रिज़र्व बैंक द्वारा महंगाई नियंत्रण

 रिज़र्व बैंक द्वारा महंगाई नियंत्रण उपाय

भारत की अर्थव्यवस्था निरंतर बदलते हुए वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों से प्रभावित होती है। इनमें से सबसे गंभीर चुनौती महंगाई (Inflation) है, जो आम जनता की खरीद क्षमता, उद्योगों की उत्पादन लागत, और देश की विकास दर को सीधे प्रभावित करती है। ऐसे में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह न केवल मौद्रिक नीतियों का निर्धारण करता है, बल्कि महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए ठोस कदम भी उठाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि रिज़र्व बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाता है और इनका अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है।


रिज़र्व बैंक की भूमिका

रिज़र्व बैंक का मुख्य कार्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना है, ताकि अर्थव्यवस्था संतुलित रूप से बढ़ सके। इसके लिए RBI समय-समय पर मौद्रिक नीति (Monetary Policy) में बदलाव करता है और कई प्रकार के नियामक उपकरण प्रयोग में लाता है।


महंगाई नियंत्रण हेतु मौद्रिक उपाय

रेपो रेट (Repo Rate) में परिवर्तन

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर बैंक, रिज़र्व बैंक से अल्पावधि के लिए धन उधार लेते हैं।

  • जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ा देता है, जिससे बैंकों के लिए उधारी महंगी हो जाती है।
  • परिणामस्वरूप बैंक भी ग्राहकों को महंगे ऋण देते हैं, जिससे बाजार में नकदी घटती है और मांग नियंत्रित होती है।

रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)

यह वह दर है जिस पर बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी RBI के पास जमा कर सकते हैं।

  • RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ाकर बैंकों को प्रेरित करता है कि वे अधिक नकदी जमा करें।
  • इससे बाजार में प्रचलित धनराशि कम होती है और महंगाई नियंत्रित होती है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR – Cash Reserve Ratio)

बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत RBI के पास नकद के रूप में रखना होता है।

  • जब महंगाई अधिक होती है, तो CRR बढ़ा दिया जाता है
  • इससे बैंकों के पास ऋण देने के लिए कम धन रह जाता है और बाजार में नकदी का प्रवाह घटता है।

वैधानिक तरलता अनुपात (SLR – Statutory Liquidity Ratio)

बैंकों को अपनी जमा राशि का एक हिस्सा सोना, नकदी या स्वीकृत प्रतिभूतियों के रूप में रखना अनिवार्य होता है।

  • SLR बढ़ाने से बैंकों के पास ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है।
  • यह कदम महंगाई पर लगाम लगाने में मदद करता है।

खुला बाजार परिचालन (OMO – Open Market Operations)

RBI समय-समय पर सरकारी प्रतिभूतियां (Government Securities) खरीदता और बेचता है।

  • जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI प्रतिभूतियां बेचकर बाजार से अतिरिक्त नकदी खींच लेता है।
  • इस प्रक्रिया से मांग घटती है और मूल्य स्थिरता बनी रहती है।


संरचनात्मक और दीर्घकालिक उपाय

महंगाई लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting)

भारत में 2016 से फ्लेक्सिबल इंफ्लेशन टार्गेटिंग फ्रेमवर्क लागू है। इसके तहत RBI का लक्ष्य 4% महंगाई दर (+/- 2%) बनाए रखना है।

  • यह व्यवस्था मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा तय की जाती है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही के कारण यह प्रणाली महंगाई नियंत्रण में काफी प्रभावी सिद्ध हुई है।

ऋण प्रवाह का प्रबंधन

RBI समय-समय पर यह सुनिश्चित करता है कि ऋण प्रवाह केवल उत्पादक क्षेत्रों में ही जाए।

  • गैर-जरूरी या सट्टा गतिविधियों में ऋण को हतोत्साहित किया जाता है।
  • इससे मांग-खींच महंगाई पर नियंत्रण पाया जाता है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन

रुपये की अस्थिरता भी महंगाई को प्रभावित करती है।

  • RBI विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये के मूल्य को स्थिर बनाए रखता है।
  • आयातित वस्तुओं, विशेषकर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर महंगाई पर सीधा पड़ता है।


महंगाई नियंत्रण उपायों का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव

  • मूल्य स्थिरता बनी रहती है।
  • निवेशकों और उद्योगों को सुरक्षित वातावरण मिलता है।
  • आम जनता की खरीद क्षमता सुरक्षित रहती है।
  • आर्थिक विकास संतुलित रहता है।

नकारात्मक प्रभाव

  • अधिक ब्याज दरों के कारण ऋण महंगा हो जाता है
  • छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स की विकास गति धीमी पड़ सकती है।
  • अत्यधिक कठोर उपाय से रोज़गार सृजन प्रभावित हो सकता है।


हाल के वर्षों में रिज़र्व बैंक के कदम

  • कोविड-19 महामारी के दौरान RBI ने रेपो रेट में कमी कर नकदी प्रवाह बढ़ाया, ताकि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिल सके।
  • महंगाई बढ़ने पर 2022-23 में RBI ने लगातार रेपो रेट में वृद्धि की, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित हुई।
  • RBI ने डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देकर लेन-देन को पारदर्शी और कुशल बनाया, जिससे नकदी पर निर्भरता घटती है और महंगाई नियंत्रण आसान होता है।


निष्कर्ष

महंगाई नियंत्रण किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता के लिए अनिवार्य है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस दिशा में अनेक मौद्रिक और संरचनात्मक उपाय लागू किए हैं। यद्यपि कभी-कभी इन कदमों का अल्पकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन दीर्घकाल में ये उपाय अर्थव्यवस्था को संतुलन, विश्वास और स्थिरता प्रदान करते हैं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि रिज़र्व बैंक द्वारा महंगाई नियंत्रण उपाय न केवल मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करते हैं, बल्कि देश को सतत विकास की दिशा में भी अग्रसर करते हैं।



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