राज्य विधानसभा

राज्य विधानसभा

भारत के प्रत्येक राज्य में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की स्थापना की गई है। अधिकांश राज्यों में विधानमंडल एक सदनीय (Unicameral) है, जिसे राज्य विधानसभा (Legislative Assembly / Vidhan Sabha) कहा जाता है। केवल कुछ राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक) में द्विसदनीय (Bicameral) विधानमंडल है, जिनमें विधान परिषद (Vidhan Parishad) भी होती है।


राज्य विधानसभा की संरचना

  • विधानसभा राज्य की निम्न सदन होती है।
  • इसके सदस्यों को विधानसभा सदस्य (MLA) कहा जाता है।
  • विधानसभा का गठन प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा किया जाता है।
  • किसी राज्य की विधानसभा में सदस्यों की संख्या 60 से 500 के बीच होती है।
  • विशेष राज्यों (जैसे सिक्किम, गोवा, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और पुडुचेरी) में न्यूनतम संख्या 60 से कम हो सकती है।
  • राज्यपाल एक सदस्य को एंग्लो-इंडियन समुदाय से नामित कर सकते हैं (लेकिन 104वाँ संविधान संशोधन, 2020 के बाद यह प्रावधान समाप्त कर दिया गया है)।


विधानसभा का कार्यकाल

  • सामान्यतः विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
  • राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में इसका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
  • विधानसभा को राज्यपाल की अनुशंसा पर कभी भी भंग किया जा सकता है।


राज्य विधानसभा के अधिकारी

1. अध्यक्ष (Speaker)

  • विधानसभा के कार्य संचालन की अध्यक्षता करते हैं।
  • अनुशासन बनाए रखते हैं और कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाते हैं।

2. उपाध्यक्ष (Deputy Speaker)

  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यवाही संचालित करते हैं।

3. सचिवालय

  • विधानसभा की प्रशासनिक और विधायी प्रक्रियाओं का प्रबंधन करता है।

राज्य विधानसभा के कार्य और शक्तियाँ

1. विधायी कार्य

  • राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाना।
  • धन विधेयक केवल विधानसभा में ही प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
  • विधानसभा में पारित विधेयकों को राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है।

2. वित्तीय कार्य

  • राज्य का वार्षिक बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है।
  • बिना विधानसभा की स्वीकृति के राज्य का कोई भी व्यय नहीं किया जा सकता।
  • धन विधेयकों की शुरुआत केवल विधानसभा में होती है।

3. नियंत्रण संबंधी कार्य

  • विधानसभा सरकार पर नियंत्रण रखती है।
  • सरकार को प्रश्नोत्तर, स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, कटौती प्रस्ताव आदि के माध्यम से उत्तरदायी ठहराया जाता है।
  • यदि सरकार विश्वास खो देती है, तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है।

4. चुनावी कार्य

  • विधानसभा, भारत के राष्ट्रपति और राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव में भाग लेती है।
  • विधान परिषद (जहाँ मौजूद हो) के कुछ सदस्यों का निर्वाचन भी विधानसभा द्वारा किया जाता है।

5. अन्य कार्य

  • राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा और उसके प्रति धन्यवाद प्रस्ताव पारित करना।
  • राज्य के विकास कार्यों और नीतियों पर विचार करना।


राज्य विधानसभा का महत्व

  • राज्य में जन प्रतिनिधित्व का सर्वोच्च मंच है।
  • यह राज्य की लोकतांत्रिक प्रणाली की नींव है।
  • जनता की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं को शासन की नीतियों में परिवर्तित करने का माध्यम है।


निष्कर्ष

राज्य विधानसभा भारतीय संघीय व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह न केवल राज्य के लिए कानून बनाती है, बल्कि सरकार को उत्तरदायी और जवाबदेह भी बनाती है। विधानसभा के माध्यम से जनता की आवाज़ शासन तक पहुँचती है और राज्य में लोकतांत्रिक शासन को सुदृढ़ किया जाता है।


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