भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India)

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India)


परिचय: भारतीय रिज़र्व बैंक क्या है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) भारत का केंद्रीय बैंक (Central Bank) है, जो देश की मुद्रा, बैंकिंग व्यवस्था और मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है।
यह भारत की वित्तीय स्थिरता, आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाता है।

RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI अधिनियम, 1934 (Reserve Bank of India Act, 1934) के अंतर्गत हुई थी।
प्रारंभ में यह निजी स्वामित्व (Private Ownership) के तहत कार्यरत था, लेकिन 1 जनवरी 1949 को इसे राष्ट्रीयकृत (Nationalised) कर दिया गया।

आज के समय में RBI न केवल भारत की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) निर्धारित करता है, बल्कि यह बैंकों का बैंक, सरकार का बैंक, और मुद्रा जारी करने वाला एकमात्र प्राधिकरण भी है।


भारतीय रिज़र्व बैंक का इतिहास (History of Reserve Bank of India)

स्थापना की पृष्ठभूमि

ब्रिटिश शासन के समय भारत में आर्थिक असंतुलन और मुद्रा की अनियमितता के कारण एक केंद्रीय बैंक की आवश्यकता महसूस की गई।
1926 में “रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस” (Hilton Young Commission) ने केंद्रीय बैंक की स्थापना की सिफारिश की।
इसके परिणामस्वरूप 1934 में Reserve Bank of India Act पारित किया गया और अगले वर्ष RBI की स्थापना हुई।

राष्ट्रीयकरण (Nationalisation)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने RBI को 1 जनवरी 1949 को राष्ट्रीयकृत कर दिया।
इससे RBI पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रण में आ गया।


भारतीय रिज़र्व बैंक के उद्देश्य (Objectives of RBI)

RBI का मुख्य उद्देश्य भारत की आर्थिक और वित्तीय प्रणाली को स्थिर और सशक्त बनाना है।
इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. मुद्रा की स्थिरता बनाए रखना (Maintaining Monetary Stability)
  2. मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन
  3. बैंकिंग प्रणाली को नियमित करना और उसका निरीक्षण करना
  4. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को प्रोत्साहित करना
  5. विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन करना (Foreign Exchange Management)
  6. सरकार का बैंक और सलाहकार के रूप में कार्य करना


भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रमुख कार्य (Functions of RBI)

1. मुद्रा निर्गमन का एकाधिकार (Issue of Currency Notes)

RBI भारत में मुद्रा जारी करने वाला एकमात्र प्राधिकरण है।
₹1 से अधिक मूल्यवर्ग के सभी नोट RBI द्वारा जारी किए जाते हैं (₹1 का नोट भारत सरकार द्वारा)।
RBI “मुद्रा निर्गमन का प्राधिकरण” कहलाता है।
इसके तहत यह न्यूनतम आरक्षित प्रणाली (Minimum Reserve System) का पालन करता है, जिसके तहत उसे न्यूनतम ₹200 करोड़ का भंडार रखना होता है — ₹115 करोड़ सोने के रूप में और ₹85 करोड़ विदेशी मुद्राओं के रूप में।


2. मौद्रिक नीति का संचालन (Formulation of Monetary Policy)

RBI देश की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) निर्धारित करता है ताकि मुद्रास्फीति, तरलता और विकास दर के बीच संतुलन बना रहे।
इसके लिए मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) का गठन किया गया है।
यह समिति वर्ष में 6 बार बैठक करती है और रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, CRR, SLR जैसी नीतिगत दरों का निर्धारण करती है।


3. बैंकों का बैंक (Banker’s Bank)

RBI सभी वाणिज्यिक बैंकों का नियामक और संरक्षक है।
यह बैंकों को ऋण देता है, उनकी तरलता बनाए रखता है और बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करता है।
बैंकों को अपने जमा का एक निश्चित प्रतिशत CRR (Cash Reserve Ratio) के रूप में RBI के पास रखना होता है।


4. सरकार का बैंक (Banker to the Government)

RBI भारत सरकार और राज्य सरकारों दोनों के लिए बैंक के रूप में कार्य करता है।
यह सरकार के राजस्व प्राप्ति, ऋण प्रबंधन, और उधारी संबंधी कार्यों को संभालता है।
इसके अलावा RBI सरकार को वित्तीय परामर्श (Financial Advice) भी प्रदान करता है।


5. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (Foreign Exchange Management)

RBI भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का संचालन करता है।
यह कार्य विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) के तहत किया जाता है।
RBI का उद्देश्य रुपये की विनिमय दर स्थिर रखना और विदेशी व्यापार को प्रोत्साहित करना है।


6. वित्तीय स्थिरता और निरीक्षण (Financial Supervision)

RBI वित्तीय संस्थानों और बैंकों की निगरानी करता है ताकि धोखाधड़ी, अनियमितताओं और बैंकिंग संकटों से बचा जा सके।
इसके लिए RBI ने बैंकों के लाइसेंसिंग, विलय, निरीक्षण, और जोखिम प्रबंधन मानकों की व्यवस्था की है।


7. विकासात्मक और प्रचारात्मक कार्य (Developmental and Promotional Functions)

भारत जैसे विकासशील देश में RBI केवल नियामक नहीं, बल्कि विकासात्मक भूमिका भी निभाता है।

  • ग्रामीण और कृषि ऋण को प्रोत्साहित करना
  • सहकारी और लघु वित्त संस्थानों का समर्थन
  • वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) अभियान चलाना
  • डिजिटल बैंकिंग और UPI जैसी पहलों को बढ़ावा देना


भारतीय रिज़र्व बैंक की संरचना (Organisational Structure of RBI)

  1. गवर्नर (Governor): RBI का प्रमुख अधिकारी, जिसे भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. चार उप-गवर्नर (Deputy Governors): जो विभिन्न विभागों का संचालन करते हैं।
  3. केंद्रीय निदेशक मंडल (Central Board of Directors):

  • 1 गवर्नर
  • 4 उप-गवर्नर
  • 10 निदेशक विभिन्न क्षेत्रों से
  • 4 सरकार द्वारा नामित सदस्य
मुख्यालय: मुंबई (Maharashtra)

क्षेत्रीय कार्यालय: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अन्य प्रमुख शहरों में।


भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रमुख उपकरण (Key Instruments of RBI)

  1. रेपो दर (Repo Rate): वह दर जिस पर RBI बैंकों को ऋण देता है।
  2. रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate): वह दर जिस पर RBI बैंकों से धन उधार लेता है।
  3. कैश रिज़र्व रेशियो (CRR): बैंकों की कुल जमा राशि का वह हिस्सा जिसे RBI के पास रखना होता है।
  4. वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): वह प्रतिशत जो बैंकों को अपनी जमा का तरल रूप में रखना होता है।
  5. ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO): RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री।


भारतीय रिज़र्व बैंक की नीतिगत उपलब्धियाँ (Major Achievements of RBI)

  • मुद्रास्फीति नियंत्रण में सफलता
  • UPI और डिजिटल भुगतान प्रणाली का विकास
  • मौद्रिक नीति समिति (MPC) की स्थापना
  • वित्तीय समावेशन (Jan Dhan Yojana, Microfinance) को प्रोत्साहन
  • COVID-19 के दौरान विशेष राहत पैकेज और मोरेटोरियम नीति का संचालन


RBI से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य (Important Points for Competitive Exams)

  1. स्थापना वर्ष: 1 अप्रैल 1935
  2. राष्ट्रीयकरण: 1 जनवरी 1949
  3. मुख्यालय: मुंबई
  4. वर्तमान गवर्नर (2025): [कृपया नवीनतम जानकारी के लिए अद्यतन स्रोत देखें]
  5. RBI Act: 1934
  6. मौद्रिक नीति समिति (MPC): 6 सदस्यीय समिति
  7. मुद्रा जारी करने की प्रणाली: न्यूनतम आरक्षित प्रणाली
  8. प्रमुख दरें: रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, CRR, SLR
  9. वित्तीय वर्ष: 1 अप्रैल से 31 मार्च
  10. RBI का प्रतीक: पाम वृक्ष और बाघ (Palm Tree & Tiger)


भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका: लोकतंत्र और विकास में योगदान

RBI केवल एक वित्तीय संस्था नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का स्तंभ है।
यह आर्थिक नीति निर्माण, सरकारी वित्तीय प्रबंधन, और जनहित आधारित नीतियों के क्रियान्वयन में सहायक है।

  • सामाजिक न्याय: ग्रामीण और लघु उद्योगों को ऋण देकर समान अवसर प्रदान करता है।
  • वित्तीय समावेशन: समाज के हर वर्ग तक बैंकिंग सुविधाएँ पहुँचाने का प्रयास।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था का संवर्धन: UPI, RuPay, और डिजिटल करेंसी (CBDC) जैसी पहलें।


निष्कर्ष: भारत की आर्थिक रीढ़

भारतीय रिज़र्व बैंक न केवल भारत की वित्तीय स्थिरता का रक्षक है, बल्कि यह आर्थिक विकास, रोजगार, निवेश और मुद्रास्फीति नियंत्रण में संतुलन बनाए रखने वाला प्रमुख संस्थान है।

इसके विवेकपूर्ण निर्णयों ने भारत को अनेक आर्थिक संकटों से उबारने में मदद की है।
वर्तमान युग में, जब डिजिटल अर्थव्यवस्था और वैश्विक वित्तीय चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, तब RBI की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

सही अर्थों में, भारतीय रिज़र्व बैंक भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।



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