धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
(Right to Freedom of Religion)
भारतीय संविधान के भाग–III (अनुच्छेद 25 से 28) में प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, जहाँ सभी धर्मों को समान महत्व दिया जाता है और नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने, प्रचार करने और आचरण करने की स्वतंत्रता है। यह अधिकार भारतीय लोकतंत्र की धर्मनिरपेक्षता की आत्मा को दर्शाता है।
अनुच्छेद 25 – धर्म की स्वतंत्रता
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा के अनुसार धर्म का पालन, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
- राज्य आवश्यकतानुसार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर इस अधिकार पर यथोचित प्रतिबंध लगा सकता है।
- यह अनुच्छेद किसी को भी धार्मिक परंपराओं, अनुष्ठानों और आस्थाओं का पालन करने की छूट देता है।
- साथ ही, यह भी स्पष्ट करता है कि सामाजिक सुधार और कल्याण के लिए राज्य कानून बना सकता है (जैसे सती प्रथा का उन्मूलन, अस्पृश्यता का उन्मूलन)।
अनुच्छेद 26 – धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता
हर धार्मिक संप्रदाय या उसका कोई भी अंग स्वतंत्र है:
- धार्मिक कार्यों का प्रबंधन करने में।
- अपने धार्मिक और दान संबंधी कार्यों के लिए संस्थाएँ स्थापित करने और उनका संचालन करने में।
- धार्मिक उद्देश्य हेतु संपत्ति अर्जित करने और प्रबंधित करने में।
👉 उदाहरण: मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या गुरुद्वारा अपनी धार्मिक गतिविधियों का स्वतंत्र रूप से संचालन कर सकते हैं।
अनुच्छेद 27 – करों के उपयोग से धार्मिक स्वतंत्रता
- किसी भी नागरिक को यह बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह ऐसे करों (Taxes) का भुगतान करे जो किसी विशेष धर्म या धार्मिक गतिविधियों के प्रचार के लिए प्रयोग हों।
- राज्य कर तो वसूल कर सकता है, परंतु उसे किसी धर्म विशेष के प्रचार हेतु प्रयोग नहीं कर सकता।
अनुच्छेद 28 – शैक्षिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा की स्वतंत्रता
- राज्य द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित शैक्षिक संस्थानों में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
- राज्य-नियंत्रित या राज्य से सहायता प्राप्त संस्थानों में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है, परंतु किसी भी छात्र को इसमें भाग लेने के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता।
- यह छात्रों को अपनी आस्था के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता देता है।
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का महत्व
- यह अधिकार भारत की धर्मनिरपेक्ष नीति को सुदृढ़ करता है।
- प्रत्येक नागरिक को अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता देता है।
- सामाजिक सौहार्द और सहिष्णुता को बढ़ावा देता है।
- धार्मिक कट्टरता और भेदभाव को कम करने में सहायक है।
निष्कर्ष
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान का महत्वपूर्ण आधार है, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत में प्रत्येक नागरिक को अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता मिले। साथ ही, यह राज्य को धर्म के प्रति तटस्थ और निष्पक्ष रहने का दायित्व भी देता है।
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