राज्यपाल की शक्तियाँ
(Powers of Governor in India)
भारतीय संविधान के अनुसार राज्यपाल (Governor) राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। यद्यपि वास्तविक कार्यपालिका शक्ति मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है, फिर भी राज्यपाल को कई महत्वपूर्ण शक्तियाँ दी गई हैं। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह राष्ट्रपति का प्रतिनिधि माना जाता है।
📜 संवैधानिक आधार
- अनुच्छेद 153 – प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा।
- अनुच्छेद 154 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी।
- अनुच्छेद 163 – राज्यपाल, मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करेगा।
- अनुच्छेद 164 – मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा।
🏛️ राज्यपाल की शक्तियाँ
1. कार्यपालिका शक्तियाँ
- मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति।
- अन्य मंत्रियों को मुख्यमंत्री की सलाह पर नियुक्त करना।
- महाधिवक्ता (Advocate General) की नियुक्ति।
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति।
- विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति (कुछ राज्यों में)।
- राज्य सरकार के सभी कार्य राज्यपाल के नाम से संपन्न होते हैं।
2. विधायी शक्तियाँ
- राज्य विधानसभा और विधान परिषद (जहाँ है) को बुलाना, स्थगित करना और भंग करना।
- राज्य विधानमंडल के अधिवेशन का अभिभाषण।
- विधेयक पर हस्ताक्षर कर उसे अधिनियम बनाना।
- विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित करना (विशेषकर यदि यह संविधान के खिलाफ हो)।
- अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद 213) – जब विधानसभा सत्र में न हो।
- एक-छठा सदस्य विधान परिषद में नामित करना (यदि परिषद है)।
3. वित्तीय शक्तियाँ
- राज्य का बजट विधानसभा में राज्यपाल की अनुमति से प्रस्तुत होता है।
- राज्य में कोष (Consolidated Fund of the State) राज्यपाल के अधीन।
- बिना राज्यपाल की अनुमति के वित्तीय विधेयक (Money Bill) नहीं लाया जा सकता।
- राज्यपाल, वित्त आयोग की सिफारिशों को राष्ट्रपति को भेजता है।
4. न्यायिक शक्तियाँ
- राज्य के अपराधियों को दया, क्षमा, स्थगन, या दंड में परिवर्तन करने की शक्ति।
- लेकिन मृत्युदंड की सजा को माफ करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास है।
5. आपातकालीन शक्तियाँ
- यदि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाए, तो राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज सकता है (अनुच्छेद 356)।
- राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य की कार्यपालिका और विधायिका की शक्तियाँ राज्यपाल में निहित हो जाती हैं।
6. विवेकाधीन शक्तियाँ (Discretionary Powers)
- किसी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना।
- विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहना।
- मंत्रिपरिषद की सलाह न मानते हुए राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजना।
- विधेयक को राष्ट्रपति के पास आरक्षित करना।
✅ राज्यपाल की शक्तियों का महत्व
- राज्य की संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- केंद्र और राज्य के बीच संपर्क सेतु का कार्य करना।
- संकट या राजनीतिक अस्थिरता में तटस्थ भूमिका निभाना।
⚠️ राज्यपाल की शक्तियों से जुड़ी विवादास्पद बातें
- केंद्र के “एजेंट” के रूप में काम करने का आरोप।
- विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों में राज्यपाल का हस्तक्षेप।
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति और विधानसभा भंग करने जैसे मामलों में पक्षपात के आरोप।
🌍 निष्कर्ष
राज्यपाल भारतीय संघीय ढाँचे में एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक पद है। यद्यपि यह पद नाम मात्र का है और वास्तविक शक्ति मुख्यमंत्री व मंत्रिपरिषद के पास है, लेकिन राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियाँ कई बार राजनीतिक विवाद का कारण बनती हैं। संविधान का मूल उद्देश्य यह है कि राज्यपाल निष्पक्ष होकर संविधान की रक्षा करे, न कि किसी दल या केंद्र सरकार का पक्षधर बने।
 
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