भारत में सामाजिक सुरक्षा
(Social Security in India)
महत्व, योजनाएँ और चुनौतियाँ
सामाजिक सुरक्षा (Social Security) का तात्पर्य उन व्यवस्थाओं और नीतियों से है जो नागरिकों को आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज का हर वर्ग, विशेषकर गरीब, वंचित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, सम्मानजनक जीवन जी सके।
भारत जैसे विकासशील देश में सामाजिक सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ बड़ी आबादी गरीबी, असमानता और असुरक्षा की स्थिति में जीवनयापन करती है।
1. सामाजिक सुरक्षा का महत्व
- गरीबी उन्मूलन – गरीब और कमजोर वर्ग को आर्थिक सहायता।
- समान अवसर – हर नागरिक को न्यूनतम सुरक्षा और सुविधाएँ।
- स्वास्थ्य सुरक्षा – बीमारी और दुर्घटना के समय सहारा।
- बुज़ुर्गों और विकलांगों की देखभाल – पेंशन और विशेष योजनाएँ।
- रोज़गार स्थिरता – बेरोज़गार और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सुरक्षा।
- सामाजिक न्याय और समावेशन – समाज में समानता और संतुलन।
2. भारत में सामाजिक सुरक्षा की प्रमुख योजनाएँ
(क) गरीब और असंगठित वर्ग के लिए
- मनरेगा (MNREGA) – ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का रोजगार।
- प्रधानमंत्री आवास योजना – गरीबों को आवास की सुविधा।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) – सब्सिडी वाले अनाज की आपूर्ति।
(ख) स्वास्थ्य सुरक्षा
- आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) – 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा।
- जननी सुरक्षा योजना – गर्भवती महिलाओं के लिए सहायता।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) – ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ।
(ग) वृद्धावस्था और विकलांगता पेंशन
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP)- वृद्धावस्था पेंशन
- विधवा पेंशन
- विकलांग पेंशन
(घ) श्रमिकों के लिए
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) – कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि और पेंशन।
- कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) – कर्मचारियों को चिकित्सा और बीमा सुविधा।
- अटल पेंशन योजना (APY) – असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन।
(ङ) अन्य पहलें
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) – कम प्रीमियम पर जीवन बीमा।
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) – दुर्घटना बीमा।
- उज्ज्वला योजना – महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन।
3. सामाजिक सुरक्षा की चुनौतियाँ
- असंगठित क्षेत्र की बड़ी आबादी – लगभग 80% श्रमिक अभी भी सामाजिक सुरक्षा से बाहर।
- जागरूकता की कमी – ग्रामीण और अशिक्षित वर्ग तक योजनाओं की जानकारी नहीं पहुँच पाती।
- भ्रष्टाचार और लीकेज – लाभार्थियों तक योजनाओं का पूरा लाभ नहीं पहुँचता।
- वित्तीय संसाधनों की कमी – सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट आवंटन नहीं।
- तकनीकी और आधारभूत ढाँचे की कमी – डिजिटल और बैंकिंग सेवाएँ हर जगह उपलब्ध नहीं।
4. भविष्य की संभावनाएँ
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का विस्तार – डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से पारदर्शिता।
- सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा – हर नागरिक को स्वास्थ्य, रोजगार और पेंशन सुरक्षा।
- सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) – निजी क्षेत्र को योजनाओं में शामिल करना।
- कौशल विकास और रोजगार – सामाजिक सुरक्षा को केवल सहायता तक सीमित न रखकर आत्मनिर्भरता से जोड़ना।
- महिला और बच्चों पर विशेष ध्यान – कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं को खत्म करना।
5. निष्कर्ष
भारत में सामाजिक सुरक्षा एक सुरक्षित और समावेशी समाज बनाने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। हालाँकि कई योजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए गए हैं, लेकिन अभी भी बड़ी आबादी इनसे वंचित है।
यदि सरकार पारदर्शिता, जागरूकता और वित्तीय संसाधनों पर अधिक ध्यान देती है और तकनीक का उपयोग करके इन योजनाओं को हर नागरिक तक पहुँचाती है, तो भारत गरीबी-मुक्त और सामाजिक रूप से सुरक्षित राष्ट्र बनने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगा सकता है।
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