“राज्य सूची (State List)”
राज्य सूची (State List)
भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन अनुच्छेद 246 और सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) के अंतर्गत किया गया है। इस अनुसूची में तीन सूचियाँ दी गई हैं:
- केंद्र सूची (Union List)
- राज्य सूची (State List)
- समवर्ती सूची (Concurrent List)
इनमें से राज्य सूची वह सूची है जिसमें शामिल विषयों पर केवल राज्य विधानसभाओं को कानून बनाने का अधिकार है।
राज्य सूची की विशेषताएँ
1. राज्यों का विशेष अधिकार
राज्य सूची के अंतर्गत आने वाले विषयों पर केवल राज्य विधानसभाएँ कानून बना सकती हैं। सामान्य परिस्थितियों में संसद (केंद्र) को इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
2. स्थानीय महत्व के विषय
राज्य सूची में वे विषय रखे गए हैं जिनका महत्व मुख्यतः स्थानीय या क्षेत्रीय स्तर पर होता है।
3. संख्या
मूल संविधान (1950) में राज्य सूची में 66 विषय थे, लेकिन वर्तमान में संशोधनों के बाद यह संख्या घटकर 61 विषय रह गई है।
राज्य सूची में प्रमुख विषय
राज्य सूची के अंतर्गत आने वाले विषय मुख्य रूप से जनता की दैनिक आवश्यकताओं और स्थानीय प्रशासन से संबंधित होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विषय इस प्रकार हैं:
1. कानून और व्यवस्था
- पुलिस
- जेल
- लोक व्यवस्था
- अपराध की रोकथाम
2. सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता
- स्वास्थ्य सुविधाएँ
- अस्पताल
- प्राथमिक चिकित्सा और औषधियाँ
- जल आपूर्ति और स्वच्छता
3. कृषि और भूमि
- कृषि और कृषि शिक्षा
- सिंचाई और जल संसाधन
- भूमि सुधार और भू-राजस्व
- पशुपालन
4. स्थानीय शासन
- नगरपालिकाएँ और पंचायतें
- स्थानीय विकास योजनाएँ
- बाज़ार, मेला और स्थानीय व्यापार
5. परिवहन और संचार
- राज्य के अंतर्गत सड़क परिवहन
- ट्राम और अंतर्देशीय जल परिवहन
- राज्य परिवहन प्राधिकरण
6. अन्य विषय
- अंत्येष्टि और श्मशान भूमि
- धार्मिक और सामाजिक संस्थाएँ
- मनोरंजन, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियाँ
- राज्य के अंदर कराधान (जैसे बिक्री कर, मनोरंजन कर आदि)
राज्य सूची का महत्व
1. क्षेत्रीय स्वायत्तता
राज्य सूची राज्यों को अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार नीतियाँ और कानून बनाने की स्वतंत्रता प्रदान करती है।
2. स्थानीय प्रशासन की दक्षता
चूँकि राज्यों को अपने स्थानीय हालात की बेहतर जानकारी होती है, इसलिए वे अपने क्षेत्रों के लिए व्यावहारिक और उपयुक्त कानून बना सकते हैं।
3. लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
राज्य सूची भारतीय लोकतंत्र में विकेंद्रीकरण का उदाहरण है। इससे सत्ता केवल केंद्र में केंद्रित नहीं रहती, बल्कि राज्यों तक वितरित होती है।
राज्य सूची पर केंद्र का प्रभाव
हालाँकि राज्य सूची मुख्य रूप से राज्यों के अधिकार में है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में केंद्र सरकार को भी इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है:
राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352):
राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356):
यदि किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है।राष्ट्रीय हित के लिए (अनुच्छेद 249):
यदि राज्यसभा यह ठहराती है कि राष्ट्रीय हित में आवश्यक है, तो संसद राज्य सूची के किसी विषय पर कानून बना सकती है।अंतरराष्ट्रीय संधि का पालन (अनुच्छेद 253):
यदि भारत ने कोई अंतरराष्ट्रीय संधि की है, तो संसद उस संधि के पालन हेतु राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकती है।निष्कर्ष
राज्य सूची (State List) भारतीय संविधान के संघीय ढाँचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह राज्यों को उनके स्थानीय प्रशासन और जनता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वतंत्रता देती है। हालाँकि, कुछ परिस्थितियों में संसद को भी इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार मिलता है, जिससे भारत का संघीय ढाँचा मजबूत केंद्र के साथ सहकारी संघीय प्रणाली का रूप लेता है।
राज्य सूची का महत्व इस बात में निहित है कि यह राज्यों को स्वायत्तता प्रदान करते हुए भी पूरे राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने का अवसर देती है।
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