सहायता करते हैं।
  3. उप मंत्री (Deputy Ministers) – इनका कार्य केवल विभागीय सहायता प्रदान करना होता है।


राज्य मंत्रिपरिषद की नियुक्ति

  • मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं।
  • मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
  • मंत्रियों की संख्या राज्य की विधानसभा की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती (91वां संशोधन, 2003)।


राज्य मंत्रिपरिषद के कार्य और शक्तियाँ

1. कार्यपालिका संबंधी कार्य

  • राज्य की प्रशासनिक नीतियों का निर्माण और संचालन करना।
  • राज्यपाल को प्रशासन से संबंधित सलाह देना।
  • विभागों का संचालन करना और अधिकारियों की नियुक्तियों पर निर्णय लेना।

2. विधायी कार्य

  • राज्य की विधान सभा में विधेयकों का प्रस्ताव और पारित कराना।
  • विधानमंडल में सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
  • विधानसभा का सत्र बुलाने, स्थगित करने और भंग करने की अनुशंसा करना।

3. वित्तीय कार्य

  • राज्य का वार्षिक बजट तैयार करना और उसे विधानसभा में प्रस्तुत करना।
  • राज्य के आय-व्यय की निगरानी करना।
  • किसी भी धन विधेयक को विधानसभा में लाने से पहले मंत्रिपरिषद की अनुमति आवश्यक है।

4. न्यायिक कार्य

  • राज्यपाल द्वारा दी जाने वाली क्षमा, दंड परिवर्तन और दंड स्थगन के मामलों में मंत्रिपरिषद परामर्श देती है।

राज्य मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी

अनुच्छेद 164(2) के अनुसार, राज्य मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। इसका अर्थ है –

  • यदि विधानसभा मंत्रिपरिषद में विश्वास व्यक्त नहीं करती, तो पूरी मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है।
  • सभी मंत्री एक साथ कार्य करते हैं और निर्णयों की जिम्मेदारी सामूहिक होती है।


मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद का संबंध

  • मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है और सभी मंत्री उसकी सलाह से कार्य करते हैं।
  • मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है और नीतिगत दिशा प्रदान करता है।
  • वास्तव में, मुख्यमंत्री के बिना मंत्रिपरिषद अधूरी होती है।


निष्कर्ष

राज्य मंत्रिपरिषद राज्य की वास्तविक कार्यपालिका है। यह न केवल प्रशासनिक, विधायी और वित्तीय कार्यों का संचालन करती है, बल्कि राज्यपाल को सलाह भी देती है। मंत्रिपरिषद की शक्ति और भूमिका मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य के शासन को स्थिर और प्रभावी बनाती है।


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